एफपीआई (FPI) क्या है- (Foreign Portfolio Investment), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की जानकारी

FPI Kya Hota Hai और एफपीआई की फुल फॉर्म क्या होती है एवं विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की जानकारी क्या है Type Of Foreign Portfolio Investment

आज हम आपको एफपीआई के बारे में जानकारी प्रदान जा रहे हैं जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि हमारे भारत देश में हुनर की कमी नहीं है इसीलिए भारत में बहुत सारी ऐसी विदेशी कंपनियां हैं जो भारत में उच्च स्तर पर व्यापार करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में विदेशी कंपनियां स्थापित करने के लिए सरकार की कुछ शर्तों एवं नियमों का पालन करना होता है जिसके बाद ही उन्हें अपना व्यापार स्थापित करने की अनुमति दी जाती है। उदाहरण के तौर पर अमेजन, फ्लिप्कार्ट, वालमार्ट आदि यह सभी विदेशी कंपनियां है जो भारत में अपना व्यापार स्थापित करने के लिए निवेश करती हैं। तो चलिए फिर आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से FPI से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आपको बताएंगे।

FPI Kya Hai ?

एफपीआई की फुलफॉर्म Foreign Portfolio Investment होती है जिसे हिंदी भाषा में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कहा जाता है। हाल ही में वर्ष 2021- 22 के केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के बाद एसबीआई बढ़ने के कारण लगभग 11. 36% सेंसेक्स में वृद्धि हुई है।जैसे कि हमने आपको अभी बताया कि बाहर से आने वाले लोग जब भारत में अपना व्यापार स्थापित करते हैं या किसी भारतीय कंपनी में अपना पैसा लगाते हैं तो उसे विदेशी निवेश कहा जाता है। और इनके द्वारा निवेश किए गए पैसे को यह कभी भी निकाल कर वापस ले जा सकते हैं क्योंकि यह पूंजी निवेश रिपोर्टेबल बेसिस पर होती है। विदेशी निवेश से भारत में कारोबार काफी बड़ा है और विदेशी निदेशकों की दिलचस्पी भी बड़ी है। विदेशी निवेश आप दो प्रकार से कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ)

FPI Kya Hai
FPI Kya Hai

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Type Of Foreign Portfolio Investment

 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)

जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी FDI का 10% से ज्यादा हिस्सा खरीदता है तो वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है क्योंकि आमतौर पर देखा जाए तो यह बहुत कम समय के लिए होता है। इसे इसे धन सर्जन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि कोई भी निवेशक अपने नुकसान और लाभ को देखते हुए कभी भी अपनी कंपनी के शेयर या बोंड बेचकर यहां से जा सकता है। एफडीआई अपने व्यवसाय के लिए मशीनरी और पौधों जैसी उत्पादक संपत्तियों में निवेश करते हैं। विदेशी संस्थागत निवेश देश के बांड, म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसी वित्तीय प्रोपर्टी में अपना पैसा लगाते हैं। एफडीआई निवेशक दो तरीकों से नियंत्रित पदों को लेते हैं: या तो संयुक्त उद्यमों के माध्यम से या घरेलू फर्मों में।

उदाहरण: निवेशक कई तरह से FPI कर सकते हैं जैसे- किसी अन्य देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना, एक मौजूदा विदेशी कंपनी के साथ अधिग्रहण या विलय, एक विदेशी कंपनी के साथ एक संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू करना आदि।

 विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई)

जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड इंडियन कंपनी के शेयर खरीदी है लेकिन उसकी हिस्सेदारी 10% से कम होती है तो उसे एसबीआई कहा जाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शेयर और बोन के रूप में होता है। एफपीआई निवेशक अपने निवेश में अधिक निष्क्रिय स्थिति लेते हैं। एफपीआई को निष्क्रिय निवेशक माना जाता है।

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  • FPI को प्रायः “हॉट मनी” (Hot Money) कहा जाता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था से पलायन करने की प्रवृत्ति अत्यधिक होती है।
  • उदाहरण: स्टॉक, बॉण्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकन डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (एडीआर), ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (जीडीआर) आदि।

(FPI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से लाभ

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बढ़ने के कारण लगभग 11.36% संसद में वृद्धि हुई है।
  • भारतीय निवेश के कारण आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए सरकार के पास भरपूर विदेशी मुद्रा की पूर्ति होगी जिससे कि सामना किया जा सके।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण शेयरधारकों के कर्तव्यों की रक्षा के साथ-साथ व्यापार करने में भी आसानी होती है।
  • निजी बैंकों, फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विदेशी प्रवाह देखा गया है, क्योंकि इन भारतीय कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के बाद तेज़ी से वृद्धि हुई  है।
  • वर्ष 2020 में फार्मा क्षेत्र एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा और इस क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
  • संभावित गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है। अब FPI द्वारा की गई मांग से बैंकिंग शेयरों में फिर से वृद्धि हुई है।

अब तक किया गया एफपीआई निवेश आंकड़ा

  • अब हम आपको विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा अब तक कितना धन निवेश हो चुका है उसके बारे में बताएंगे।
  • नवंबर के महीने में लगभग 35109 करोड़ रुपए निवेश किए गए जिसमें कंपनी की अच्छी ग्रोथ देखी इसके साथ ही सरकार द्वारा विदेशी निवेश को अट्रैक्टिव करने के लिए कई सारे अहम कदम भी उठाए गए।
  • डिपोजिटरीज से मिली जानकारी के अनुसार, 2 से 13 नवंबर के दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 29,436 करोड रुपये का निवेश किया, जबकि डेट बाजार में शुद्ध रूप से 5,673 करोड़ रुपये का निवेश किया।
  • इस तरह, भारतीय बाजार में उनका कुल नेट निवेश 35,109 करोड़ रुपये रहा। इससे पहले अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने 22,033 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी।
  • अर्जुन यश महाजन ने ऐसे सेक्टर की कंपनियों में निवेश करने की सलाह दी है, जो आर्थिक कमजोरी के चलते लंबे समय से दबाव में रही हैं, उन्होनें कहा कि ऑटो कंपनियों के साथ ही कृषि सेक्टर, फार्मा, आईटी और निजी बैंक आकर्षक नजर आ रहे हैं।
  • खबर के मुताबिक, जनवरी में एफपीआई ने 14,649 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
  • फरवरी में अब तक भारतीय बाजारों में 22,038 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी निवेश कर चुके हैं।
  • डिपॉजिटरी के आंकड़ों में इस दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयरों में 20,593 करोड़ रुपये और ऋणपत्रों में 1,445 करोड़ रुपये लगाये हैं।  इस तरह 1 फरवरी से 12 फरवरी के दौरान शुद्ध निवेश 22,038 करोड़ रुपये रहा।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2020 में भारतीय शेयर बाजारों में 1.4 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया।  यह उनके निवेश का अबतक का सबसे ऊंचा लेवल है।
  • 2020 में हाइब्रिड प्रतिभूतियों में एफपीआई ने शुद्ध रूप से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
  • एफडीआई हासिल करने के मामले में भारत 20 वर्षो में पहली बार चीन से आगे निकल गया।

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