एनबीएफसी क्या है और NBFC लाइसेंस प्रक्रिया क्या होती है एवं इसकी फुल फॉर्म क्या होती है व भारत में इसकी कंपनी कौन सी है
जैसे कि आप सब लोग जानते हैं कि आजकल एक ऐसी लोन की सुविधा आ गई है जो आपको बिना बैंक जाए ही प्राप्त होती है जिसे हम एनबीएफसी कहते हैं। यह बैंक की तरह ही काम करने वाली फाइनेंसियल कंपनी होती है जो पैसे का लेन देन का काम करती है। लेकिन यह बैंक से बिल्कुल अलग होती है इसे आप एक बैंक का हिस्सा भी कह सकते हैं। अगर बात की जाए एनबीएफसी के काम की तो एनबीएफसी एक ऐसी कंपनी है जो जमा योजना के तहत पहले ही लोगों का पैसा जमा करती है। फिर उन्हें कई प्रकार के शरण प्रदान करती है। अगर आप भी NBFC का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इसमें निवेश करवाना होता है। दोस्तों आज मैं आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से एनबीएफसी क्या है और एनबीएफसी का क्या महत्व है?
NBFC क्या होता है?
एनबीएफसी की फुल फॉर्म है Non Banking Financial Company होता है जिसका हिंदी अर्थ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी होता है। बैंक की तरह काम करने वाली इन गैर-बैंकिंग कंपनियों को दुनियाभर में ‘शैडो बैंकिंग सिस्टम’ भी कहते हैं। यह एक तरह की कंपनी है जो वित्तीय लेनदेन का कार्य करती है पर यह वास्तविक रुप से बैंक नहीं होती है। एनबीएफसी एक प्रकार के रजिस्टर्ड कंपनी होती है जो आपको नॉन बैंकिंग का काम प्रदान करती है। नॉन बैंकिंग का मतलब है कि आपको बिना बैंक से मदद लिए एसी नॉन बैंकिंग कंपनी से पैसे लेना। एनबीएफसी कंपनी सभी बैंकों की तरह ही होती है। यह एक तरह से लोगों का पैसा जमा करने का काम करती है। फिर उन्हें तरह-तरह के ऋण प्रदान करती है। यह एक तरह की वित्तीय संस्था होती है जो बैंक की तरह काम करती है लेकिन यह किसी बैंक की तरह नहीं होती।
एनबीएफसी एक तरह की योजना के तहत काम करती है जो लोगों से पैसा जमा करती है और फिर कुछ समय बाद लोगों को लोन के रूप में मुनाफे का कुछ हिस्सा प्रदान करती है। एनबीएफसी कंपनी एक तरह से जमा राशि, बीमा, उधार, शेयर स्टॉक के विषय में काम करती है।
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NBFC की फुल फॉर्म क्या होती है?
NBFC की फुल फॉर्म है Non Banking Financial Company इसको हिंदी में कहते हैं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी। यह एक तरह की कंपनी है जो वित्तीय लेनदेन का कार्य करती है पर यह वास्तविक रुप से बैंक नहीं होती है।
1963 से भारतीय रिज़र्व बैंक ने शुरू किए एनबीएफसी के नियम
1960 में एनबीएफसी में पैसे जमा कराने वाले कई लोगों की राशि डूब गई जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने 1963 से एनबीएफसी पर नजर रखना और उनके लिए नियम बनाना शुरू कर दिया। इसलिए एनबीएफसी कंपनी अब बैंक जैसी गतिविधियां करती हैं उनका नियमन अब भारतीय रिजर्व बैंक करता है। NBFC के कुछ कार्य भी भारतीय रिज़र्व बैंक के अंडर होते हैं क्योंकि, अन्य कंपनियों के लिए काम करने की अलग-अलग व्यवस्था की जाती है जैसे- जैसे बीमा कपनियों के लिए आइआरडीए, मर्चेंट बैंकिंग कंपनी, वेंचर कैपिटल कंपनी, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी और म्युचुअल फंडों के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), आवास वित्त कपंनियों के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) निधि कंपनियों के लिए कंपनी कार्य विभाग(DCA) और चिट फंड कंपनियों के लिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है।
एनबीएफसी का महत्व
एनबीएफसी कंपनी का काम करने का तरीका बैंक की तरह ही होता है लेकिन इस कंपनी को बैंक की तरह सस्ती दर पर फंड प्राप्त नहीं होता है। इसीलिए इस तरह की सभी कंपनियों को बैंक से कर्ज लेना पड़ जाता है जिसके बाद यह कंपनियां नॉन कन्वर्टिबल देबेंचर्स( एनसीडी) ऑन कमर्शियल पेपर के माध्यम से अपना फंड दे पाते हैं। यह कंपनी नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर को उधार लेने के लिए जारी कर देती है जिसे एक ब्रांड कहा जाता है। इसके अलावा एनबीएफसी के जरिए भारत सरकार की मुद्रा योजना भी चलाई जाती है उस मुद्रा का नाम माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड फाइनेंस एजेंसी रखा गया है। इस मुद्रा योजना को छोटे लोगों को लोन मुहैया कराने के लिए शुरू किया गया है। सरफैसी कानून के तहत रजिस्ट्रेशन की जाने वाली एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को सरकार एनबीएफसी के रूप में ही अधिसूचित करती है।
भारत में एनबीएफसी कंपनी
2014 आंकड़ों के अनुसार भारत में 36000 से भी अधिक फाइनेंस कंपनियां हैं। चलिए हम आपको उनमें से कुछ प्रमुख कंपनियों का नाम बताते है-
- Mahindra Finance
- Dewan Housing Finance
- India Infoline
- TATA Capital
- Bajaj Finance
- LIC Housing Finance
- Indiabulls
- Fullerton
- L&T Finance
- Muthoot Fincorp
बैंक और एनबीएफसी में अंतर
एनबीएफसी बैंक की तरह काम करते हैं लेकिन वे बैंक नहीं होते। उदाहरण के लिए एनबीएफसी, बैंक की तरह डिमांड डिपोजिट (मांग जमा) स्वीकार नहीं कर सकती। बैंक की तरह एनबीएफसी चैक भी जारी नहीं कर सकती हैं क्योंकि वे पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम का भाग नहीं होती हैं। बैंक में जो राशि जमा होती है, डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट कॉरपोरेशन उसका बीमा करता है। एनबीएफसी में राशि जमा करने वालों को यह सुविधा नहीं मिलती।
एनबीएफसी के प्रकार
Housing finance company- यह आपको घर लेने के लिए लोन प्रदान करते हैं।
Asset finance company- यह आपको संपत्ति से संबंधित लोन प्रदान करती है।
Mortgage finance company- यह आपको संपत्तियों से बंधक लोन प्रदान करती है।
Investment company- यह आपको निवेश की सुविधा प्रदान करती है।
Infrastructure finance company- यह आपको इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कार्यों के लिए लोन प्रदान करती है।
Micro finance company- यह आपको छोटे लोन प्रदान करती है।
NBFC में पंजीकरण प्रक्रिया
- अगर आपको एनबीएफसी में पंजीकरण करवाना है तो आपको कंपनी द्वारा बताए गए जरूरी दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी।
- एनबीएफसी में पंजीकरण करवाने के लिए आपको किसी एनबीएफसी कंपनी से संपर्क करना है और उनसे आवेदन फॉर्म लेकर भरना है।
- आवेदन फॉर्म भरने के लिए आपको दो टाइप में रखा जाएगा टाइप 1 एंड टाइप 2। टाइप वन में वह लोग आते हैं जिनका पंजीकरण पहले कर दिया जाता है। और टाइप टू का पंजीकरण उसके बाद कर दिया जाएगा।
एमएसएमई के लिए एनबीएफसी बिजनेस लोन
बड़े कारोबार को बैंक से इसलिए असानी से बिजनेस लोन मिल जाता है क्योंकि बड़े कारोबारियों के पास गिरवी रखने के लिए प्रापर्टी होती है। छोटे कारोबारियों के पास इतनी प्रापर्टी नहीं होती है जिसे गिरवी रखकर वह बिजनेस लोन ले सकें। यहां पर छोटे कारोबारियों की मदद करता है एनबीएफसी। क्योंकि कई एनबीएफसी से छोटे कारोबारियों को बिना कुछ गिरवी रखे बिजनेस लोन मिलता है। देश की प्रमुख एनबीएफसी कंपनी ZipLoan द्वारा एमएसएमई कारोबारियों को बहुत आसाम शर्तों पर और बेसिक कागजातों पर 7.5 लाख रुपये तक का बिजनेस लोन, बिना कुछ गिरवी रखे प्रदान किया जाता है।
जिप्लोन से एनबीएफसी लोन लेने से लाभ
कुछ भी गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है – देश की प्रमुख एनबीएफसी ZipLoan द्वारा बिजनेस लोन प्राप्त करने के लिए कुछ भी गिरवी रखने की जरुरत नहीं है। यानी बिजनेस लोन बिना कुछ गिरवी रखे मिलता है।
6 महीने बाद प्री-पेमेंट चार्जेस फ्री – ZipLoan से मिलना वाला बिजनेस लोम 6 महीने बाद प्री-पेमेंट (फोर क्लोजर) चार्जेंस फ्री होता है। मतलब कारोबारी 6 महीने बाद जब चाहें तब बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के इक्कठे बिजनेस लोन की रकम वापस कर सकते हैं।
सिर्फ 3 दिन* में लोन की मंजूरी – एमएसएमई कारोबारियों के लिए धन की आवश्यकता होती है। अगर धन मिलने में देर हो जाये तो बिजनेस डील कैंसिल या कारोबार का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना रहती है। इसीलिए ZipLoan द्वारा बिजनेस लोन की मंजूरी सिर्फ 3 दिन* में प्रदान की जाती है।
Zipscore के आधार पर बिजनेस लोन – कई बार कारोबारियों का सिबिल स्कोर किन्हीं कारणों से कम हो जाता है। इसके चलते उन्हें बिजनेस लोन मिलने में कठिनाई का सामना करना होता है। लेकिन ZipLoan द्वारा सिर्फ क्रेडिट स्कोर के आधार पर बिजनेस लोन नहीं प्रदान किया जाता है।
आसान EMI में लोन चुकाने का मौका – ZipLoan से प्राप्त बिजनेस लोन को आसान ईएमआई में चुकाया जा सकता है। बिजनेस लोन को 12 महीना से लेकर 36 महीना की EMI में चुकाया जा सकता है।
टॉप-अप लोन की सुविधा – एनबीएफसी कंपनी ZipLoan द्वारा उन ग्राहकों के लिए टॉप-अप लोन की सुविधा प्रदान की जाती है, जिन ग्राहकों के वर्तमान बिजनेस लोन की 9 EMI का भुगतान तय समय पर किया होता है।
ज़िप्लोन से एनबीएफसी बिजनेस लोन की पात्रता
- कारोबार 2 साल से अधिक पुराना होना चाहीए।
- बिजनेस का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये से अधिक होना चाहिए।
- सालाना आईटीआर 1.5 लाख रुपये से अधिक की फाइल होना चाहिए।
- घर की जगह और बिजनेस की जगह दोनों अलग – अलग होना चाहिए।
- बिजनेस की जगह या घर की जगह में से कोई एक खुद कारोबारी के नाम पर या किसी बल्ड संबंधित के नाम पर होना चाहिए।
जिप्लॉन एनबीएफसी बिजनेस लोन के लिए जरुरी दस्तावेज़
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- पिछले 9 महीने का बैंक स्टेटमेंट
- पिछले वित्तिया वर्ष में फाइल की गई आईटीआर की कॉपी
- घर या बिजनेस का जगह में से किसी एक का मालिकाना हक का प्रुफ। यह प्रुफ किसी ब्लड रिलेटिव के नाम पर होगा तो भी मान्य किया जाता है।