विश्व युद्ध क्या होता है और Second World War Kab Hua Tha एवं क्यों हुआ व विश्व युद्ध का प्रमुख कारण क्या था जाने सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
इतिहास के पन्नों पर काले अध्याय के रूप में लिखा द्वितीय विश्व युद्ध आज भी लोगों को अंदर से झकझोर देता है क्योंकि इस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जो हानि विश्व को पहुंची है वह एक प्रलयकारी घटना से कम नहीं है हालांकि जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था तो भविष्य में ऐसी कोई भी घटना ना घटे उसके लिए वर्ष 1919 में राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी लेकिन उसके 20 वर्षों बाद ही Second World War को रोका नहीं जा सका हालांकि इस सेकंड वर्ल्ड वार की शुरुआत वर्ष 1939 में यूरोप से ही हुई थी तो आज इस लेख में हम आपको द्वितीय विश्व युद्ध से संबंधित विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे जिसे आप भी विश्व की सबसे प्रलय कारी घटना के बारे में जान सकें।
द्वितीय विश्व युद्ध(Second World War)किसके बीच लड़ा गया?
द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत वर्ष 1939 में हो गई थी जो कि मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्रों के बीच लड़ा गया था जिसमे मित्र राष्ट्रों की सूची में मुख्य रूप से अमेरिका फ्रांस और ग्रेट ब्रिटेन आते थे तो वही धुरी राष्ट्रों की सूची में इटली, जापान, जर्मनी आते थे हालांकि इसमें लगभग 70 देशों की सेनाएं सम्मिलित थी और शायद यही कारण है कि से विश्व का सबसे बड़ा युद्ध भी माना जाता है क्योंकि इसमें लगभग सभी राष्ट्रों के 10 करोड़ सैनिकों ने भाग लिया था जिसमें 5 करोड़ से अधिक लोगों की जान गई थी तो वही 2 करोड़ से अधिक लोग घायल भी हुए थे और इसी Second World War के अंतर्गत पहली बार विनाशकारी बम परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था जो कि अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर किया था।
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Second World War कब हुआ?
द्वितीय विश्वयुद्ध,राष्ट्र संघ की स्थापना 1919 के लगभग 20 वर्ष बाद 1939 में लड़ा गया जोकि प्रथम विश्व युद्ध की समापन के साथ ही इस युद्ध की भूमिका भी बन गई थी ऐसा इसलिए भी था क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुई वर्साय की संधि को ही इसका मुख्य कारण भी माना जाता रहा है हालांकि कुछ मतों के अनुसार इसकी शुरुआत 1931 से भी मानी जाती है जो कि जापान ने चाइना के मंचूरिया पर कब्जा करके छीन लेने का दावा है तो वही 1935 में इटली में एबीसनिया पर हमला करके अपना अधिकार स्थापित कर लिया इसे भी मुख्य कारण के तौर पर जाना जाता है।
द्वितीय विश्वयुद्ध क्यों हुआ?
वर्ष 1936 में जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने राइनलैंड पर अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने का कार्य शुरू कर दिया था और इसी बीच 7 जुलाई 1937 को मार्कोपोलो पुल हादसा भी घटित हो गया जिससे जापान और चाइना के बीच युद्ध शुरू हो गया जो कि काफी ज्यादा समय तक चलता रहा परंतु जर्मनी यहीं नहीं रुका उसने 1 सितंबर 1939 को पोलैंड में घुसपैठ कर दी जिसका परिणाम यह हुआ कि ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी से बदला लेने के लिए युद्ध की घोषणा कर दी जोकि काफी दिनों तक चलता रहा |
जिसमें बहुत से देश जुड़ते गए और भारत ने भी अंग्रेजों के अधीन होते हुए ब्रिटेन का साथ दिया और इस प्रकार से द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 से शुरू होकर 14 सितंबर 1945 में समाप्त हुआ परंतु तब तक पूरा विश्व भयंकर भुखमरी का शिकार हो चुका था और इस प्रलय ने विश्व के संपूर्ण देशों को हिला कर रख दिया था।
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रमुख कारण क्या था?
यदि इतिहास के पन्ने को पलट कर देखें तो Second World War का जो प्रमुख कारण था वह कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आकर रुक जा रहा था क्योंकि उस समय विश्व में सभी देश आपस में उलझे हुए थे और एक दूसरे को अपनी शक्ति का एहसास करा रहे थे तो आज निम्नलिखित हम आपको उस प्रमुख कारण के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे जिसके द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध की घटना घटी।
विश्व में तानाशाही शक्तियों का जन्म
जब प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो समय बहुत सी तानाशाही शक्तियों का भी जन्म हुआ क्योंकि जहां एक तरफ जर्मनी में हिटलर ने अपना तानाशाही रवैया अपनाया तो वही मुसोलिनी ने भी अपने आप को तानाशाह घोषित कर दिया ऐसा इसलिए क्योंकि पेरिस शांति सम्मेलन में इटली को कोई खास लाभ ना होने के कारण वहां पर काफी ज्यादा असंतोष की भावना उठ चुकी थी जिसका फायदा व्यापक तौर पर मुसोलिनी ने फासीवाद की स्थापना करके सारी महत्वपूर्ण शक्तियों को अपने हाथों पर केंद्रित कर लिया जिसका साथ जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने बखूबी दिया और उसने जर्मनी में नाजीवाद की स्थापना करके वहां पर अपना शासन स्थापित कर लिया और दोनों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता को ही ठुकरा दिया जिससे Second World War के आसार बढ़ने लगे थे।
साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा
द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य कारण यदि देखा जाए तो साम्राज्यवाद को भी माना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि जितनी भी उस समय के साम्राज्यवादी शक्तियां थी उन सभी ने एक दूसरे से आगे निकलने के लिए अपने साम्राज्य को विस्तार करने में लग गई थी ऐसे में जब 1930 का दशक आया तो सभी एक दूसरे के ऊपर आक्रमण करने के लिए तैयार बैठी थी शायद यही कारण था कि वर्ष 1931 में जापान ने चीन पर आक्रमण करके मंचूरिया को कब्जा कर लिया तो वहीं 1935 में इटली ने इथोपिया और जर्मनी ने राइनलैंड पर कब्जा कर लिया जिससे एक दूसरे के बीच विश्वास की कमी बढ़ती चली गई जिसका फायदा अन्य बड़े देशों ने बखूबी से उठाया।
आपसी मतभेद से गुटों का निर्माण होना
जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा था जर्मनी की शक्तियां निरंतर बढ़ती जा रही थी जिसका खतरा यूरोपीय राष्ट्र के देशों ने भाप लिया था ऐसे में उन लोगों ने अपने देश की सुरक्षा के लिए कई देशों को मिलाकर एक गुट तैयार किया जिसकी शुरुआत फ्रांस ने की और ऐसे में जर्मनी के आसपास के जितने राष्ट्र थे उन्हें अपने में मिलाकर एक मजबूत गुट बनाने का कार्य किया तो वहीं जर्मनी और इटली ने भी एक अलग गुट बनाकर अपनी ताकत का एहसास कराया जिसमें जर्मनी इटली और जापान मुख्य रूप से थे जिन्हें बाद में धुरी राष्ट्र के तौर पर जाना जाने लगा और वही मित्र राष्ट्र के तौर पर फ्रांस इंग्लैंड अमेरिका और सोवियत संघ का अलग रूप बनकर तैयार हो गया इस प्रकार से गुटों के निर्माण से एक दूसरे के विरुद्ध नफरत की भावना फैलने लगी।
हथियार के निर्माण में तेजी
जब प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो ऐसे में सभी राष्ट्रों ने अपने अपने देश में हथियार निर्माण करने की होड़ शुरू कर दी ऐसे में जर्मनी ने हथियारों का जखीरा बनाया तो वही फ्रांस ने जर्मनी के आक्रमण को रोकने के लिए भूमिगत किलाबंदी भी करनी शुरू कर दी जिसके जवाब में जर्मनी ने अपनी पश्चिमी सीमा को मजबूत करते हुए सीजफ्रेड लाइन बनाई और इस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध को इन्हीं छोटी-छोटी चीजों से बढ़ावा मिलता चला गया।
विश्व आर्थिक मंदी का असर
Second World War का यदि एक महत्वपूर्ण कारण माना जाए तो वह आर्थिक मंदी को भी दर्शाता है जिसका युद्ध को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा क्योंकि उस समय विश्व में उत्पादन घट चुका था बेरोजगारी और भुखमरी चरम सीमा पर चली गई थी और जितने भी कृषि व्यापार और उद्योग थे वह बुरी तरह से प्रभावित हो चुके थे जिसमें से सबसे ज्यादा बुरी स्थिति जर्मनी की मानी जा रही थी हालांकि हिटलर ने वर्साय की संधि को ही इस स्थिति का कारण माना और इसका लाभ उठाते हुए उसने अपने आप को जर्मनी का तानाशाह घोषित कर दिया।
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द्वितीय विश्वयुद्ध परिणाम
द्वितीय विश्व युद्ध 6 वर्षों तक लगातार चलता गया जिस कारण से संपूर्ण विश्व को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा ऐसे में विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जो परिणाम निकल कर आए वह निम्नलिखित हैं।
जान माल की हानि
Second World War को अब तक का सबसे बड़ा प्रलयकारी युद्ध के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इस विश्व युद्ध के द्वारा जान माल की सबसे अधिक क्षति पहुंची है जिसमें लगभग 5 करोड़ से अधिक लोग मारे गए और 2 करोड़ से अधिक लोग घायल हो चुके थे और ना जाने कितने लोगों को बेघर होना पड़ गया था जिनके लिए सबसे बड़ी समस्या पुनर्वास की खड़ी थी और जापान के दोनों शहर हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम के हमले के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गए थे और इस विश्व युद्ध के द्वारा लाखों यहूदियों की भी हत्या कर दी गई थी ऐसे में यह अब तक का सबसे विनाशकारी युद्ध के तौर पर जाना जाता रहा है।
अमेरिका और सोवियत संघ की शक्ति का विस्तार
यदि Second World War के दौरान किसी देश को लाभ पहुंचा है तो अमेरिका और सोवियत संघ को ही माना जाता है क्योंकि भले ही पूरे विश्व के देशों को नुकसान उठाना पड़ा हो परंतु इन दोनों देशों की शक्ति का विस्तार काफी ज्यादा हुआ और शायद यही कारण है कि आज भी इन दोनों देशों के इर्द-गिर्द ही विश्व की राजनीति घूमती रहती है क्योंकि इन दोनों देशों ने अपनी चालबाजी से ताकत को बढ़ाने का कार्य किया।
साम्यवाद को बढ़ावा मिलना
दूसरे विश्व युद्ध समाप्ति पर फासीवादी और साम्राज्यवादी शक्तियां काफी हद तक खत्म हो चुकी थी और जो थोड़ा बहुत बची थी वह दोबारा से स्थिति संभालने के काबिल नहीं बची थी ऐसे में इसी का फायदा सोवियत संघ ने उठाते हुए साम्यवाद को बढ़ावा दिया जिससे इसने एक बेहतर साम्यवाद व्यवस्था को स्थापित किया।
जर्मनी का बटवारा
जब दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो उस समय सबसे बुरी हालत जर्मनी की थी क्योंकि जर्मनी को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था जो कि पश्चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी के नाम से जाना जाने लगा ऐसे में पश्चिमी जर्मनी को इंग्लैंड अमेरिका और फ्रांस तथा पूर्वी जर्मनी को सोवियत संघ के संरक्षण में रखने का कार्य किया गया इन दोनों को विभाजित करने के लिए बर्लिन की दीवार को स्थापित किया गया परंतु बाद में बर्लिन की दीवार को तोड़कर जर्मनी का एकीकरण कर दिया गया और फिर जर्मनी खुद एक स्वतंत्र राष्ट्र बन कर उभरा।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सभी देशों ने मिलकर यह निर्णय लिया गया कि दोबारा से ऐसी कोई घटना ना घटे ऐसे में एक ऐसे संगठन का निर्माण किया जाए जो विश्व में शांति व्यवस्था को बनाए रखने का कार्य करें जिसके बाद अमरीका की अगुवाई में 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र नामक संस्था की शुरुआत की गई जो वर्तमान समय में विश्व के सभी देशों को एक बेहतर राजनीतिक मुद्दों पर राय देता आ रहा है।
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
वर्ष 1945 को जब Second World War खत्म हुआ तो उस समय पूरे विश्व में हाहाकार मची हुई थी ऐसा इसलिए भी था क्योंकि जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पूरी तरीके से नष्ट हो चुके थे जर्मनी का बटवारा हो चुका था और उसके साथ ही साथ सबसे बड़ी दुखदाई जो घटना थी वजह थी कि इस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग पांच से सात करोड़ सैनिकों की जान जा चुकी थी जिसमें दो करोड़ घायल थे और इतने ही लोग घर से बेघर हो चुके थे और इन सब की समस्या यह थी कि उन्हें कैसे पुनर्वास कराया जा सके, चारों तरफ भूखमरी फैली हुई थी और बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच गई थी जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई थी।
द्वितीय विश्व से संबंधित कुछ सवाल जवाब(FAQs)
यदि द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य कारण की बात करें तो जर्मनी हमेशा से ही वर्साय की संधि को इसका मुख्य कारण मानती रही है ऐसा इसलिए क्योंकि इस संधि के द्वारा ही जर्मनी की बहुत सी शक्तियों को खत्म कर दिया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध में दो गुटों ने आपस में युद्ध लड़ा था जिसके अंतर्गत लगभग 70 देश सम्मिलित हुए थे पहला गुट जिसे मित्र राष्ट्र के नाम से जानते हैं उसमें अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन आदि थे तो वही धुरी राष्ट्र के तौर पर दूसरा ग्रुप था जिसमें जर्मनी, इटली, जापान आदि देश सम्मिलित थे।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सभी देशों ने आपसी सहमति से एक मांग रखी कि एक ऐसे संगठन की शुरुआत की जाए जो विश्व में शांति समझौतों को व्यवस्थित रूप से लागू कर सकें ऐसे में अमेरिका ने 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की जो कि विश्व में शांति व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करती है।