TRAI क्या है और जानिए ट्राई (TRAI Full Form) का पूरा नाम हिंदी में

TRAI Kya Hai और इसका पूरा नाम क्या है एवं Telecom Regulatory Authority of India के कार्य क्या है व इसकी स्थापना कब हुई थी

दोस्तों आज हम आपको ट्राई के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे कि इसकी फुल फॉर्म क्या है क्योंकि आज के कम्युनिकेशन के दौर में उपभोक्ताओं काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है इसीलिए भारत सरकार ने उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए ट्राई की स्थापना की जिससे भारत की कम्युनिकेशन और ज्यादा अग्रणी हो जाए और भारत की पहचान एक अच्छे कम्युनिकेट देश में गिनती हो सके। TRAI का मुख्य उद्देश्य सबको बराबरी दिलाना है चाहे वह टेलीकम्युनिकेशन सर्विस हो या उपभोक्ता सबका ही ध्यान रखना है इसीलिए हम आप आज आपको इसके बारे में बता रहे हैं।

TRAI क्या है ?

ट्राई टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक स्वतंत्र रेगुलेटरी सिस्टम है जो भारत में दूरसंचार उद्योग की देखरेख के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक संस्था अधिनियम 1997 द्वारा स्थापित है। TRAI का मिशन बनाना और उसके लिए परिस्थितियों का पोषण करना है। दूरसंचार प्रणाली को फैलाना इसका मकसद है देश में प्रसारण और केबल सेवाओ को बढ़ावा देना और सही करना है उभरती हुई सूचनाओं को आगे रखने की भूमिका अदा करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर सर्वेक्षण करता है कि दूरसंचार सेवा प्रोवाइडर उपभोक्ताओं के  हित में काम कर रहे हैं और सेवा की जिम्मेदारियों का पालन कर रहे हैं या नहीं। TRAI के कार्यों का उल्लेख TRAI अधिनियम की धारा 11 के तहत किया गया है।

TRAl Kya Hai
TRAl Kya Hai

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ट्राई का फुल फॉर्म क्या है?

TRAI की फुल फॉर्म टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया है इसको हिंदी में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण कहते हैं। सन 2000 के संशोधन अधिनियम के अनुसार ट्राई के कार्यों को चार व्यापक श्रेणियों में बांटा गया है जो विभिन्न मुद्दों पर सिफारिशें, विनियामक और सामान्य प्रशासनिक कार्य, दूरसंचार सेवाओं के लिए टैरिफ और दरों को निर्धारित करने और केंद्र सरकार द्वारा सौंपे गए किसी भी अन्य कार्य को कर सकता है।

ट्राई की स्थापना

TRAI एक प्रकार संस्था हैं, जिसकी शुरुआत 20 फरवरी 1997 में कर दी गई थी। ट्राई एक ऐसी संस्था हैं, जिसमें एक अध्यक्ष एवं न्यूनतम दो और अधिकतम छह सदस्य शामिल किये जाते हैं और केंद्र सरकार द्वारा इनकी नियुक्ति की जाती है लेकिन ट्राई में केवल वहीं अध्यक्ष शामिल किया जाता है, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है या फिर वह पहले रह चुका हो, इसके अलावा या फिर वह उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो या फिर पहले रह चुका हो। वहीं ट्राई में उन सदस्यों को  शामिल किया जाता है, जो  दूरसंचार, उद्योग, वित्त लेखांकन, विधि प्रबंधन एवं उपभोक्ता मामलों के क्षेत्र में से किसी में विशेष ज्ञान एवं पेशेवर में पूर्ण रूप से अनुभव प्राप्त कर चुका हो और उसे हर बात की जानकारी हो।

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TRAI के उद्देश्य

  • ट्राई अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित रखती है और इसका उद्देश्य रेगुलेटरी व्यवस्था को प्रदान करना है जिस प्रकार की भी सुविधा है टेलीकॉम के उद्देश्यों की उपलब्धि को हासिल करना है।
  • देश में दूरसंचार व्यवस्था को लागू करना और यह देखना कि उपभोक्ता को ज्यादा कीमत पर कम्युनिकेशन का इस्तेमाल तो नहीं कराया जा रहा है  दुनिया में सबसे अच्छा करने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी नीति प्रदान करना है।
  • ट्राई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को निष्पक्ष, पारदर्शी, शीघ्र और न्यायसंगत अनुमति देता है। टैरिफ को फिर से संतुलित करना ताकि उद्देश्यों की पूर्ति हो सके। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और संबंधित सामान्य उपभोक्ता चिंताओं को संबोधित करना।
  • मूल्य निर्धारण और सेवा की गुणवत्ता की निगरानी करना। दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सुविधाओं के प्रसार के लिए ऑपरेटरों प्रोत्साहित करना। टीवी चैनलों की बढ़ती मांग को देखकर ऑपरेटर्स को नई सुविधाऐं प्रदान करना  इसका मुख्य लक्ष्य है।

TRAI के कार्य

दोस्तों यहां हम आपको ट्राई के कार्यों के बारे में बता रहे हैं जो निम्नलिखित हैं।

  • 60 दिनों के भीतर ट्राई के पास सिफारिशों के अनुरोध की तारीख से केंद्र सरकार को सिफारिश को आगे करने की जिम्मेदारी है।
  • और 7 दिनों के भीतर केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ट्राई के अनुरोध की तारीख तक कार्यवाही को आगे बढ़ाएं।
  • यहां तक ​​कि केंद्र सरकार भी सेवा प्रदाता को नोटिस  जारी कर सकती है।
  • केंद्र सरकार किसी भी संशोधन की आवश्यकता होने पर ट्राई द्वारा की गई सिफारिशों को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकती है।
  • इस संदर्भ की तारीख से ट्राई 15 दिनों की अवधि के भीतर जवाब दे सकता है।
  • ट्राई के पास आधिकारो में यह सूचित करने की शक्ति है कि भारत में और बाहर दूरसंचार सेवाएं किस दर पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।
  • TRAI का यह कर्तव्य है कि वह अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और अपने कार्यों का निर्वहन करते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
  • ट्राई के सेक्शन 12 के तहत सूचना मांगने और जांच कराने की शक्ति है।
  • धारा 13 के तहत ट्राई के पास निर्देश जारी करने की भी शक्ति है।
  • ट्राई ने उपभोक्ता संगठनों के साथ बातचीत के ढांचे को मजबूत करने के लिए 21 फरवरी 2013 को उपभोक्ता संगठनों के पंजीकरण का नोटिस भी जारी किया है।
  • हाल ही में TRAI ने वॉयस, डेटा क्वालिटी और ट्रैकिंग के लिए 3 मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल पेश किए हैं।

इंपोर्टेंट प्वाइंट

  • जब किसी ग्राहक को टेलीकॉम ऑपरेटर के प्रति शिकायत करनी होती है वह अपनी शिकायत ट्राई को ही करता है।
  • इसके बाद यदि कोई ऑपरेटर दिए गए रोल, रेगुलेशन का उलंघन करता है, तो ट्राई उसके प्रति कार्यवाही कर सकता है।
  • ट्राई नए सेवा प्रदाताओं के लिए समय एवं जरूरतों की अनुशंसा करने के काम करता है।
  • ट्राई एक सेवा प्रदाता के लिए लाइसेंस की सेवा शर्तो की अनुशंसा करने के काम की जिम्मेदारी बखूबी निभाता है।
  • यह दूरसंचार सेवाओं के प्रचालन में प्रतिस्पर्द्धा को सुसाध्य बनाता है और इन सेवाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए कार्यदक्षता को बढ़ावा देने का काम करता है।
  • यह नेटवर्क में प्रयुक्त उपकरण की जांच करता है और सेवा प्रदाताओं द्वारा उपकरणों के उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।

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