ATM Kya Hota Hai और एटीएम से पैसे कैसे निकाल सकते हैं एवं इसकी फुल फॉर्म क्या होती है व एटीएम मशीन के प्रकार क्या होते है
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से काम हमारे पूरे होते हैं और काफी सारे काम रह जाते हैं और कुछ बैंक के काम में ऐसे होते हैं जिनको करने में समय तो बहुत करता है पर हमारे पास समय की कमी होती है। जैसे कि बैंक से पैसे निकालने का काम पैसे जमा करने का काम है। बैंक में कितने पैसे हैं जानना है और इन सब छोटे और महत्वपूर्ण कामों के लिए बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं और लंबी लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है और इससे हमारा कीमती वक्त जाया होता है। इसीलिए ATM बनाया गया दुनिया के हर चप्पे-चप्पे पर एटीएम से हम पैसे निकाल वह जमा कर सकते हैं।
एटीएम क्या होता है?
ATM मशीन है जिसकी मदद से व्यक्ति पैसे निकाल वह जमा कर सकता है। अपने बैंक अकाउंट के जरिए एटीएम की फुल फॉर्म होती है ( AUTOMATED TELLER MACHINE) इसको हिंदी में स्वयंचलित मुद्रा वितरण यंत्र बोला जाता है। ATM मशीन के जरिए हम पैसे निकालने में कोई परेशानी नहीं आती एटीएम 24 घंटे हमारे लिए खुला रहता है। एटीएम कार्ड प्लास्टिक का कार्ड होता है जिसमें एक मैग्नेटिक चेक होती है जिसमें आपका यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर होता है और कुछ सुरक्षा सूचना होती हैं जैसे कि उसकी समाप्ति तिथि क्या है और सीवीवी क्या है? एटीएम कार्ड को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे के बैंक खाते में सिम कार्ड की कार्ड और कैश कार्ड।
ATM के नाम
- एटीएम के काफी सारे नाम है जैसे यूनाइटेड स्टेट में एटीएम को ऑटोमेटिक टेलर मशीन बोलते हैं।
- कनाडा में ऑटोमेटिक पैकिंग मशीन बोलते हैं
- और भी काफी सारे नाम है जिससे एटीएम को पुकारा जा सकता है जैसे के टेस्ट प्वाइंट। कैश मशीन। नी बैंक। टाइम मशीन। कैश डिस्पेंसर। कैश कॉर्नर। आप इनमें से जो चाहे नाम से एटीएम को पुकार सकते हैं।
- आपने देखा हुआ के एटीएम के बाहर ऊपर एक बोर्ड लगा होता है जिस बैंक का वह होता है वह बैंक के एटीएम की पहचान के लिए अपना बोर्ड ओपन लगा देते हैं और काफी सारी एटीएम ऐसे होते हैं जो किसी बैंक के से ट्यूशन से जुड़े नहीं होते उनको WHITE-LABELS एटीएम बोला जाता है।
History Of ATM
- एटीएम की सबसे पहली पीढ़ी का प्रयोग 27 जून, 1967 में लंदन के बार्केले बैंक ने किया था।
- इससे पहले 1960 के दशक में एटीएम को बैंकोग्राफ नाम से जाना जाता था।
- सबसे पहले लंडन में इसका इस्तेमाल हुआ और इसके आविष्कार का श्रेय जॉन शेफर्ड बैरन को दिया जाता है।
- उनका जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 23 जून 1925 को मेघालयके शिलॉन्ग में हुआ था।
- बैरन एटीएम का पिन 6 डिजिट का रखना चाहते थे लेकिन उनकी पत्नी के कहने पर इस पिन को 4 डिजिट का रखा गया और आज भी चार डिजिट का ही पिन चलन में है।
- भारत में पहली बार 1987 में एटीएम की सुविधा शुरू हुई थी।
- भारत में पहला एटीएम हॉगकॉग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) ने मुंबई में लगाया था।
- वर्तमान में एटीएम का प्रयोग दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है।
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एटीएम के प्रकार
1- वाइट लेबल एटीएम
जो ATM गैर-बैंकिंग कंपनी के स्वामित्व में होता है और उनके द्वारा चलाया जाता है, उसे White Label ATM कहते है।
2- ब्राउन लेबल एटीएम
जो ATM बैंक द्वारा ना चलाकर किसी तीसरे पक्ष द्वारा चलाया जाता है, जिसने इसे लीज पर लिया हो, उसे Brown Label ATM कहते है।
3- ऑफ साइट एटीएम
जो ATM बैंक परिसर के बहार संचालित होते है, जैसे मॉल, आवासीय सोसायटी, आदि, उसे Offsite ATM कहते है।
4- ऑन-साइट एटीएम
Onsite ATM उन एटीएम को कहते हैं जो बैंक परिसर के अंदर संचालित होते हैं।
एटीएम मशीन के प्रकार
एटीएम मशीन कई प्रकार की होती है लेकिन हॉट प्रोसेसर केवल दो ही मशीनों को सपोर्ट करता है जो इस प्रकार हैं- 1- Leased line ATM machines
2- Dial-up ATM machines
Leased line ATM machines
इस एटीएम मशीन को फोर वायर पॉइंट टू पॉइंट डेडीकेटेड टेलीफोन लाइन की हेल्प से डायरेक्ट हॉट प्रोसेसर के साथ कनेक्ट किया जाता है। एटीएम मशीन की ऑपरेटिंग कॉस्ट भी बहुत ज्यादा होती है और इसे लोग बहुत ज्यादा पसंद भी करते हैं।
Dial-up ATM machines
मोडम के द्वारा नॉर्मल फोन लाइन की हेल्प से इस एटीएम मशीन को प्रोसेसर के साथ कनेक्ट किया जाता है इसमें नॉर्मल कनेक्शन की जरूरत होती है और इसी के साथ-साथ इनकी इनिशल इंस्टॉलेशन कॉस्ट भी दूसरी एटीएम मशीन की तुलना में कम होते हैं।
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एटीएम की डिवाइसेज
Input Device
1- Card Reader
कार्ड रीडर एक इनपुट डिवाइस है यह निर्धारित अकाउंट की आईडेंटिफाई करने का पार्ट होता है। यह कार्ड से डाटा रीड करता है। कार्ड रीडर के साथ कनेक्शन बनाने के लिए एटीएम कार्ड के बैक साइड में मैगनेटिक स्ट्रिप लगी होती है। जब कार्ड स्वाइप किया जाता है तो मैगनेटिक स्ट्रिप के जरिए सारी इंफॉर्मेशन कैप्चर हो जाती है कार्ड होल्डर के बारे में।
2- Keyped
जब मशीन आपकी डिटेल्स के बारे में पूछते हैं जैसे पर्सनल आईडेंटिफिकेशन नंबर, विड्रॉल और बैलेंस इंक्वायरी तभी कार्ड को रिकॉग्नाइज किया जाता है। सभी कार्ड के पिन अलग होने के कारण बहुत कम चांस होते हैं फ्रॉड के। पिन कोड को सुरक्षित करने के लिए नियम अलग है जैसे इसे हॉट प्रोसेसर के पास सेंड किया जाता है तो इनको इंक्रिप्ट फॉर्म में भेजा जाता है। कीबोर्ड में 48 की होते हैं और उन्हें प्रोसेसर के साथ इंटरफ़ेस किया जाता है।
Output Devise
1- Speaker
जब भी कोई पर्टिकुलर key को प्रेस करता है तब स्पीकर ऑडियो फीडबैक पैदा करती है।
2- Display Screen
डिस्प्ले स्क्रीन पैसों के लेनदेन की सभी जानकारी को डिस्प्ले करता है। withdrawal के सभी स्टैप्स को स्क्रीन पर दिखाया जाता है। इसका उपयोग सभी तरह के एटीएम में होता है।
3- Receipt Printer
रिसिप्ट प्रिंटर आपकी पूरी जानकारी जैसे की आपकी Withdrawl, date and time, पैसे जो की withdraw किया गया और इसके साथ आपके खाते में कितना बैलेंस हैं। रिसिप्ट में सब आ जाता है।
4- Cash Depositer
कैश डिपाजिट में कोई भी यूजर अपने पैसे ले सकता है क्योंकि यह किसी भी एटीएम मशीन का सेंट्रल मशीन होता है। इसमें एटीएम के सारे ट्रांसेक्शन का रिकॉर्ड को रखा जाता है।
ATM का उपयोग
एटीएम का उपयोग करके ग्राहक विभिन्न प्रकार का लेन-देन करने के लिए अपने बैंक में जमा व क्रेडिट खातो तक पहुंचा सकते हैं। सबसे उल्लेखनीय रूप से नकद निकासी और बैलेंस चेकिंग के साथ-साथ मोबाइल फोन से और इसके लिए क्रेडिट स्थानांतरित कर सकते हैं।
एटीएम कहां पाए जाते हैं?
ATM कहीं भी हो सकते हैं पर उनकी जगह ज्यादातर बैंकों के पास शॉपिंग मॉल के पास एयरपोर्ट पर रेलवे स्टेशन पर मेट्रो स्टेशन राशन की दुकानों के पास रेस्टोरेंट्स के पास होती है। क्योंकि इन जगहों पर लोगों को नकद की ज्यादा जरूरत होती है।
ATM से पैसे कैसे निकाले जाते हैं?
एटीएम से पैसे निकालने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें।
- एटीएम कार्ड चिप के साइड से मशीन में लगाएं।
- उसमें अपनी भाषा चुनें।
- अपने चार अंको का पिन डालें।
- ट्रांजेक्शन का तरीका चुने।
- अपने अकाउंट का प्रकार चुनें।
- नकद संख्या डालें कितने आपको निकालने हैं
- अपना नकद इकट्ठा करें
- रसीद निकालने का विकल्प चुनें आपको अपने ट्रांसलेशन की रसीद मिल जाएगी।
एटीएम के फायदे
- ग्राहकों को सहमति देता है: ग्राहकों को एटीएम से बहुत सहमति है जब चाहे जहां चाहे नकत पा सकते हैं एटीएम मशीन के जरिए।
- 24*7 खुला रहता है: एटीएम 24 घंटे खुला मिलेगा आपको दिन में या रात में कभी भी अप नकद निकाल सकते हैं
- बैंक का काम कम करता है: पेटीएम से बैंक को काफी काम कम हो गया है। अब सिर्फ जरूरी काम के लिए ग्राहक बैंक जाते हैं।
- कहीं से भी बैंक अकाउंट चेक कर सकते हैं: आप अगर कहीं बाहर है और बैंक जा नहीं सकते तो बिना किसी टेंशन के एटीएम बैंक अकाउंट्स है। आप अपने बैंक की जानकारी पा सकते हैं।
ATM के नुकसान
- फीस चार्ज होती है: एटीएम को इस्तेमाल करने पर हमें चार्ट कटवाने पड़ते हैं।
- नकद निकालने की सीमा: एटीएम से हमने का नकद निकाल तो सकते हैं पर उस की एक सीमा होती है एक बार में 25000 से ज्यादा नहीं निकाल सकते।
- धोखा हो सकता है: ग्राहक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं। इससे हो सकता है कि चोर आपकी जानकारी प्राप्त करें।
- ग्रामीण क्षेत्र में उपस्थित नहीं है: एटीएम मशीन ग्रामीण क्षेत्रों में उपस्थित नहीं होती हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को परेशानी होती है।
CONCLUSION
उम्मीद रखता हूं क्या आपको इससे पता चल गया होगा कि एटीएम किसको कहते हैं और एटीएम से पैसे कैसे निकाले जा सकते हैं?