Baat Karne Ka Tarika Kya Hai और नए लोगों से हिंदी में बात करने का सही तरीका जाने हिंदी में
जब भी हम कहीं पर जाते हैं तो हमारे व्यक्तित्व की पहचान हमारे बात करने के तरीके से ही जानी जाती है जितना ही सरल स्वभाव के साथ बातचीत किया जाए उतना ही ज्यादा आकर्षण लोगों में पैदा होता है परंतु बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो बीच महफिल में सही तरह से बातचीत ना कर पाने के कारण लज्जित भी हो जाते हैं ऐसे में हमेशा बात करने के सही तरीके को ही अपनाना चाहिए जिससे सामने वाला आपके साथ एक बेहतर तालमेल बना सके और इस तरह से बातचीत शुरू की जा सके जिससे यह ज्ञात हो सके कि आप स्वभाव के धनी व्यक्ति हैं क्योंकि जितना ही ज्यादा सरलता से आप लोगों से पेश आएंगे उतना ही आपका व्यक्तित्व निखरता जाएगा तो आइए हम आपको Baat Karne Ka Tarika के बारे में इस लेख के माध्यम से जानकारी देते हैं।
Baat Karne Ka Tarika in Hindi
किसी भी महफिल प्रोग्राम शादी समारोह या फिर ऐसी जगह जहां पर 2 से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है वहां पर अपने व्यक्तित्व को एक बेहतर तरीके से बातचीत के माध्यम से ही प्रकट किया जाता है जिससे लोगों को यह पता चल पाता है कि सामने वाला व्यक्ति काफी पढ़ा लिखा और स्वभाव का अच्छा इंसान है इसलिए बात करने के तरीके को हमेशा से ही बेहतर तरीके से प्रकट करना चाहिए जिसके बारे में आज हम आपको बारी बारी से जानकारी देंगे।
यह भी पढ़े: 350+ हिंदी मुहावरे
बात करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके
बात करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान अवश्य देना चाहिए जिसके बारे में हम आपको निम्नलिखित बारी बारी से जानकारी देने जा रहे हैं यह वह तरीके हैं जो कि आपके व्यक्तित्व को बेहतर तरीके से प्रकट कर सकेंगे।
बेहतर बॉडी लैंग्वेज(Body Language) को प्रदर्शित करना
जब भी आप किसी भी व्यक्ति के साथ अपनी बातचीत आरंभ कर रहे हैं तो ऐसे मैं आपको एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि जब भी हम बातचीत करते हैं तो उसमें 50% शब्दों का और 50% बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है जिससे सामने वाला बेहतर तरीके से आपकी बात को समझ सकता है इसलिए जितना उचित हो सके बेहतर Body Language को ही प्रदर्शित करें जिससे सामने वाला सहज महसूस कर सके और आपकी बातों का जवाब भी बेहतर तरीके से दे सके।
सामने वाले को बोलने का मौका देना
ज्यादातर हमें यह देखने को मिलता है कि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपनी बातों के आगे किसी की भी बात को अनसुनी कर देते हैं मतलब कि ज्यादातर अपनी ही बातों का बखान करते रहते हैं जिससे सामने वाला ऊबने लगता है इसलिए जितना उचित हो सके सामने वाले को भी बोलने का मौका दें ऐसे में आप एक अच्छे श्रोता भी बन सकेंगे और उसकी बातों को सुनने के बाद जब आप अपना पक्ष रखेंगे तो आप बेहतर वक्ता के तौर पर भी जाने जा सकते हैं।
बहस से बचना चाहिए
जब भी आप किसी समूह महफिल में बैठकर बातचीत कर रहे हैं और कोई ऐसा मुद्दा आ गया जहां पर सभी के विचार अलग-अलग मतभेद रखते हैं तो आपको वहां पर बहस से बचना चाहिए क्योंकि यदि आप बहस करेंगे तो आप का लोगों के ऊपर नकारात्मक झुकाव होगा जिससे लोग आपकी बात से सहमत नहीं होंगे और बहस बाजी से तकरार भी बढ़ने का खतरा होता है इसलिए जितना कम हो सके बहस करना चाहिए या बिल्कुल ना के बराबर करना चाहिए यदि आपको सामने वाली की बात उचित नहीं लग रही है तो आप सरलता से भी उस बात को बोल सकते हैं।
बात कहने का तरीका सही होना चाहिए
यदि किसी मुद्दे को लेकर आपकी सामने वाले के साथ बातचीत हो रही है तो ऐसे में जितना हो सके आप उस मतभेद वाली बात को बेहतर और सहजता से कहें क्योंकि यदि आपकी बातों में कड़वाहट होगी तो सामने वाला भी इससे विचलित हो जाएगा और ऐसे में बात बात में लड़ाई झगड़े जैसी नौबत भी आ सकती है इसलिए अपनी बात को एक बेहतर तरीके से प्रकट करें और उसका तरीका एकदम सहज होना चाहिए जिससे सामने वालों को आपकी बात का बुरा ना लगे और वह भी आपकी बातों को स्पष्ट तौर पर समझ सके।
शब्दकोश का विस्तार करना
बातचीत का सबसे बेहतर तरीका होता है शब्दकोश का विस्तार करना क्योंकि आपके पास जितने ही ज्यादा शब्दकोश की जानकारी होगी आप उतनी ही ज्यादा बातों को व्यवस्थित रूप से प्रकट कर सकेंगे यदि आपके पास शब्दकोश की कमी है तो आपकी बात अधूरी रह जाएगी और सामने वाला भी आपकी बातों से संतुष्ट नहीं हो सकेगा इसलिए जितना हो सके अपने शब्दकोश को बढ़ाने का सोचें।
पर्याप्त जानकारी को रखना
बहुत बार ये देखने को मिलता है कि जब भी किसी समूह में बातचीत चलती है तो बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि पर्याप्त जानकारी ना होने के कारण बहस बाजी करने लगते हैं इसलिए आपको जब भी बातचीत करना हो तो किसी भी विषय से संबंधित पर्याप्त जानकारी होने पर ही बातचीत को शुरू करें ऐसे में आपके ऊपर लोगों का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे आपकी बातों से लोग आकर्षित होंगे और आप एक बुद्धिमान के तौर पर भी जाने जाएंगे।
नकारात्मक विचार से दूर रहना
किसी भी विषय पर बातचीत करने के दौरान कभी भी अपने नकारात्मक विचार को प्रकट नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका आपके व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जितना ज्यादा हो सके सकारात्मक सोच को ही विकसित करना चाहिए ऐसे में सामने वाला भी आपकी बातों से संतुष्ट होगा और आपके द्वारा बताई गई बातों को गंभीरता से सुनेगा।
विचारों की स्पष्टता को प्रकट करना
किसी भी विषय पर जब आप अपने विचार को रखें तो उसकी स्पष्टता को व्यवस्थित तौर पर प्रकट करते रहना चाहिए क्योंकि जब तक आप अपने विचार के स्पष्टता नहीं रखेंगे तो सामने वाला भी आपकी बातों से संतुष्ट नहीं होगा ऐसे में जो भी विषय हो उसे पूर्ण रूप से जानकारी के तौर पर अपने विचारों की स्पष्टता को प्रदर्शित करना जरूरी होता।
कम समय में पूरी बात को कहना
बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि अपनी बातों को काफी बढ़ा चढ़ाकर कहने लगते हैं जिससे बातचीत काफी ज्यादा लंबी खिंच जाती है ऐसे में ज्यादा लंबी बातचीत होने से लोग ऊबने लगते हैं इसलिए जितना जरूरी हो सके उतना ही बातों को बोलना चाहिए और कम समय में पूरी बात को कहने का प्रयास करना चाहिए जिससे लोग आपकी बातों को ध्यान से सुन सकेंगे और अपनी स्पष्टता को भी जाहिर कर सकेंगे।
मधुर बोली का इस्तेमाल करना चाहिए
जब भी आप सामने वाले के साथ अपनी बातचीत को शुरू करें तो आपको मधुर बोली का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि जितना आप मधुर बोलेंगे सामने वाला भी आपसे बात करने के लिए उतना ही ज्यादा उत्तेजित होता चला जाएगा और उससे आपके साथ बात करने में काफी अच्छा लगेगा इसलिए मधुर बोली व्यक्ति की पहचान का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है शायद यही कारण है कि इस मधुर बोली पर ही कुछ पंक्ति कही गई है जो निम्नलिखित है:,
“कोयल काको देत है कागा कासो लेत।
तुलसी मीठे वचन ते जग अपनो करि लेत।।”
बातचीत करने के तरीके से संबंधित कुछ सवाल जवाब (FAQs)
जब भी आप किसी व्यक्ति के साथ अपनी बातचीत शुरू करें तो सबसे पहले एक बेहतर व्यक्तित्व को उजागर करते हुए उनसे मिलना चाहिए और फिर मधुर बोली के साथ हाल-चाल को पूछ कर अपनी बात को शुरू करना चाहिए क्योंकि जितनी ही ज्यादा आप की बोली में मिठास होगी सामने वाला आपसे बात करने के लिए उतना ही ज्यादा उत्तेजित होगा।
जब भी किसी विषय पर बहस होने लगती है तो सामने वाला भी अपनी बातों को रखने के लिए अधिक हो जाता है और ऐसे में बहस तकरार में बढ़ जाती है इसलिए जितना कम हो सके बहस करना चाहिए क्योंकि ज्यादा बहस से आपके व्यक्तित्व उजागर हो सकता है जिससे लोगों को या ज्ञात हो जाएगा कि आप झगड़ालू किस्म के इंसान हैं।
जब भी हम देखते हैं कि बहुत सारे समूह में जब बात होती है तो वहां पर बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो नकारात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं ऐसे में आप जब भी अपनी बातों को रखें तो विचारों को स्पष्ट तौर पर रखें जिससे आपकी सकारात्मक सोच लोगों को प्रदर्शित हो सके ऐसे आपके व्यक्तित्व में निखार आएगी।