महिलाओं के 16 श्रृंगार की लिस्ट | महिलाओं के 16 Shringar क्या-क्या होते हैं

सोलह श्रृंगार क्या है और महिलाओं के 16 Shringar क्या-क्या होते हैं एवं Mahilao Ke 16 Shringar Ki List की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

महिला धरती की एक ऐसी प्राणी है जिसके लिए सजना संवरना काफी ज्यादा मायने रखता है हालांकि उनके सजने सवरने का तरीका विभिन्न प्रकार का हो सकता है परंतु प्राचीन काल से ही महिलाओं को देवी के रूप में प्रकट किया जाता था और ऐसे देवियों की ही तरह सुंदर दिखने के लिए महिलाएं बहुत से सोलह सिंगार के कार्यों को अपने दैनिक जीवन में उपयोग भी करती हैं जिससे वह सुंदर दिख सकें और आज से सैकड़ों साल पहले भी राजा रानियों के समय काल में 16 Shringar किया जाता था जो की आकर्षक दिखने के लिए रानियां राजाओं के लिए करती थी और आज के समय में महिलाएं घर परिवार और काम के साथ ही साथ 16 श्रृंगार भी करती हैं जिससे वह आकर्षक दिख सके। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से Mahilao Ke 16 Shringar Ki List के बारे में बतायेगे |

सोलह श्रृंगार क्या है?

यदि 16 Shringar के मुख्य तात्पर्य की बात किया जाए तो सीधे शब्दों में यह 16 तरह के आभूषण को प्रदर्शित करता है हालांकि यह पूर्ण रूप से आभूषण ही नहीं होता बल्कि एक महिला एवं नारी को खुद को किस प्रकार से सजाना चाहिए उससे संबंधित कार्य होता है और हमारे देश में 16 श्रृंगार नवविवाहित महिलाओं के द्वारा किया जाता है जिसके अंतर्गत वह अपने पूरे शरीर को सजाने का कार्य करती हैं जिसमें सोने के आभूषण और भारतीय परंपरा के अनुसार कपड़े पहनना डायमंड या आर्टिफिशियल गहने पहनना इन सब 16 Shringar के अंतर्गत आता है और यदि 16 श्रृंगार के बारे में आपको विस्तार से जानना है तो यह लेख आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

Mahilao Ke 16 Shringar Ki List in Hindi
Mahilao Ke 16 Shringar Ki List in Hindi

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Mahilao Ke 16 Shringar Ki List ?

यदि प्राचीन काल से अब के समय कल की बात किया जाए तो 16 Shringar में काफी ज्यादा नयापन और बदलाव देखने को मिला है और यदि धार्मिक प्रवृत्ति से देखा जाए तो हिंदू धर्म के अनुसार नई वधू लक्ष्मी पार्वती का रूप होती है जिन्हें 16 श्रृंगार करना जरूरी होता है जो की एक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है और ऐसे में नौ विवाहित महिलाओं को 16 Shringar करके अनिवार्य तौर पर सजना संवरना होता है तो निम्नलिखित हम उन 16 श्रृंगारों की सूची के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

स्नान(नहाना)

यदि प्राचीन सांस्कृतिक शास्त्रों की बात की जाए तो उसमें महिलाओं के 16 Shringar के बारे में बहुत ही विस्तार से जानकारी प्रदान की गई है जिसमें पहला चरण जो होता है वह स्नान का होता है जो की सबसे पहले स्त्री को अपने बालों में तेल लगाकर उन्हें धोना चाहिए और अपने पूरे शरीर में चंदन का पाउडर मिलाकर उसे साफ करके गुलाब के फूलों के पानी से स्नान करना चाहिए इससे शरीर की सुंदरता बढ़ती है और एक अलग प्रकार की खुशबू शरीर से उत्पन्न होती है जो की सबसे ज्यादा आकर्षण पैदा करती है।

बिंदी

जब महिला के द्वारा स्नान पूर्ण रूप से कर लिया जाए तो उसे अगले चरण में कुमकुम या बिंदी को अपने माथे पर लगाना चाहिए जो की महिला के बल को प्रदर्शित करता है और इसे संस्कृत शास्त्रों में बहुत ज्यादा पवित्र भी माना गया है इसलिए नवविवाहित महिलाओं को अपने माथे पर आवश्यक तौर पर बिंदी लगाना चाहिए।

सिंदूर

हिंदू परंपरा के अनुसार सिंदूर एक सुहागन का प्रतीक होता है और ऐसे में 16 श्रृंगार का एक बहुत ही अहम हिस्सा होता है जो कि हिंदू महिला के लिए काफी ज्यादा महत्व रखता है और किसी भी विवाहित महिलाओं को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार सिंदूर लगाना अनिवार्य माना जाता है जो की उनके विवाहित होने का प्रमाण भी कहलाता है।

काजल

महिलाओं को अपनी आंखों को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए काजल का इस्तेमाल अवश्य तौर पर करना चाहिए जिससे आंखों की सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है और सोलह सिंगार के इस अहम हिस्से में एक अलग सा आकर्षण देखने को मिलता है और वैदिक काल से ही काजल को एक मिट्टी के दीए में बत्ती लगाकर और उसे स्टील के बर्तन से रखकर बनाया जाता था जिससे आंखों पर लगाने से आंख में चमक और सुंदरता बनी रहती थी।

मांग टीका

किसी भी महिला को आभूषण के प्रति अधिक प्रेम देखने को मिलता है और ऐसे में माथे पर मांग टीका लगाना महिलाओं को सबसे ज्यादा पसंद होता है जो की चौकोर या गोल भी हो सकता है जिससे महिलाओं के जीवन में सादगी का प्रतीक माना जाता है और यह 16 Shringar में से एक ऐसा श्रृंगार होता है जो की किसी भी महिला को सुंदर बनाने के लिए जाना जाता है।

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नथ

आपने प्राय यह देखा होगा कि महिलाएं अपनी नाक के अगले भाग पर एक गोलाकार आभूषण पहनती हैं जोकि नथुनी या नाथ के नाम से भी जाना जाता है और शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाने के लिए नथ काफी ज्यादा मायने रखता था और इससे बुध का दोष भी कम होता है ऐसा हिंदू रीति-रिवाजों में माना जाता है।

चूड़ियां

भारतीय महिलाओं के लिए सोलह सिंगार में से सबसे महत्वपूर्ण चूड़ियां मानी जाती हैं क्योंकि काफी ज्यादा आकर्षक पैदा करती हैं और चूड़ियां जो होती है वह महिलाओं के सुहाग का प्रतीक भी होती है ऐसे में महिलाएं अपने पतियों की लंबी दीर्घायु के लिए कामना कर के हाथों में चूड़ियां भी पहनती हैं और यह परंपरा ज्यादातर भारतीय संस्कृतिक में ही देखने को मिलती है।

मंगलसूत्र

किसी भी विवाहित महिलाओं का जो प्रमाण होता है वह मंगलसूत्र माना जाता है जो उनके सुहाग का भी प्रतीक होता है यह सोने का हार भी कहलाता है और विवाहित महिलाओं के लिए इसे पहनना आवश्यक माना जाता है और उसे मंगलसूत्र में जो काले मोती जड़े होते हैं वह किसी की भी बुरी नजर से बचने का कार्य करते हैं वर्तमान समय में महिलाएं मॉडर्न या स्टाइलिश गले में मंगलसूत्र पहनने का कार्य करते हैं जो की 16 श्रृंगार का ही एक मुख्य रूप होता है।

झुमका

किसी भी महिला के कानों में बालियां या कुंडल आप अवश्य देखते होंगे जो की कानों की सुंदरता बढ़ाने के लिए पहना जाता है और ऐसे में शास्त्रों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि यह बालियां और कुंडल राहु और केतु के दोष को दूर करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

कमरबंद

प्राचीन काल से ही जो विवाहित महिलाएं होती थी वह अपनी कमर पर चांदी का कमरबंद अवश्य पहनती थी जो कि एक प्रकार का आभूषण ही होता था और इसके माध्यम से पेट पर ठंडक पहुंचाने का कार्य किया जाता था तो शास्त्रों के अनुसार यदि कहा गया है कि पेट की कई बीमारियों से या कमरबंद बचाता बिता परंतु अब नए जमाने में बहुत कम ही महिलाएं अपने कमरबंद का इस्तेमाल करती हैं लेकिन यह सोलह सिंगार का मुख्य हिस्सा माना जाता है।

बिछिया

जो भी विवाहित महिलाएं होती हैं उन्हें बिछिया पहनना बहुत पसंद होता है और जिस उंगली में बिछिया को पहना जाता है उस उंगली की नस गर्भाशय से जुड़ी होती है जो कि मासिक चक्र को नियमित बनाए रखने में भी मदद करती है ऐसे में अक्सर ही आप देखेंगे कि ग्रामीण क्षेत्रों की जो महिलाएं होती हैं अपने पैरों में बिछिया को जरूर पहनती हो जो कि शास्त्रों के अनुसार काफी लाभदायक भी कहलाता है।

गजरा

गजरा जो होता है वह चूड़ामणि के नाम से भी जाना जाता है और बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए इसे ज्यादातर विवाहित महिलाएं इस्तेमाल भी करती हैं और कहा तो यह भी जाता है कि पार्वती माता को गजरा बहुत अधिक पसंद था जिस कारण से हिंदू धर्म गजरा को काफी पवित्र माना जाता है।

बाजूबंद

आज से सैकड़ों वर्ष पहले जब राजा रानियों का दौर हुआ करता था तो रानियां अपने बाजू में बाजूबंद अवश्य पहनती थी जो कि सोने चांदी का भूषण होता था इसके माध्यम से यह प्रदर्शित किया जाता था कि वह महिला एक संपन्न परिवार से आती है और बाजूबंद समृद्धि और स्वास्थ्य में भी सुधार करने का कार्य करता था।

पायल

पायल जो होता है वह एक प्रकार का चांदी का आभूषण होता है जो कि महिलाएं अपने पैरों में पहनती हैं और ज्यादातर विवाहित महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं और ऐसा भी कहा जाता है जिस घर में महिलाएं पायल को पहनती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है।

अंगूठी

आज के समय में सबसे ज्यादा तेजी से जो प्रचलन चला है वह अंगूठी का ही चला है और 16 Shringar में से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अंगूठी को ही माना जाता है और अंगूठी जो होती है वह हृदय और मस्तिष्क को सक्रिय रखने में काफी ज्यादा सहायक होती है और शायद यही कारण है की शादी विवाह में अंगूठियां का ही इस्तेमाल किया जाता है।

मेहंदी

हाथों में मेहंदी लगाना शीतलता का प्रतीक माना जाता है और आज के समय में विवाहित और अविवाहित महिलाएं इसे बहुत ही प्रेम से लगाती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है शादी या विवाह के उत्सव के दौरान सुहागिनों को अपने हाथों में और पैरों में मेहंदी लगाना आवश्यक होता है जिससे उनकी सुंदरता और भी ज्यादा निखर कर बाहर आती है।

सोलह सिंगार से संबंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQs)
सोलह सिंगार में राहु और केतु के दोष को दूर करने के लिए क्या इस्तेमाल किया जाता है?

महिलाओं के द्वारा कानों में जो झुमका पहना जाता है वह शास्त्रों के अनुसार यह प्रदर्शित किया जाता है कि इसे पहनने से राहु और केतु के दोष को दूर किया जा सकता है।

पुराने समय में बाजू बंद का इस्तेमाल कौन करता था?

आज से सैकड़ों वर्ष पहले जो भी महिला समृद्ध और बड़े परिवार से आई थी वह अपने बाजू में बाजू बंद को पहन कर रहती थी जो कि स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

सोलह सिंगार में सिंदूर का क्या महत्व है?

सिंदूर 16 श्रृंगार का एक बहुत ही अहम हिस्सा होता है जो कि हिंदू महिला के लिए काफी ज्यादा महत्व रखता है और किसी भी विवाहित महिलाओं को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार सिंदूर लगाना अनिवार्य माना जाता है।

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