OBC Non Creamy Layer VS Creamy Layer Kya Hota Hai और ओबीसी की फुल फॉर्म क्या है एवं क्रीमी लेयर एंड नॉन क्रीमी लेयर में अंतर क्या है
इंडिया एक ऐसे देश है जिसमें लोग अलग-अलग धर्म व जाति में बातें बटे हुए हैं। जाति व्यवस्था इंडिया में 2000 साल पहले आया था लोग अपने काम के आधार पर अलग-अलग वर्ग में बैठे हुए हैं। जाति व्यवस्था दुनिया में आर्यस लेकर आए थे उनका मकसद था कि वह आबादी को नियंत्रित करें आर्य समाज मुख्य भूमिकाएं दी हैं लोगों को शाम उनके सोते हैं इंडिया में हमारे पास व्यवस्था है और लोग उस जाति से पहचाने जाते हैं। देश के सभी नागरिकों की इतना में अशिक्षा स्थित काम के बारे में बताने के लिए सरकार के यह बहुत महत्वपूर्ण है। OBC क्या है इसके पूरी जानकारी हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रदान करने जा रहे है ।
ओबीसी की फुल फॉर्म क्या है?
ओबीसी की फुल फॉर्म है अतः प्रशासनिक सामूहिक शब्द है जो भारत की सरकार इस्तेमाल करती है उनको वर्गीकृत करती है अपनी शिक्षा और सामाजिक के आधार पर ऑफिस के 2 वर्ग हैं। जिसको ओबीसी में बांटा गया है। उन वर्गों का नाम है क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर। आइए जानते हैं OBC Creamy Layer किस जाति को कहते हैं?
OBC CREAMY LAYER
ओबीसी क्रीमी लेयर केक अवधि है जो सरकार ने कुछ व्यक्ति पिछड़ी जाति के हैं। उनको कहा है वह सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत ही उन्नत हैं और वह एक तरीके से ओबीसी का प्रजाति माने जाते हैं। क्रीमी लेयर सरकार द्वारा प्रायोजित शिक्षित और व्यावसायिक लाभ कार्यक्रमों के लिए पत्र नहीं है। यह अवधि सनातन कमीशन ने 1971 में बनाई थी जिसका मकसद है कि क्रीमी लेयर जाति के लोगों को आरक्षण से बाहर रखा जाए नागरिक पत्र से।
आरक्षण (What Is Reservation) क्या है
क्रीमी लेयर की आय
क्रीमी लेयर की आय पूरे साल की छह लाख करीबी थी जो बढ़कर 800000 हो गई है। केंद्र रूप के वित्त पोषित तकनीकी शिक्षा संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्ग ओबीसी उम्मीदवारों के बीच क्रीमी लेयर का निर्धन।
OBC CREAMY LAYER में कौन से व्यक्ति आते हैं?
ओबीसी क्रीमी लेयर में दो व्यक्ति आते हैं जिनकी है आठ लाख से ज्यादा आयु होती हैं या फिर जिसके पिता या माता गवर्मेंट सेक्टर में काम करते हैं वह लोग क्रीमी लेयर में आते हैं।
इनकम टैक्स से डिसाइड होगी क्रीमी लेयर
ओबीसी की क्रीमी लेयर को तय करने के लिए सरकार द्वारा सैलरी को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। सरकार द्वारा क्रीमी लेयर की मौजूदा आय सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपए करने का फैसला किया गया है। जिसका नेशनल काउंसिल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास (एनसीबीसी) ने विरोध किया है और उसने कहा था कि इससे पिछड़ा वर्ग समुदाय के हितों को नुकसान होगा। यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने किया है, अगर यह बदलाव होता है तो क्रीमी लेयर के लिए इनकम की सीमा बढ़ जाएगी। इसमें ‘अन्य स्रोतों से इनकम’ के आधार पर क्रीमी लेयर को तय किया गया है, जबकि ‘सैलरी’ और ‘कृषि इनकम’ को छोड़ा गया है।
बीजेपी में सरकार के कदम का समर्थन करने वालों का कहना है कि सैलरी के फैक्टर को शामिल कर समुदाय के संपन्न लोगों को अलग करने में मदद मिलेगी। इससे ओबीसी समुदाय के कमजोर वर्ग के लिए रास्ता खुलेगा।
ओबीसी क्रीमी लेयर की आयु में छूट
पहले हुई थी OBC क्रीमी लेयर की आयु में छूट नहीं होती पर पूरी तरह से ओबीसी जाति के नहीं होते उनकी वर्ग जनरल में आती है।
OBC CREAMY LAYER को सरकार के फायदे
इस लेयर जाति वालों को जनरल जाति वाला भी कहा जाता है वह पूरी तन्हा पिछड़ी जाति के नहीं होते हैं एवं उनको सरकारी स्कीम के भी ज्यादा फायदा नहीं होते। इस आर्टिकल से हो सकता है आपको ओबीसी क्रीमी लेयर जाति के बारे में पता चल गया होगा। आइए जानते हैं कि ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर। क्या होती है?
OBC Non Creamy Layer जाति क्या होती है?
इस नॉन क्रीमी लेयर वह व्यक्ति होते हैं जिनकी आय 8 लाख से कम होती है। यह सामाजिक और आर्थिक रूप से कम होते हैं वह 1 तरीके की नीची जाति के होते हैं वह भी सी नॉन क्रीमी लेयर जाति वालों को सर्टिफिकेट मिलता है जो व्यक्ति ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर जाति के होते हैं। उन्हें सरकारी पदों का आनंद लेने को मिलता है। जो भी नॉन क्रीमी लेयर जाति के लोग होते हैं उन्हें सरकारी नौकरी का फायदा मिलता है। यह भारत के हर शहर में मिल सकते हैं। बस तमिलनाडु को छोड़ कर। नॉन क्रीमी जाति के सर्टिफिकेट सिर्फ 1 साल के लिए अनिवार्य होते हैं।
ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर की आय
- व्यक्ति और उसकी परिवार की आय: अगर किसी व्यक्ति की आय 8 लाख सालाना से कम है तो वह व्यक्ति ओबीसी का माना जाता है।
- माता-पिता केंद्र सरकार के अधीन: अगर व्यक्ति के माता-पिता केंद्र सरकार के अधीन है तो उसको ओबीसी सर्टिफिकेट मिल सकता है।
- पति केंद्र सरकार के अधीन: अगर किसी औरत का पति केंद्र सरकार के अधीन है तो उसको ओबीसी सर्टिफिकेट मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी।
OBC Non Creamy Layer मैं आयु की छूट?
विकलांग व्यक्ति के लिए 10 साल की आयु तक छूट और 13 साल नॉन क्रीमी लेयर में छूट
ओबीसी नॉन क्रीमी को सरकार के फायदे
OBC नॉन क्रीमी को सरकार द्वारा दिए गए काफी फायदे होते हैं वह भी सी नॉन क्रीमी सरकारी कोटा में जगह मिल सकती है।
OBC के स्कीम और प्रोग्राम
ओबीसी जाति वालों को बहुत सी योजनाएं और विद्वता का आनंद मिलता है
- प्री मैट्रिक पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप: ओबीसी जाति वालों को 10वीं और 9वीं तथा 11वीं और 12वीं की स्कॉलरशिप प्रदान की जाती
- नेशनल फेलोशिप: नेशनल फेलोशिप ओबीसी जाति वालों को सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
- लड़कों का छात्रावास: ओबीसी जाति वालों को लड़कों का छात्रावास उनके रहने के लिए प्रदान किया जाता है।
- मुफ्त कोचिंग: ओबीसी जाति वालों को मुफ्त कोचिंग शिक्षा प्रदान की जाती है।
- एजुकेशन लोन: ओबीसी जाति वालों को शिक्षा के लिए शिक्षा लोन दिया जाता है।
भारत के राज्यों में पिछड़ी जातियों का वर्गीकरण
तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, कर्नाटक, पुदुचेरी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों में पिछड़ा वर्ग और उसके उपवर्ग का वर्गीकरण किया जा चुका है।
क्रीमी लेयर में शामिल किये जाने वाले लोग
1. संवैधानिक पद धारण करने वाले व्यक्ति- इसमें राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त।
2. केन्द्रीय और राज्य सेवाओं में कार्यरत ग्रुप A, ग्रुप B अधिकारी- PSUs, यूनिवर्सिटीज, बैंकों, बीमा कंपनियों के पदस्थ अधिकारी. ध्यान रहे यह नियम निजी कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों पर भी लागू होता है।
3- सेना में कर्नल या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी या वायुसेना, नौसेना और पैरामिलिटरी में समान रैंक का अधिकारी।
4- इंजीनियर, डॉक्टर, सलाहकार, कलाकार, लेखक और अधिवक्ता इत्यादि।
5- उद्योग, वाणिज्य और व्यापार में लगे व्यक्ति
6- शहरी क्षेत्रों में जिन लोगों के पास भवन है, जिनके पास एक निश्चित सीमा से अधिक रिक्त भूमि या कृषि भूमि है।
7- जिन लोगों की सालना पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से अधिक है।
CONCLUSION
ओबीसी नॉन क्रीमी और क्रीमी जाति वालों को काफी फायदे प्रदान किए जाते हैं। सरकार के द्वारा नॉन क्रीमी को फायदा मिलने की क्षमता ज्यादा होती है और क्रीमी वालों की क्षमता कम होती है।