Reservation Kya Hai और आरक्षण के नियम क्या है एवं लाभ, हानि एवं जानिये संवैधानिक प्रावधान व फायदे हिंदी में
हमारे देश का आरक्षण का मुद्दा वर्षो पुराना माना जाता है,आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि आरक्षण के नाम पर शुरू से ही राजनीति की जाती रही है, देश जब आजाद नही हुआ था उससे भी पहले नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की जातियों में जो असमानता थी उसे समान रूप से बराबरी का दर्जा देने के लिए आरक्षण प्रणाली का आरम्भ किया गया था |
आज के समय में भी विशेष तौर पर आरक्षण प्राप्त करने हेतु विभिन्न राज्यों में समय-समय पर कई प्रकार के आंदोलन होते रहे है,जैसे हरियाणा में जाटों का आंदोलन हो, राजस्थान में गुर्जर का आंदोलन, महाराष्ट्र में मराठो का आंदोलन, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में निषाद आरक्षण आंदोलन, आंध्रा प्रदेश का कंमांदोलन आंदोलन तथा वर्तमान में अब गुजरात के पाटीदार (पटेल) ने आरक्षण की मांग की है |आज हम Reservation से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां आपको मुहैया कराएंगे।
Reservation Kya Hai?
आरक्षण का मतलब यह है कि, वर्तमान समय में अपने स्थान को सुरक्षित करना तथा आज के दौर में हर भारतवासी अपने लिए हर क्षेत्र में अपनी जगह पक्की करना चाहता है, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, हॉस्पिटल हो, सरकारी नौकरी हो, ट्रेन का आरक्षण हो, या लोक सभा अथवा राज्य सभा का चुनाव हो, सरकारी नौकरी तथा शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सामाजिक स्तर तथा शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन को खत्म करने के उद्देश्य से भारतसरकार ने भारतीय सविधान की मदद से सभी प्रकार के सरकारी , सार्वजनिक तथा निजी शिक्षा संस्थानों के पद तथा सीट को आरक्षित करने का कार्य किया जिससे पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को कोटा प्रदान किया जा सके सरल भाषा में कहे तो Reservation प्रणाली को प्रदान किया जा सके है।
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आरक्षण का इतिहास संक्षिप्त में
हमारे देश के आरक्षण का इतिहास देश की आजादी से भी बहुत पुराना माना जाता है,क्योंकि सबसे पहले आरक्षण की जो मांग उठी थी वो वर्ष 1882 में प्रसिद्ध समाज सुधारक रहे ज्योतिराव फुले जी के द्वारा शुरू की गयी थी, जिसमें सभी तरह के लोगों के लिए नि:शुल्क तथा अनिवार्य रूप से शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार तथा उसके साथ साथ ब्रिटिश सरकार की तरफ से जो नौकरियों आती थी उसमे Reservation तथा प्रतिनिधित्व करने की मांग की गयी थी।निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा आरक्षण के इतिहास को दर्शाया गया है:
- महाराष्ट्र के कोल्हापुर में वर्ष 1901 में महाराजा छत्रपति साहूजी ने पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने के लिए राज्य के प्रशासन में नौकरी देने के लिए आरक्षण की शुरुआत की।
- अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1908 में बहुत सी ऐसी जातियों और समुदायों जो पिछड़े तौर पर जाने जाते थे, उन समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण आरम्भ करने का कार्य किया।
- वर्ष 1909 और 1919 में भारत सरकार अधिनियम(Indian Government Act 1919) में पूर्ण रूप से आरक्षण का प्रावधान किया गया।
- वर्ष 1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी(Madras Presidency) में जातिगत तौर पर सरकारी आज्ञापत्र जारी करने का कार्य किया गया. जिसमें गैर-ब्राह्मणों को 44%,ब्राह्मणों को 16%, मुसलमानों को 16%, भारतीय-एंग्लो/ईसाइयों को 16% और अनुसूचित जातियों को 8% आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान बनाया गया।
- 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(Indian National Congress) ने प्रस्ताव पास किया,जिसे पूना समझौता के नाम से जानते है उसमे दलित वर्ग हेतु अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग रखी गई थी।
- वर्ष 1935 के भारत सरकार अधिनियम जिसे छोटा सविधान भी कहा जाता है उसमें आरक्षण का प्रावधान सम्मिलित किया गया।
- वर्ष 1942 में बी आर अम्बेडकर ने अनुसूचित अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की तथा सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग की गई।
- 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ | जिसके अंतर्गत 10 वर्षो के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने के लिए अनुसूचित जातियों और जनजातियों को निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए।
- 1953 में कालेलकर आयोग का गठन हुआ।जिसमे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के मूल्यांकन से संबंधित रिपोर्ट को मान लिया गया,परंतु अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के लिए अमान्य घोषित कर दिया गया।
- 1980 में मंडल आयोग में तत्कालीन कोटा में परिवर्तन किया गया जिसमे 22% से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की वकालत की गई थी वर्ष 2006 तक मंडल आयोग द्वारा तैयार की गई पिछड़ी जातियों की सूची में जातियों की संख्या बढ़कर 2297 तक हो गयी थी जिसमे समुदाय सूची में 60 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली।
- वर्ष 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदाली लागू की।
- वर्ष 1991, नरसिम्हा राव सरकार ने अगड़ी जातियों में गरीबों लोगो को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की शुरूआत की।
- 1995 में संसद ने 77वें सैवेधनिक संशोधन के द्वारा केअनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को बढ़ावा देने हेतु अनुच्छेद 16(4)(A) का गठन किया गया।
- वर्ष 2005 में निजी शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण देने के प्रावधान के उद्देश्य से 93वां सैवेधानिक संशोधन पारित किया गया।|
- 2006 से केंद्रीय सरकार के द्वारा शैक्षिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों(OBC)के लिए Reservation प्रारम्भ किया गया।
- 10 अप्रैल 2008 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय(Supreme court) ने सरकार के अधीन संस्थानों में 27 प्रतिशत ओबीसी (OBC) कोटा आरक्षण देने के लिए भारत सरकार को सही ठहराया।
- वर्ष 2019 में भारत सरकार द्वारा आर्थिक तौर पर कमज़ोर सामान्य वर्ग (GEN) के लिए EWS जिसमें 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया, इसमें आर्थिक पैमाना 8 लाख प्रतिवर्ष से कम आय वाले लोगों को सम्मिलित किया गया।
आरक्षण की वर्तमान स्थिति का आकलन:
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण किसी भी वर्ग को नहीं दिया जाएगा परंतु राजस्थान तथा कुछ राज्यों में 68 फीसदी आरक्षण की मांग की गयी है जो की असंभव माना गया है।मौजूदा हालात को देखते हुए विभिन्न राज्यों में आरक्षण की स्तिथि का आकलन करके नए कानून भी बनाये जा सकते है, सरकार की तरफ से वर्तमान समय में सभी जातियों के निंमलिखित आरक्षण का प्रावधान किया गया है जोकि इस प्रकार है:-
Categary (वर्ग) | % |
GEN EWS | 10% |
OBC | 25.84% |
SC | 16.66% |
ST | 7.5% |
Total | 60% |
आरक्षण(Reservation) के संवैधानिक प्रावधान क्या है?
आरक्षण के प्रावधानों को भारतीय संविधान में बहुत ही अच्छी तरह से संयोजित किया गया है ताकि उसे अच्छे से समझ कर उनको लागू किया जा सके निम्नलिखित कुछ प्रावधान बताया जा रहे हैं:
- संविधान भाग 3 में समानता के अधिकार की बात की गई है,अनुच्छेद- 15 में प्रावधान दिया गया है कि, किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, प्रजाति, लिंग, धर्म या जन्म के स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है तथा अनुच्छेद 15 (4) के अनुसार यदि राज्य को लगता है कि,कोई भी वर्ग सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े है तो उसके लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद-16 में अवसरों की समानता की बात कही गई है
जोकि अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार यदि राज्य को लगता है कि,सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है तो, वह उनके लिए कुछ खास पदों को आरक्षित कर सकता है।
- अनुच्छेद-330 के अंतर्गत संसद तथा अनुच्छेद- 332 में राज्य विधान सभाओं दोनो ही सदनो में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।
- भारत देश में आरक्षण की शुरूआत भारतीय सविधान के अंतर्गत सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को समृद्ध बनाने तथा समानता प्रदान करने के लिए किया गया।
आरक्षण(Reservation) के फ़ायदे:
जब से भारतीय संविधान के द्वारा आरक्षण का प्रावधान किया गया है उससे पिछड़ी जाति अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को फायदा पहुंचाने का कार्य किया गया है तथा उसके साथ-साथ सामान्य वर्ग के जो गरीब हैं उन्हें भी आरक्षण के द्वारा फायदा पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है निम्नलिखित के कुछ फायदे हम आपको बिंदुओं में दर्शाने जा रहे हैं।
- आरक्षण के द्वारा सबसे पहले सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जाति अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में एक विशेष तौर पर प्रधान दिया गया है जिसके अंतर्गत उन्हें अलग से इस प्रावधान के फल स्वरुप नौकरियां प्राप्त होती हैं।
- किसी भी सरकारी संस्था कॉलेज यूनिवर्सिटी या फिर निजी संस्थाओं में आरक्षण के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है जिससे साक्षरता दर में वृद्धि हो रही है इस प्रावधान से जो पिछड़े समुदाय के लोग हैं उनके अंदर भी शिक्षा को लेकर उत्साह देखने को मिला है।
- ट्रेन में सफर करने के लिए भी आरक्षण प्रणाली का उपयोग किया जाता है इसमें कई कैटेगरी होती हैं जिन्हें बैठकर टिकट का प्रावधान किया जाता है।
- आदिवासी इलाकों में आरक्षण के अंतर्गत सुधार देखने को मिल रहा है तथा वहां पर शिक्षा का प्रचलन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है।
- देश में अल्पसंख्यक समाज को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया जा रहा है तथा उन्हें सरकारी नौकरियों में शामिल कर कर प्रतिनिधित्व करने का मौका भी दिया जा रहा है।