संसद क्या है- संसद के कार्य, सदस्यो का कार्यकाल, Sansad Kya Hai

Sansad Kya Hai और संसद में सदस्यो का कार्यकाल कितना होता है एवं इसके कार्य क्या होते है एवं What Is The Name Of Parliament Of India

हैलो दोस्तो! आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से संसद क्या है इसके कार्य एवं उस में कार्य करने वाले सदस्यों का कार्यकाल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि आज के समय में बहुत कम लोगों को संसद के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि संविधान द्वारा केंद्र स्तर पर स्थापित विधायिका को संसद कहा जाता है जिसे अंग्रेजी भाषा में पार्लिमेंट ऑफ इंडिया भी कहते हैं। क्या आप लोग जानते हैं कि भारत में सबसे बड़ी विधायिका के रूप में Sansad ही है जो केंद्र सरकार के गठन का कार्य करती है। तो चलिए फिर आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए संसद से जुड़े कुछ अहम जानकारी प्रदान करने वाले हैं हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें |

Sansad Kya Hai?

क्या आप लोग जानते हैं कि Sansad भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति और संसद के दो सदनों राज्य सभा और लोक सभा से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों सदनो राज्य सभा तथा लोक सभा में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने या फिर लोकसभा को भंग करने का अधिकार होता है। भारतीय संसद का संचालन दिल्ली में स्थित संसद भवन में होता है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताना चाहेंगे कि राज्यसभा को उच्च सदन के नाम से जाना जाता है तो वही लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है।

Sansad Kya Hai
Sansad Kya Hai

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संसद से जुड़ी जानकारी

लोकसभा में देश की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी संख्या लगभग 550 है जबकि राज्यसभा एक स्थाई सदन है जिसमें लगभग 250 सदस्य हैं। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव 6 वर्ष के लिए होता है जिसमें से दो तीन सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में रिटायर्ड होते रहते हैं। वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या घटाकर 543 हो गई है और राज्य सभा के सदस्यों की संख्या घटकर 245 हो गई है। देश का राष्ट्रपति दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है। क्या आप लोग जानते हैं कि देश का मार्गदर्शन जनता के प्रतिनिधित्व के आधार पर इन्हीं तीन मुख्य अंगो के द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रपति

भारत का राष्ट्रपति Sansad का मुख्य अवश्य होता है लेकिन दोनों में से किसी भी सदन में ना तो बैठता है ना ही उसकी चर्चाओं में भाग लेता है। लेकिन राष्ट्रपति संसद में दोनों सदनों की बैठक के लिए समय-समय पर इनवाइट अवश्य करता है। राष्ट्रपति द्वारा अनुमति देने के बाद ही दोनों सदन द्वारा पास किया गया कोई भी विधेयक तभी कानून बन सकता है। यदि किसी परिस्थिति में बैठक नहीं चल रही हो और राष्ट्रपति को लगे की कार्यवाही जरूरी है तो वह आदेश जारी कर बैठक बुलवा सकता है। आम चुनाव के बाद बैठक के शुरुआत में और साल की पहली बैठक की शुरुआत में राष्ट्रपति एक साथ दोनों सदन सामने अभी भाषण करते हैं।

राज्यसभा

राज्यसभा राज्यों का परिषद और अप्रत्यक्ष रीति से लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राज्य विधानसभाओं के चुने हुए विधायक द्वारा राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। हर राज्य के प्रतिनिधि की संख्या उसकी जनसंख्या पर निर्भर करती है। जैसे कि छत्तीसगढ़ के राज्यसभा में 5 सदस्य हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश राज्यसभा में 31 सदस्य हैं। मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा आदि छोटे राज्यों के केवल एक एक सदस्य हैं। राज्यसभा में लगभग 250 तक सदस्य हो सकते हैं। जिसमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा चुने जाते हैं और बाकी 238 सदस्य राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा चुने होते हैं। राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है।

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लोकसभा 

लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा सीधे वोट डालकर चुने जाते हैं। वोट डालने के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का भारतीय नागरिक वोट डाल सकता है। लोकसभा के ज्यादातर 530 सदस्य राज्य से चुनाव क्षेत्र की प्रत्यक्ष रीति से और 20 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति अंगल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए 2 से अधिक सदस्य का चुनाव कर सकता है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए जनसंख्या अनुपात के आधार पर लोकसभा में स्थान आरक्षित हैं। पहले यह आरक्षण 10 वर्ष के लिए था लेकिन अब यह 50 वर्ष के लिए कर दिया गया है।

भारत में सदन का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए हैं। 5 वर्ष के समय के बाद यह सदन खुद भंग जाता है। आपातकाल की स्थति में संसद लोक सभा की कार्यावधि बढ़ा सकती है। यह एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती।

Sansad के सदस्यों का वेतन एवं भत्ता

  • जो सदस्य 4 वर्ष से सदन का हिस्सा है उन्हें प्रति महीने 1400 रुपए पेंशन के रूप में प्रदान किए जाते हैं।
  • इसके अलावा जो सदस्य 5 वर्ष से सदन का हिस्सा है उन्हें प्रत्येक वर्ष 250 रुपए और दिए जाते हैं।
  • सभी सदस्यों को 15 सो रुपए प्रति महीना वेतन के रूप में दिए जाते हैं उसके अलावा सदन का अधिवेशन या समिति की बैठक या फिर ड्यूटी पर निवास के दौरान 200 रुपए प्रतिदिन का भत्ता अलग से दिया जाता है।
  • प्रति महीने सैलरी तथा दैनिक भत्ते के अलावा हर सदस्यों को 3000 रुपए महीने का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 1000 रुपए प्रति महीना की दर से कार्यालय व प्राप्त करने का हकदार है।
  • इसके अलावा प्रत्येक सदस्यों को विभिन्न यात्रा जैसे रेल द्वारा यात्रा करने के लिए प्रथम यात्री श्रेणी के किराए की बराबर रकम प्रदान की जाती है।
  • विमान यात्रा के लिए सवा गुना किराया कम कर दिया जाता है।
  • इसके अलावा सदन के सदस्यों को देश में कहीं भी अपने परिवार के साथ एक तरफा विमान यात्रा करने की छूट प्रदान की जाती है।
  • इसके अलावा देश के अंदर कहीं भी यात्रा करने के लिए रेलवे पास भी दिया जाता है।
  • Sansad का सदस्य निशुल्क टेलीफोन एक दिल्ली में तथा दूसरा अपने घर पर लगवा सकता है।
  • प्रत्येक सदस्यों को दिल्ली में रहने के लिए निवास दिया जाता है।
  • सदस्यों को जो अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं उनमें आशुलिपिक तथा टंकण पूल, आयकर में राहत, कैंटीन, जलपान और खानपान, क्लब, कामन रूम, बैंक, डाकघर, रेलवे तथा हवाई बुकिंग तथा आरक्षण, बस परिवहन, एल पी जी सेवा, विदेशी मुद्रा का कोटा, लॉकर, सुपर बाजार आदि शामिल है।
Power and Work of Parliament of India
  • केंद्र व समवर्ती लिस्ट में विषयों पर संसद कानून बनाती है तथा परिस्थितियों के अनुसार राज्य के विषय में कानून बनाने का कार्य भी संसद में ही किया जाता है
  • नियमानुसार नए टैक्स लगाने एवं हटाने का पूरा अधिकार संसद को है।
  • संसद का मंत्रिमंडल जनता के प्रति उत्तरदायी है अगर संसद में यह विश्वास मत साबित नहीं कर पाती है तो केंद्र सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है।
  • केंद्र सरकार पर पूरे तरीके से कंट्रोल और कोई भी लोकहित कानून या बिल बिना संसद के पास के बिना लागू नहीं किया जा सकता।
  • संविधान संशोधन के महत्वपूर्ण कार्यों में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसके लिए एक विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है जिसे सिर्फ लोकहित में बना बिल ही पारित कराया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए सबसे पहले राज्यसभा में प्रस्ताव लाया जाता है।
  • राज्य लिस्ट के विषय में विधेयक पहले राज्यसभा में पेश किया जाता है।
  • अखिल भारतीय सेवा सेवाओ के संबंध में बिल पहले राज्यसभा में ही पेश किया जाता है।
  • धन विधेयक पहले लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है |
  • धन विधेयक के संबंध में अंतिम शक्ति लोक सभा के पास होती है, राज्यसभा में सिर्फ बिल में बदलाव के सजेशन दिए जा सकते है इस बिल के संबंध में ज्यादा अधिकार लोकसभा के पास है।
  • राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल चालू रखने के लिए संसद से स्वीकृति लेना जरूरी है।
संसद के अधिकार
  • बैठक के दौरान संसद की मंजूरी के बिना कोई भी सदस्य गवाही के लिए नहीं उठ सकता।
  • हालांकि अभिव्यक्ति के आधार पर स्वतंत्र तरीके से अपने विचार रखने का अधिकार जरूर है लेकिन देश के उच्च या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के बारे में चर्चा नहीं कर सकते।
  • संसद के किसी भी सदन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट या पर्चे के विरुद्ध कोर्ट में उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा सकती।

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