VVPAT Machine Kya Hai और वीवीपीएटी मशीन कैसे कार्य करती है एवं यह मशीन किसने बनाई व इसके लाभ क्या है सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
हमारे देश भारत में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं हर 5 साल में लोकसभा चुनाव होते हैं जिससे केंद्र सरकार बनती है और 28 राज्यों में भी हर पांचवे साल चुनाव होते हैं तो इतने ज्यादा राज्य होने की वजह से लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं निर्वाचन आयोग का यही काम है जो चुनाव के सिस्टम पर पूरी नजर रखता है और इसका इंतजाम भी चुनाव आयोग ही करता है। पहले बैलट पेपर के द्वारा चुनाव होते थे लेकिन उस में गड़बड़ी होने की वजह से ईवीएम मशीन का इस्तेमाल शुरू किया गया लेकिन कई राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम मशीन पर ऐतराज होता है कि इसमें टेंपरिंग की जाती है इस बात को मद्देनजर रखते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग ने इसमें एक और डिवाइस जोड़ने का निर्णय लिया जिसको VVPAT Machine कहते हैं।
वीवीपीएटी मशीन क्या है- VVPAT Machine?
हम सबसे पहले यहां आपको VVPAT Machine की फुल फॉर्म बता रहे हैं फुल फॉर्म यह है वोटर वेरियेबिल पेपर आडिट ट्रेल है। यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिसे ईवीएम मशीन के साथ कनेक्ट करा जाता है। जब मतदाता अपना मत डालता है तो वीवीपीएटी मशीन एक पर्ची निकलती है और इसके साथ यह स्क्रीन अटैच होती है जिसमें उस कैंडिडेट का फोटो दिखाई देता है जिसको मतदाता अपना मत दे रहा होता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि मतदाता ने जिसको अपना मत दिया वह उसी को पहुंचा। यह और भी ज्यादा पारदर्शक हो गया है |
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VVPAT मशीन के लाभ
- इस मशीन को ईवीएम के जरिए जोड़ने पर यह फायदा हुआ कि इसमें पारदर्शिता बढ़ गई है और मतदाता को यकीन हो जाता है कि जिसको मैंने वोट दिया है उसको ही वोट पहुंचा है।
- ईवीएम मशीन में वीवीपीएटी मशीन के अटैच होने से बहुत ज्यादा सुविधा हो गई है इससे मतगणना करने में भी बहुत आसानी हो गई है और समय की बचत भी होती है
- स्टाफ भी कम लगता है पहले बैलेट पेपर छपवाने पड़ते थे उन पर बहुत खर्च आता था
- इससे चुनाव आयोग के खर्चों में भी कमी आ गई है क्योंकि मशीन एक बार बन गई तो वह फिर बार-बार उसी मशीन पर काम करा जा सकता है।
VVPAT Machine किसने बनाई ?
वीवीपीएटी मशीन का निर्माण भारत की दो कंपनियों ने किया है इसमें किसी विदेशी कंपनी का कोई हाथ नहीं है यह अच्छी बात है कि टेक्नोलॉजी के दौर में भारत में खुद ही इस तरह की मशीनों का निर्माण हो रहा है।इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने मिलकर इस VVPAT Machine को बनाया है। इस मशीन का इस्तेमाल ईवीएम मशीन के साथ में सबसे पहले सन 2013 में किया गया था। नागालैंड पहला राज्य था जिसमें इस मशीन का इस्तेमाल किया गया और और इस मशीन ने वहां पर सफलतापूर्वक कार्य किया सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी इजाजत दे दी क्या आप ईवीएम से अटैच करके वीवीपीएटी मशीन चला सकते हो। इसके बाद सन् 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए इन दोनों मशीनों का इस्तेमाल किया गया था जिसमें भारतीय जनता पार्टी की विजय हुई थी।
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वीवीपीएटी मशीन कैसे काम करती है ?
- VVPAT मशीन आने से पहले सिर्फ एवीएम मशीन के द्वारा मतदान की प्रक्रिया होती थी ऐसे में बहुत सी राजनीतिक पार्टियों को इस पर ऐतराज था कि ईवीएम मशीनों में टेंपरिंग की जाती है
- यानी के ईवीएम मशीनों में कुछ छेड़खानी की जाती है और उन्हें ईवीएम वोटिंग प्रोसेस पर शक था लेकिन जब से ईवीएम मशीन के साथ वीवीपीएटी मशीन को जोड़ा गया है तब से इसकी पारदर्शिता और बढ़ गई है और लोगों को यकीन हो गया है कि इसमें कुछ गड़बड़ी नहीं हो सकती।
- मतदान प्रक्रिया में समय की काफी बचत हो जाती है और लंबी-लंबी लाइने नहीं लगानी पड़ती इससे वोटिंग प्रोसेस जल्दी पूरा हो जाता है और वोटों की गिनती भी जल्दी हो जाती है और इसका एक फायदा यह भी है की वोटर कंफ्यूज नहीं होता
- वह जिस को वोट देना चाहता है उस कैंडिडेट की फोटो स्क्रीन पर आ जाती है जिसे उससे पक्का यकीन हो जाता है कि उसने जिस को वोट दिया है वह उसी को पहुंचा है।
VVPAT मशीन और ईवीएम मशीन पर कुछ राजनीतिक पार्टियों के एतराज
ईवीएम मशीन के साथ वीवीपीएटी मशीन को कनेक्ट करने के बाद भी कुछ राजनीतिक पार्टियों को इस पर एतराज है इसमें अब भी टेंपरिंग की जाती है वह यही चाहते हैं कि इलेक्शन में बैलेट पेपर के ही द्वारा चुनाव हो लेकिन यह एक बहुत लंबी प्रक्रिया थी जिसमें काफी समय लगता था और टाइम भी ज्यादा खर्च होता था मतगणना करने में इससे 10 दिन लग जाते थे पर जब से ईवीएम के साथ VVPAT Machine जुड़ी है मत गणना करने का काम भी आसानी से हो जाता है लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियों का एतराज अभी भी खत्म नहीं हुआ है।