भारत में दहेज प्रथा पर हिंदी में कविता | Dahej Pratha Kavita Hindi Me

भारत में दहेज प्रथा पर कविता कैसे लिखे और Dahej Pratha Par Kavita लिखने का आसान तरीका क्या है जाने सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

भारत देश में बरसों से चला रहा दहेज प्रथा का सिलसिला अभी भी जारी है और ऐसा नहीं है कि यह केवल पिछड़े वर्ग में या फिर उन क्षेत्रों में ही चलन है जहां पर सामाजिक दूरियां शिक्षा का अभाव है वर्तमान समय में देखा जाए तो पढ़े-लिखे शिक्षित लोग भी दहेज प्रथा का काफी बेहतर तरीके से संचालन करते हैं जो की एक सामाजिक बुराइयों में गिना जाता है किसी की बेटी को ब्याह कर अपने घर लाना जिसने अपना सब कुछ छोड़कर पराया घर में आना स्वीकार किया उससे आप दहेज लेकर अपनी मानसिकता और सामाजिकता का परिचय दे रहे हैं परंतु आज भी बहुत सी कोशिशो के बावजूद दहेज प्रथा का अंत नहीं किया जा सका इसीलिए आज हम भारत में दहेज प्रथा पर हिंदी में कविता लिखने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आपका भी मन भाव विभोर हो जाएगा।

Bharat Me Dahej Pratha Par Kavita

भारत में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के होने से समाज में जितने भी सकारात्मक भाव हैं वह बिल्कुल समाप्त हो जाते हैं और शायद यही कारण है कि कहां भी गया है कि दहेज लेना ही बुरी बात नहीं बल्कि देने वाला भी बुरा माना जाता है लेकिन सामाजिक तौर पर यदि देखा जाए तो इसका ऐसा परिचालन कर दिया गया है की विवाह होने पर दहेज देना अनिवार्य समझा जाता है और उन्हें प्रथा को कविताओं के माध्यम से सामाजिक तौर पर उभरने के लिए प्रयत्न भी किया जाता है इसलिए आज हम इस लेख के माध्यम से भारत में Dahej Pratha Kavita Hindi Me लिखकर यह संदेश देना चाहेंगे की बेटियां किन परिस्थितियों से गुजर कर दहेज प्रथा का शिकार हो रही है।

भारत में दहेज प्रथा पर कविता
भारत में दहेज प्रथा पर कविता

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भारत में दहेज प्रथा पर हिंदी में कविता

अब हम आपको Dahej Pratha Kavita के प्रचलन पर कविता हिंदी में बताने जा रहे हैं जिसके माध्यम से आपको भी एक सामाजिक संदेश प्राप्त होगा और जितने भी लोग इन कविताओं को पढ़ेंगे यह अपने जीवन में जरूर करेंगे कि इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का प्रयास करें जिससे दहेज प्रथा के कारण भारत में होने वाली मौतों को रोका जा सके तो लिए आज हम आपको दहेज प्रथा कविता हिंदी में बताने का प्रयास करते हैं।

दहेज प्रथा पर कविता निम्नलिखत है।

कब तक नारी अग्नि की भेंट चढ़ती रहेगी…!
  • कब तक नारी अग्नि की भेंट चढ़ती रहेगी

कभी जौहर,कभी सती प्रथा कभी दहेज ।

विवाह में खुशी से कभी उपहार दिए जाते थे।

उपहार ने विकराल रूप धरा दहेज का।

विवाह दो दिलों का मिलन नहीं।

लाभ का सौदा है।

बोली लगती वर की।

वधू गाय समान।

कब तक नारी अग्नि की भेंट चढ़ती रहेगी

नारी है अन्नपूर्णा।

नारी को ही अग्नि में स्वाह किया।

दहेज दानवों ने ।

माता पिता दहेज की खातिर

दाव पर लगा देते जीवन अपना।

मां सारी खुशियां त्याग अपनी।

बेटी को सारी खुशियां देने को।

मुफ्त में मिले से संतुष्ट हुआ है क्या कोई?

और ऑर्र की चाहत में।

कोई ताने सुनाए।

कोई मांग करे गाड़ी की ।

तो कोई कैश की।

दहेज लोभियों से तंग आकर।

कितनी ही चढ गईं अग्नि की भेंट।

अरे पदी लिखी सुंदर ,

बुजदिल, आग की भेंट चढ़ने

वाली नारी।

तुझसे तो अनपढ़ चंबल की फूलन अच्छी।

किया अस्त ,

ध्वस्त करने वालों को।

नारी जीने के लिए लज्जा से ज्यादा होंसलों की जरूरत होती है।

नारी कब तक अग्नि की भेंट चढ़ती रहेगी।

कभी जौहर, कभी सती, कभी दहेज।

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दहेज प्रथा बन गई कालिख इस देश की….!
  • वो पढी लागे कली सुन्दरता उसकी हैं घनी

वो मिले जो किसी को खिल उठेगी जिन्दगी

पर देखो कैसा खेल हैं इस देश का उलटा रेल है

सवारेगी वो घर किसी का देगा बापू रकम बड़ी

वो……।

जो सहारा थी कभी वो आज एक मांग हैं

रो रहे है बाप जिनकी बेटिया संतान हैं

ये बन के शैतान अब डरा रहा हैं समाज को

बना दिया हैं बोझ इसने विश्व जननी जात को

वो़………।

बन गए धनवान वो जिनके घर मे जन्मे लाल हैं

हो गए कंगाल वो जहा बेटी जनम जात है

ये सोच है उस समाज का जहा बेटी की वाह वाह हैं

बढा रहे जो देश का हर कदम पे बढ के मान हैं

वो……..।

लड़के वाले बैठते हैं छाती फुलाए हुए

मागंते हैं ऐसे जैसे पाने हो चुकाए हुए

लड़की दे कर भी दानी बापू सहमाये हैं

दे कर के नोट भी वो नजरे झुकाए हैं

ऐसे क्या मुहाब्बत की पड़ सके हैं नीव कही

वो…….।

पूछीए उस मॉं से क्यो आखो मे संतोष नहीं

होनी थी खुशी उस खुशी मे क्यो जोश नही

सास क्यो बोल रही बोली तानो से भरी

कारण वो मांग हैं जो होगी शादी पे खड़ी

वो……….।

सच मे दहेज प्रथा सारा जन्जाल हैं

इससे ही तो घटी बेटी का मान हैं

नई ग्रहस्ती के लिए पुञी सहयोग की

ये बन गई हैं प्रथा आज कालिख इस देश की

वो…………।

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बिटिया रानी का अग्निस्नान….!
  • आज बहुत खुश थी कान्ता रानी;

उसकी बिटिया रेखा हो गयी सयानी ।

कर दी शुरु रिश्ते की तलाश;

एक अच्छा रिश्ता आया उनके पास ।

जांच की पङताल करायी;

कोई कमी ना सामने आयी।

लडके वाले थे अमीर बडे;

कान्ता को गहने गिरवी रखने पडे।

फिर आयी दहेज की बारी;

धरी रह गयी सारी तैयारी।

लडका बोला गाडी चाहिये ;

शादी से भी पहले चाहिये।

गरीब मां बाप ने हां कर दी ;

अपनी बाकी जमीन भी गिरवी रख दी।

शादी हो गयी धूम धाम से ;

रेखा चली गयी अपने गांव से।

फिर लडके वाले बार बार पैसो की मांग करने लगे

रेखा को भी वो परेशान करने लगे।

रेखा रहने लगी परेशान

खुद को करना चाहती थी बेजान;

कर लिया उसने अग्निस्नान ।

आओ आज हम एक प्रण ले;

किसी कि बेटी फिर ना जले।

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