Short Stories In Hindi With Moral- बच्चों के लिए हिंदी में 25+ छोटी कहानियां

Short Stories Kya Hoti Hai और बच्चों के लिए 25+ छोटी कहानियां कौन सी है एवं Short Stories In Hindi With Moral

हमेशा से ही कहानियों और बच्चों के बीच दोस्ताना संबंध स्थापित रहा है जिससे बच्चे सीख भी लेते आए हैं और उनका मनोरंजन भी होता रहा है क्योंकि छोटे बच्चों को जब कोई सीख की बात बतानी होती है तो अक्सर ही माता-पिता उन्हें कहानियों के माध्यम से उनको यह सीख देने का कार्य करते हैं जिससे वह सही और गलत की पहचान कर सकें। इसी वजह से अक्सर ही बच्चे कहानी सुनने के लिए उतावले रहते हैं यदि आप भी अपने बच्चों को Short Stories सुनाना चाहते हैं तो यह Article आपके लिए काफी उपयोगी होगा जिसमें आपको हिंदी में छोटी कहानियां मिल जाएंगी। तो यह निम्नलिखित हम आपको हिंदी में 25 छोटी कहानियां के बारे में बताते हैं

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Short Stories (छोटी कहानी) क्या होती है?

ऐसी कहानियां जो कम शब्दों में ही बड़ी सीख दे जाती हैं उन्हें हम Short Stories या फिर छोटी कहानियों के नाम से जानते हैं इसमें सिर्फ कुछ किरदार को ही दर्शाया जाता है और जिसके माध्यम से एक सही और एक गलत की पहचान करने का तरीका बताया जाता है इस कहानियों में शब्द तो कम होते हैं परंतु सीख ये बहुत बड़ी-बड़ी दे जाती है तो आइए हम आपको निम्नलिखित Short Stories बताते है।

Short Stories Kya Hoti Hai
Short Stories Kya Hoti Hai

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गुलाब के घमंड की कहानी

एक बार एक रेगिस्तान में एक गुलाब रहता था जिसे अपनी सुंदरता पर काफी ज्यादा घमंड था और वह अपने अन्य फूलों को नीचा दिखाए करता था और उनका काफी मजाक उड़ाया करता था परंतु एक वर्ष गर्मी के मौसम में इतना ज्यादा सूखा पड़ा कि गुलाब की पत्तियां एक-एक करके मुरझा गए जिससे वह काफी ज्यादा विचलित हो गया ऐसे में उसने कैक्टस के फूल से मदद मांगी और कैक्टस का फूल काफी नरम दिल था उसने उसे अपने हिस्से का कुछ पानी दे दिया जिससे गुलाब के फूल की जान बच सकी ऐसे में गुलाब के फूल को अपने किए पर काफी पछतावा हुआ जिसके बाद उसने कैक्टस के फूल और अन्य सभी फूलों से माफी मांग ली।

गुलाब के घमंड की कहानी
गुलाब के घमंड की कहानी

सिख: हमें कभी भी अपनी सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए।

हिरण के घमंड की कहानी

एक जंगल में हिरण रहता था जो कि अपनी बड़ी-बड़ी सींगों की वजह से काफी ज्यादा घमंड रखता था वह सिंग भी काफी बड़े और सुनहरे थे परंतु वह अपने ही शरीर के पैरों की हमेशा बुराई करता था क्योंकि वह काफी ज्यादा पतले हुआ करते थे ऐसे में एक दिन जंगल में शिकारी कुत्तों ने हमला बोल दिया और हिरण अपने पतले पैरों के कारण खूब तेज दौड़ा और भागता चला गया परंतु आगे जाकर व पेड़ों की झाड़ियों में अपनी सिंगो की वजह से फस गया जिसके लिए उसने बहुत कोशिश की परंतु वह नहीं निकल पाया ऐसे में कुत्तों ने उसे नोच कर मार डाला तब जाकर हिरण को एहसास हुआ कि मेरे बदसूरत पैर ही जो थे उन्हीं वजह से मेरी जान बच रही थी परंतु इस सींग ने मुझे मौत के घाट उतरवा दिया।

हिरण के घमंड की कहानी
हिरण के घमंड की कहानी

सिख: घमंड करना एक बुरी आदत में शुमार होता है जिससे हमें नुकसान भी हो सकता है।

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लोमड़ी और अंगूर Short Stories

एक बार एक लोमड़ी को काफी ज्यादा भूख लगी जिसकी वजह से वह काफी ज्यादा विचलित हो चुकी थी उसने जंगल के चारों चक्कर काट लिया परंतु उसे खाने के लिए कुछ भी ना मिला जब थक हार कर बैठ गई तो वह सामने देखती है कि पेड़ पर ताजे ताजे रसीले अंगूर लटक रहे हैं जो कि थोड़ा ऊंचाई पर थे लोमड़ी वहां पहुंचकर काफी छलांग मारती है और काफी प्रयास करती है परंतु वह अंगूर उसे नहीं मिल पाते तब जाकर लोमड़ी ने बैठे हुए मन से अपने दिल में यह सोच लिया कि लगता है अंगूर खट्टे हैं तभी उसे नहीं मिल पा रहे हैं और यह सोचते हुए वह वहां से चली जाती है।

लोमड़ी और अंगूर Short Stories
लोमड़ी और अंगूर Short Stories

सिख: यदि हम किसी चीज को चाहे और वह हमें ना मिलता है तो उसकी बुराई हमें कभी नहीं करनी चाहिए।

हाथी और चींटी की कहानी

एक बार एक जंगल में एक हाथी रहता था जो कि काफी ज्यादा अभिमानी था वह अपने से सभी छोटे जानवरों को काफी तंग किया करता था जिससे सभी जानवर उससे बहुत ज्यादा डर देते हैं यह हाथी अपनी सूंड में पानी भर के छोटी-छोटी चिटियों के घरों पर डाल दिया करता था जिससे उनका घर बर्बाद हो जाता था और वह बैठ कर रोने लगती थी और करती भी क्या क्योंकि हाथी का आकार उनसे काफी ज्यादा बढ़ा था परंतु हाथी की इस हरकत से वह बहुत ज्यादा विचलित हो गई और उन्होंने उससे बदला लेने की ठान लिया और सभी चीटियां एकजुट होकर हाथी की सूंड में घुस गई और जगह-जगह काटने लगी जिससे हाथी बहुत ज्यादा दर्द से कराहने लगा तब जाकर हाथी ने चीटियों से माफी मांगी और दोबारा ऐसा कभी ना करने का वादा किया।

हाथी और चींटी की कहानी
हाथी और चींटी की कहानी

सिख: अपने से कमजोर लोगों को कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए।

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी

एक बार एक किसान और उसकी बीवी एक झोपड़ी में रहते थे और उनके पास कहीं से एक जादुई मुर्गी आ गई जो कि रोज एक सोने का अंडा देती थी जिससे किसान और उसके परिवार का रोज का खर्चा आसानी से निकल जाता था परंतु बैठे-बैठे एक दिन किसान के मन में आया कि क्यों ना मुर्गी का पेट चीरकर बाकी बचे सभी सोने के अंडे को एक बार में निकाला जाए और उसने यह बात अपनी बीवी को बताई और वह भी इस बात के लिए राजी हो गई

अगले दिन जब मुर्गी अंडा देने लगी तो ऐसे में किसान एक चाकू लेकर आया और मुर्गी का पेट चीर डाला परंतु वह देखता है कि उसके पेट में तो एक भी अंडा नहीं है ऐसे में वो काफी ज्यादा दुखी हो जाता है क्योंकि वह मुर्गी भी मर जाती है और उसका रोज का जो सोने का अंडा मिलना था वह भी बंद हो जाता है और वह बहुत ज्यादा रोता है परंतु अब वह कुछ भी नहीं कर सकता था।

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी

सिख: लालच एक बुरी बला है इसे कभी भी नहीं करना चाहिए।

टिड्डा और चींटी की कहानी

एक बार एक टिड्डा चीटियों के साथ रहा करता था और गर्मी का मौसम था जिसमें सभी चीटियां आने वाली सर्दी के लिए भोजन इकट्ठा करने में लगी हुई थी और टिड्डा जो था वह अपने कक्ष में आराम से लेटा हुआ मौज करता था और चीटियों का बहुत मजाक उड़ाता था वह कहता था कि तुम लोग यार काफी ज्यादा काम करती हो फिर भी तुम लोग को सही से भोजन नहीं मिल पाता देखो मैं आराम से लेटा रहता हूं और मुझे हर टाइम का भोजन भी मिल जाता है परंतु उसकी बातों को चीटियां नजरअंदाज कर देती थी

लेकिन जब सर्दी का मौसम आया तो चीटियां अपने कक्ष में आराम से लेट कर भोजन किया करती थी और टिड्डा इधर उधर सर्दी की ठंडक में भोजन की तलाश में आता जाता रहता जिससे उसे सर्दी भी लग जाती है और वह बीमार पड़ जाता है तब जाकर उसको अपनी गलती का एहसास होता है और वह चीटियों से माफी मांगता है।

टिड्डा और चींटी की कहानी
टिड्डा और चींटी की कहानी

सिख:अपने कार्यों को वक्त रहते पूरा कर लेना चाहिए जिससे आने वाले समय में आप उसका फायदा उठा सकें।

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चींटी और कबूतर की कहानी

एक बार एक चींटी नदी की धार में बह रही थी और वह डूबने लगी थी ऐसे में आसमान में एक कबूतर उड़ रहा था जिसकी नजर उस चींटी पर पड़ गई वह बिना देर किए नीचे आता है और एक पत्ता पेड़ से तोड़कर उस नदी में डाल देता है जिस पर चींटी चढ़ जाती है और उसकी जान बच जाती है और उस कबूतर का धन्यवाद कर के चली जाती है परंतु कुछ दिनों बाद चींटी फिर से जा रही होती है तो वह देखती है कि एक शिकारी जाल बिछाकर कबूतर का इंतजार कर रहा था

जब चींटी देखती है तो वह वही कबूतर था जिसने उसकी जान बचाई थी ऐसे में वह तुरंत शिकारी के पैर पर जोर से काट लेती है और शिकारी की चीख निकल जाती है तब जाकर कबूतर उस शिकारी को देख लेती है और वह झट से ऊपर की तरफ उड़ जाती है ऐसे में दोनों ही एक दूसरे की जान बचा कर दया की भावना दिखाते हैं।

चींटी और कबूतर की कहानी
चींटी और कबूतर की कहानी

सिख: सदैव एक दूसरे की मदद करते रहना चाहिए।

स्वामी और शिष्यों की कहानी

एक बार एक जंगल में स्वामी जी अपने शिष्यों के साथ रहते थे और उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी ऐसे में स्वामी जी ने अपने शिष्यों को यह आदेश दिया कि जंगल के उस पार पहाड़ पर एक जड़ी बूटी है जो कि उसे लेने के बाद ही मेरी तबीयत सही हो पाएगी और वह सभी शिष्यों को भेज देते हैं और कहते हैं कि याद रहे उस जड़ी-बूटी को लाने में 10 से 15 दिन लग सकते हैं तो तुम लोग फौरन ही निकल जाओ और इतना कहकर वह फिर से भगवान की आस्था में लीन हो जाते हैं

परंतु जब 15 दिनों बाद उनकी आंखें खुलती है तो अपने सामने सिर्फ एक शिष्य को ही पाते हैं और बाकी नहीं आ पाते क्योंकि उस एक शिष्य ने स्वामी जी की आज्ञा का तुरंत पालन किया था परंतु अन्य शिष्यों ने यह सोचा कि अभी तो बहुत समय है हम लोग फिर कभी जाकर लेते आएंगे।

स्वामी और शिष्यों की कहानी
स्वामी और शिष्यों की कहानी

सिख: अपने बड़ों के द्वारा दिए गए वचन को पूरा करना चाहिए और अपने समय को सही इस्तेमाल करना चाहिए।

व्यापारी और गधे की कहानी

गांव में एक व्यापारी के पास एक गधा था जिससे वह अपना व्यापार करने के लिए सामानों को रखकर शहर ले जाया करता था और नमक का व्यापार करता था हर बार वह गधे पर नमक लादकर शहर ले जाकर उन्हें बेचता था परंतु एक बार जब गधे की पीठ पर नमक लाद कर शहर जा रहा होता है तो रास्ते में एक नहर पड़ती है जिसमें गधे का पैर फिसल कर गिर जाता है और सारा नमक पानी में घुल जाता है और गधे का बोझ हल्का हो जाता है इससे गधे की आंखें खुल जाती हैं और वह काफी ज्यादा खुश हो जाता है और वह रोजाना यही हरकत करने लगता है ऐसे में व्यापारी उस गधे की हरकत समझ जाता है और उसे एक तरकीब सुझाई देती है।

अबकी बार वह नमक की बोरियों की जगह रुई की बोरियां उस गधे की पीठ पर लाद देता है और जैसे ही नहर करीब आती है गधा जानबूझकर उस नहर में गिर जाता है और रूई की बोरियां पानी को सोख लेती है जिससे वह वजन और भी ज्यादा भारी हो जाता है और गधे से उठा नहीं बनता तब जाकर व्यापारी उसे बोलता है कि तुम मुझे बेवकूफ समझ रहे थे ना अब तुम्हें समझ में आएगा कि मैंने क्या किया है।

व्यापारी और गधे की कहानी
व्यापारी और गधे की कहानी

सिख: कभी भी ज्यादा चालाकी नहीं दिखानी चाहिए यह आपके लिए घातक भी साबित हो सकती है।

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कछुआ और खरगोश की कहानी

एक जंगल में एक घमंडी खरगोश रहता था जो कि अपनी फुर्तीलेपन की वजह से काफी ज्यादा घमंड करता था और वह कछुए का बहुत ज्यादा मजाक उड़ाए करता था क्योंकि कछुआ धीरे-धीरे रेंग कर चलता था इसी मजाक उड़ाने की वजह से एक दिन दोनों में ही रेस की शर्त लग जाती है कि जो पहले पहुंचेगा वही जीतेगा और दोनों की रेस शुरू हो जाती है खरगोश तेज तेज दौड़ कर आगे जाकर एक पेड़ के नीचे आराम करने लगता है और सोचता है की आराम करके फिर से जाकर दौड़ कर पहुंच जाऊंगा परंतु जब वो आराम करता है तो उसकी आंख लग जाती है जब उसकी आंखें खुलती है तो वह देखता है कि कछुआ अपनी जगह पहुंच चुका है और वह जीत गया है उसको काफी ज्यादा लज्जा महसूस होती है।

कछुआ और खरगोश की कहानी
कछुआ और खरगोश की कहानी

सिख: कभी भी किसी को अपने से कमजोर नहीं समझना चाहिए जिससे खुद का नुकसान हो सके।

झूठे सियार की कहानी

एक बार एक सियार जंगल में भटक कर आ गया था और वह चलते-चलते एक नीले रंग के हौदे में गिर जाता है जब वह बाहर निकलता है तो उसका पूरा शरीर नीले रंग का हो जाता है जिसके बाद जंगल के सभी जानवर उसको देख कर इधर-उधर भागने लगते हैं और उससे डरने लगते हैं तब वह सभी जानवरों को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम लोग डरो नहीं मैं ईश्वर का दूत हूं मुझे ईश्वर ने तुम लोग की रक्षा के लिए भेजा है और आज से मैं ही तुम लोग का राजा रहूंगा और यह बात जंगल के सभी जानवर मान लेते हैं

एक बार जब सियार अपना दरबार लगा कर बैठा था तभी उसके कान में उसकी प्रजाति के सियार के चिल्लाने की आवाज जाती है जिससे वह भी जोर जोर से चिल्लाने लगता है तब जाकर सभी जानवर समझ जाते हैं ये कोई ईश्वर का दूत नहीं बल्कि एक मामूली सा सियार ही है जिसके बाद सभी जानवर उसे पीट-पीटकर मार डालते हैं।

झूठे सियार की कहानी
झूठे सियार की कहानी

सिख: झूठ बोलने की आदत एक दिन आप को मौत के घाट भी उतार सकती है इसलिए झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए।

शेर और चूहे की कहानी

एक बार एक चूहा भटक कर शेर की गुफा में जा पहुंचा और वह सोते हुए शेर के ऊपर उछल कूद करके खेलने लगा तभी अचानक से शेर की आंखें खुल जाती है और वह झपट्टा मारकर चूहे को पकड़ लेता है ऐसे में चूहा अपनी जान की मिन्नतें मांगने लगता है और कहता है कि आप मुझे छोड़ दीजिए एक दिन मैं भी आपके काम आऊंगा इतना सुनकर शेर जोर जोर से हंसने लगता है और कहता है कि तू इतना छोटा सा प्राणी है तू मेरे किस काम आ सकता है परंतु फिर भी शेर ये सोचता है कि इस छोटे से जानवर को खाकर मेरा पेट तो भरेगा नहीं चलो इसको छोड़ देते हैं

लेकिन कुछ दिनों बाद जब शेर को एक शिकारी अपने जाल में फंसा लेता है तो चूहे की नजर पड़ जाती है और वह जाकर तुरंत अपने दांतो से उस जाल को कुतर देता है और शेर आजाद हो जाता है तब जाकर शेर से माफी मांगता है और उस चूहे से दोस्ती कर लेता है।

शेर और चूहे की कहानी
शेर और चूहे की कहानी

सिख: छोटी से छोटी चीज आपके कब काम आ जाए या कभी किसी को नहीं पता होता इसलिए कभी किसी का छोटे पन की वजह से मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।

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लकड़हारा और उसके चार बेटे की कहानी

एक बार एक लकड़हारा अपने चार बेटों के साथ रहता था और चारों बेटे आपस में बहुत ज्यादा लड़ते थे जिससे लकड़हारा काफी ज्यादा परेशान रहता था फिर एक बार उसने उन चारों बेटे को सुधारने का ठान लिया वह चारों बेटों को अपने पास बुलाता है और उन्हें एक-एक लकड़ियां देता है और उसे तोड़ने को कहता है जिसे चारों बेटे झटपट आसानी से तोड़ देते हैं फिर उसके बाद उन्हें चार लकड़ियों का एक बंडल बांध कर देता है और उन्हें पुनः तोड़ने को कहता है परंतु इस बार चारों में से कोई भी बेटा और लकड़ी के बंडल को नहीं छोड़ पाता है

तब जाकर लकड़हारा उन्हें समझाता है कि यदि तुम लोग अलग-अलग रहोगे और एक दूसरे से लड़ते रहोगे तो तुम्हारा फायदा कोई दूसरा उठा कर तुम चारों को तोड़ने का प्रयास करेगा परंतु यदि तुम चारों एक साथ रहोगे तो कोई भी तुम्हें तोड़ नहीं सकता।

लकड़हारा और उसके चार बेटे की कहानी
लकड़हारा और उसके चार बेटे की कहानी

सिख: एकता में बहुत शक्ति होती है यदि आपस में मिलकर रहें तो कोई भी आपका बाल बांका भी नहीं कर सकता।

कछुआ और सारस की कहानी

एक नदी किनारे एक कछुआ रहता था जिसे बोलने की बहुत ज्यादा आदत थी परंतु वह दिल का काफी ज्यादा अच्छा था जिसकी वजह से वह नदी किनारे सभी जानवरों से दोस्ती कर बैठा था उसी नदी पर दो सारस  रहते थे जिनसे कछुए की काफी ज्यादा अच्छी दोस्ती थी एक दिन कछुआ सारस को उड़ता हुआ देख उनसे कहता है कि मेरी भी उड़ने की इच्छा है क्या मैं आप दोनों के साथ उड़ सकता हूं परंतु सारस उन्हें समझाता है कि तुम्हें पंख नहीं है तुम नहीं उड़ सकते लेकिन कछुआ जिद करने लगता है तब जाकर सारस मान जाते हैं और वह एक डंडी लेकर आते हैं

जिसके अगल-बगल दोनों सारस पकड़ लेते हैं और बीच में मुंह से कछुआ उस डंडी को दबा लेता है और वह उड़ने लगता है परंतु अपने बोलने की आदत की वजह से जब आसमान की ऊंचाइयों पर कछुआ पहुंच जाता है तो वह सारस से बात करने लगता है जिससे उसके मुंह से वह छड़ी छूट जाती है और वह नीचे सीधे जमीन पर गिरता है जिससे उसे काफी ज्यादा चोट आती है।

कछुआ और सारस की कहानी
कछुआ और सारस की कहानी

सिख: सदैव कम बोले और स्थिर बोले ज्यादा बोलना भी आपकी जान का खतरा बन सकता है।

किसान और कुंए की कहानी

एक बार एक किसान को अपने खेतों में सिंचाई के लिए पानी की सख्त आवश्यकता थी जो कि उसे कहीं भी नहीं मिल रहा था तब जाकर उसने पड़ोसी के कुए पर नजर पड़ती है और वह कुआं उस पड़ोसी से खरीद लेता है परंतु जब सुबह कुएं से पानी लेने जाता है तो पड़ोसी उसे रोक देता है और कहता है कि मैंने तो तुम्हें सिर्फ कुंवा बेचा है पानी नहीं,ऐसे में तुम पानी लेने के हकदार नहीं हो जिससे किसान काफी ज्यादा अचंभित हो जाता है लेकिन उसे एक नई तरकीब सूझी, वह तुरंत पड़ोसी से कहता है ठीक है

जब तुमने मुझे अपना कुआं ही बेचा है तो जल्दी से मेरे कुएं में से अपना पानी निकाल लो क्योंकि मेरे कुएं में तुम्हारा पानी रखने का भी कोई अधिकार नहीं है यह बात सुनते ही पड़ोसी शर्म से लज्जित हो जाता है और वह किसान से माफी मांग लेता है।

किसान और कुंए की कहानी
किसान और कुंए की कहानी

सिख: कभी किसी को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए जिसके कारण आपको भी परेशान होना पड़े।

लालची शेर की कहानी

एक दिन एक जंगल में एक शेर भूख से काफी ज्यादा विचलित होने पर इधर-उधर शिकार की तलाश में भटक रहा था परंतु उसे कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा था तभी उसकी नजर एक खरगोश पर पड़ती है जिसे वह पकड़ लेता है परंतु उसे बहुत छोटा लगता है जिससे उसकी भूख नहीं मिट पाती इसलिए वह खरगोश को छोड़ देता है वह कहता है कि मैं आगे जाकर कुछ बड़ा ढूंढता हूं तभी उसकी नजर एक लोमड़ी पर पड़ती है और उसे दौड़ाने लगता है परंतु इतने दिनों से भूखे होने के कारण वह काफी ज्यादा थक चुका होता है

जिससे लोमड़ी भाग जाती है और वह वहीं रुक जाता है तब वह सोचता है की  चलो खरगोश को ही खा लेते हैं लेकिन जब वह वापस आता है तो देखता है कि वहां कोई खरगोश नहीं और वह खरगोश भाग गया ऐसे में उसे अपनी लालच का पता चलता है जिससे उसको काफी शर्मिंदगी महसूस होती है।

लालची शेर की कहानी
लालची शेर की कहानी

सिख: जितना प्राप्त हो उतने में ही खुश रहना चाहिए ज्यादा लालच बुरी बात होती है।

सुई देने वाले पेड़ की कहानी

एक घर में दो भाई रहते थे जो बड़ा भाई था वह काफी ज्यादा निर्दयी था और अपने छोटे भाई को परेशान करता था उसका खाना कपड़ा सब इस्तेमाल कर लेता था परंतु उसे कुछ भी ना देता था एक दिन बड़ा भाई जंगल में लकड़ी तोड़ने गया जैसे ही वह पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने गया तो पेड़ बोलता है कि तुम मुझे मत काटो उसके बदले मैं तुम्हें सुनहरा सेव दूंगा जिसके लिए वह सहमत हो जाता है परंतु उसे बाद में समझ आता है कि क्यों ना इससे मैं एक सेब की जगह कई सारे सेब ले लूं और उसे धमकाने लगता है

ऐसे में पेड़ को गुस्सा आ जाता है और वह सुइयों की बौछार बड़े भाई पर कर देता है जिससे उसका शरीर घायल हो जाता है तब जाकर छोटा भाई यह देखकर दौड़े-दौड़े आता है और अपने बड़े भाई के शरीर से धीरे-धीरे सभी सुइयों को निकाल देता है यह देख कर बड़ा भाई काफी लज्जित महसूस करता है और अपने छोटे भाई से माफी मांग लेता है।

सुई देने वाले पेड़ की कहानी
सुई देने वाले पेड़ की कहानी

सिख: लालची व्यक्ति को हमेशा नुकसान ही होता है इसलिए लालच कभी नहीं करना चाहिए।

दो मेंढ़कों की कहानी

एक बार दो मेढ़क एक गड्ढे में गिर जाते हैं जिसमें से एक बहरा मेढ़क रहता है दोनों को गड्ढे में गिरा देख बाकी के मेंढक आकर उन्हें निकालने का प्रयास करते हैं परंतु वह निकल नहीं पाते तब जाकर बाकी मेढ़क उन दोनों मेंढक से बार-बार यह कहते हैं कि तुम लोग अब बाहर नहीं निकल पाओगे जिसके लिए वह काफी हतोत्साहित करने लगते हैं उन मेढको की बात मानकर एक मेंढक अपने दूसरे मेडक से कहता कि हम लोग वाकई में नहीं निकल पाएंगे और वह वहीं बैठे बैठे दम तोड़ देता है परंतु दूसरा मेंढक जो बहरा रहता है

वह कोशिश जारी किए रहता है और अंत में एक लंबी छलांग मारकर गड्ढे के बाहर आ जाता है जिससे बाकी मेढ़क सोच में पड़ जाते हैं कि इसने ऐसे कैसे कर लिया जबकि वह दूसरा मेंढक बहरा रहता है वह लोगों की बात नहीं सुन पाता और अपने प्रयास जारी किए रहता है।

दो मेंढ़कों की कहानी
दो मेंढ़कों की कहानी

सिख: दूसरों की बातों पर ध्यान ना दे कर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए इसी से आप सफल हो सकते हैं।

राजा और किसान की कहानी

एक बार एक राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा लेने के लिए सड़क के बीचो बीच एक बड़ी चट्टान को रखवा दिया जिसके बाद वहां से बहुत से लोग गुजरे लेकिन किसी ने भी उस चट्टान को किनारे ना किया बल्कि उल्टा उन लोगों ने राजा को ही भला बुरा कहा लेकिन राजा यह सब अपनी आंखों से छुपकर देख रहा होता है तभी एक किसान वहां से गुजर रहा होता है वह अपने हाथों से उस मोटी चट्टान को धकेल कर किनारे कर देता है और तभी उसे वहां एक झोला नजर आता है झोले को उठाता है तो उसमें ढेर सारी अशरफिया रहती हैं

और उसमें एक कागज पर कुछ लिखा हुआ रहता है जिसमें राजा की तरफ से एक संदेश लिखा रहता है कि जो भी इस चट्टान को बीच सड़क से हटा देगा ये झोला  उसका हो जाएगा और इस तरह राजा की परीक्षा भी पूरी हो जाती है और किसान को अशर्फियां भी मिल जाती है।

राजा और किसान की कहानी
राजा और किसान की कहानी

सिख: हमेशा अच्छे आचरण और अच्छे कार्य करते रहना चाहिए जिससे आपको फायदा ही होगा कभी नुकसान नहीं हो सकता।

अकबर और बीरबल की कहानी

एक बार अकबर ने अपने सभी दरबारी से एक ऐसा प्रश्न पूछ लिया जिससे सभी अचंभित रह गए और कोई भी उस सवाल का जवाब नहीं दे पाया तभी उस दरबार में बीरबल आ जाते हैं और अकबर बीरबल से भी वही प्रश्न पूछते हैं कि बीरबल यह बताओ कि पूरे शहर में कितने कौवे हैं ऐसे में बीरबल थोड़ा सा भी परेशान नहीं होते और तुरंत ही कहते हैं कि महाराज मुझे इसका उत्तर पता है और वह बताते हैं इस शहर में पच्चीस हजार दो सौ बीस कौवे हैं अकबर यह सुनकर तुरंत पूछ बैठते हैं कि तुम्हें यह कैसे पता तब बीरबल कहते हैं

कि यदि आपको यकीन ना हो तो अपने दरबारियों से कहें कि वह जाकर पूरे शहर में कौवों को गिने यदि कौवे इस संख्या से ज्यादा है तो समझ लीजिएगा कि उनके रिश्तेदार शहर में आए हैं और यदि कम है तो यह समझ लीजिएगा कि कुछ कौवे बाहर के शहर में अपने रिश्तेदारों के यहां गए हुए हैं तब जाकर अकबर को इस जवाब से संतुष्टि मिलती है।

अकबर और बीरबल की कहानी
अकबर और बीरबल की कहानी

सिख: तेज बुद्धिमान व्यक्ति को कभी कोई हरा नहीं सकता है।

कुत्ता और हड्डी की कहानी

एक बार एक कुत्ते को एक रसीली हड्डी प्राप्त हुई जिसे वह अपने मुंह में दबाकर तेजी से अपने घर की तरफ भागा जैसे ही वह जा रहा था तो रास्ते में एक छोटी सी पुलिया पड़ती है जिस पर जाने के बाद उसकी नजर नीचे पानी में जाती है जहां उसे परछाई में एक दूसरा कुत्ता दिखाई देता है जिसके मुंह में हड्डी रहती है और यह देखकर उसे गुस्सा आने लगता है और जोर जोर से भौंकने लगता है जिससे उसके मुंह की हड्डी गिरकर पानी में चली जाती है जोकि वह काफी ज्यादा विचलित हो जाता है और वही रोने लगता है तब उसे एहसास होता है कि उस पानी में कोई और कुत्ता नहीं बल्कि उसकी खुद की परछाई थी और वह मुंह लटकाए हुए अपने घर की तरफ चला जाता है।

कुत्ता और हड्डी की कहानी

सिख: अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से काफी नुकसान भी हो जाता है।

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी

एक लड़का अपनी बकरियों को पहाड़ी पर ले जाकर चराया करता था वहीं बैठे बैठे उसे अचानक से एक मजाक करने की तरकीब सूझती है और जोर से चिल्लाते हुए गांव की तरफ भागता है और कहता है “भेड़िया आया, भेड़िया आया, भेड़िया आया” जिससे गांव के लोग लाठी डंडा लेकर तुरंत उसकी तरफ बढ़ते हैं परंतु वह जोर से हंसने लगता है और कहता है कि अरे मैं तो मजाक कर रहा था जिससे लोग गुस्सा हो जाते हैं यही तरीका एक दो बार और अजमा कर लोगों को परेशान करता है जिससे उसकी बातों पर अब कोई यकीन नहीं करता तभी 1 दिन सच में भेड़िया आ जाता है

और उसकी बकरियों को नोच कर खाने लगता है जिससे वह फिर से “भेड़िया आया, भेड़िया आया, भेड़िया आया” चिल्लाता हुआ गांव की तरफ आता है लेकिन इस बार उसकी बात को कोई भी नहीं सुनता और सभी अपने काम में लगे रहते हैं तब जाकर उसे एहसास होता है कि मजाक में भी कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी
झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी

सिख: मजाक में भी झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए क्योंकि इससे आपको ही नुकसान होगा।

लोमड़ी और सारस की कहानी

एक बार एक लोमड़ी और सारस में दोस्ती हो जाती है जिसके बाद लोमड़ी सारस को अपने घर पर दावत के लिए आमंत्रित करती है जब सारस लोमड़ी के घर जाता है तो वहां लोमड़ी उसे समतल कटोरे में खाना परोसता है जोकि सारस को खाने में काफी कठिनाई होती है और लोमड़ी झटपट अपने खाने को खा लेता है इसके बाद सारस लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए अपने घर पर आमंत्रित करता है और उसे एक गहरे सुराही के बर्तन में खाना देता है जिसे सारस तो आसानी से चोंच डाल कर खा लेता है परंतु लोमड़ी को काफी ज्यादा कठिनाई होती है तब जाकर लोमड़ी को एहसास होता है कि उसने सारस के साथ गलत व्यवहार किया था और उसके लिए वह उससे क्षमा भी मांगती है।

लोमड़ी और सारस की कहानी
लोमड़ी और सारस की कहानी

सिख: एक दूसरे के प्रति हमेशा अच्छा आचरण और व्यवहार रखना चाहिए।

लालची आदमी की कहानी

एक बार एक परी पेड़ों की जाल में फस जाती है तब एक आदमी की नजर उस पर पड़ती है और वह उसे उस जाल से आजाद कर देता है और परी उससे इतना खुश हो जाती है कि उस आदमी से वचन मांगने को कहती है ऐसे में वह लालची आदमी फटाक से यह बोल देता है कि मैं जिस भी चीज को छू बस सोने की हो जाए और परी उसे ये वचन देकर चली जाती है अब लालची आदमी अपने हाथों में कंकड़ , पत्थरों को लेकर सोना बनाने लगता है और यह चीज दिखाने के लिए वह तुरंत घर की तरफ भागता है जैसे ही वह घर में घुसता है

उसकी बेटी दौड़े-दौड़े आ जाती है और वह उसको गोदी में उठा लेता है परंतु यह क्या उसकी पुत्री भी तुरंत सोने की बन जाती है जिससे वह बहुत ज्यादा विचलित हो जाता है और रोने लगता है और जगह-जगह परी को ढूंढने लगता है परंतु इसका कोई फायदा नहीं होता।

लालची आदमी की कहानी
लालची आदमी की कहानी

सिख: लालच बहुत बुरी चीज होती है या आपको अपनों से अलग कर देती है।

बीरबल की खिचड़ी की कहानी

एक बार जाड़े के दिन में बादशाह अकबर यह कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इस ठंडे तलाब में पूरे कपड़े उतार कर रात भर रहेगा उसे मैं अशरफियों से भर दूंगा तभी एक नवयुवक उनकी बात को मानते हुए रात भर उस तालाब में खड़ा रह लेता है जब सुबह होती है तो राजा उससे पूछते हैं कि बताओ तुमने यह कैसे किया तो वह बोलता है कि हुजूर आपकी बालकनी पर एक चिराग जल रहा था जिसे देखकर मैं गर्मी महसूस कर रहा था और मैं रात भर इस वजह से रह लिया तभी बादशाह अकबर बोलते हैं कि तुमने वादे को पूरा नहीं किया तुमने मेरे चिराग से गर्माहट ली है और वह उसे वापस भेज देते हैं

   फिर अगले दिन वह बीरबल से खिचड़ी बनाने को कहते हैं बीरबल नीचे आग लगाकर काफी ऊंचाई पर तीन लकड़ियों में बर्तन को बांधकर खिचड़ी पका रहे होते हैं जब अकबर ये देखते हैं तो वह काफी गुस्सा होते हैं और बीरबल से पूछते हैं कि बताओ ईतनी दूरी पर भला खिचड़ी पक सकती है तभी बीरबल फटाक से बोलते हैं कि जब इतनी कम दूरी पर आग से पतीली नहीं गर्म हो सकती तो फिर आप की बालकनी से उस युवक को चिराग से गर्माहट कैसे मिल सकती है तब बादशाह अकबर की आंखें खुल जाती है और वह तुरंत उसने युवक को बुलाकर अशरफिया देते हैं और माफी मांग लेते हैं।

बीरबल की खिचड़ी की कहानी
बीरबल की खिचड़ी की कहानी

सिख: अपने किए गए वादे को पूरा करना चाहिए और कभी भी किसी पर  झूठा लांछन नहीं लगाना चाहिए।

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