दिशाएं क्या होती है और दिशाओ के नाम क्या क्या होते है एवं दिशाओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में एवं 10 Dishaon ke Naam Hindi Me
जब भी हम दिशाओं की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले चार Dishaon का नाम ही आता है जो की पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण है हालांकि मुख्यता यही चारों दिशाएं ही मानी भी जाती हैं परंतु क्या आपको पता है की दिशाएं 10 होती हैं जिनके बारे में शायद ही लोगों को जानकारी होती है ऐसे में जिन लोगों को भी इन Dishaon के बारे में जानकारी नहीं है तो आज इस लेख के माध्यम से हम उन सभी 10 दिशाओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में बताएंगे और उन दिशाओं के बारे में विस्तार से जानकारी भी देंगे क्योंकि इन दिशाओं के माध्यम से ही वैज्ञानिक सभी प्रकार की भौगोलिक जानकारी को एकत्र करते हैं।
दिशाएं क्या होती है?
अमूमन देखा जाए तो Dishaon जो होती हैं वह हमें रास्ता बताने का कार्य करती हैं जिसके द्वारा ही हम भौगोलिक जानकारी को हासिल कर पाते हैं और इन दिशाओं के माध्यम से ही वैज्ञानिक अध्ययन करके प्राकृतिक आपदा मौसम का अनुमान एवं तकनीकी मदद की सहायता लेते हैं और यह दिशाएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण भी मानी जाती हैं जिससे पृथ्वी पर होने वाली सभी घटनाओं एवं प्रकृति की संरचना का भी वर्णन व्यवस्थित तौर पर किया जाता है।
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Disha कितनी होती है?
यदि मुख्य रूप से देखें तो 4 ही प्रमुख दिशाएं होती हैं जो की उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम है और इन दिशाओं के बीच छुटने वाली जितनी भी दिशाएं होती हैं उन्हें उनके श्रेणी क्रम के अनुसार 45 डिग्री के को पर उप दिशाओं का निर्माण होता है जिनका उपयोग ज्यादातर वैज्ञानिक तौर पर किया जाता है जिसकी सहायता से ही पृथ्वी की संरचना एवं उसके अध्ययन के बारे में जानकारी प्राप्त होती है तो ऐसे में कुछ और उप दिशाओं को मिलाकर यह कल 10 प्रकार की Dishaon हो जाती हैं और हर दिशाओं का एक अलग वैज्ञानिक महत्व है।
दिशाओं(Directions) का नाम हिंदी और English में
जिन भी लोगों को दिशाओं के बारे में ज्ञान नहीं है या केवल उन्हें कर ही Dishaon के बारे में पता है तो ऐसे में हम अन्य सभी उपदेशों को मिलाकर जितनी भी 10 दिशाएं होती हैं उनका नाम हिंदी और अंग्रेजी में बताने जा रहे हैं जिसकी सूची निम्नलिखित प्रदर्शित कर रहे हैं।
Direction Name in English | हिंदी में दिशाओं के नाम | दिशाओं का संकेत |
East | पूर्व | E(पू) |
West | पश्चिम | W(प) |
North | उत्तर | N(उ) |
South | दक्षिण | S(द) |
North West | उत्तर पश्चिम | N.W(उ.प) |
South West | दक्षिण पश्चिम | S.W(द.प) |
North East | उत्तर पूर्व | N.E(उ.पू) |
South East | दक्षिण पूर्व | S.E(द.पू) |
Up Direction | ऊपर दिशा | ⬆️ |
Down Direction | नीचे दिशा | ⬇️ |
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सभी दिशाओं के बारे में विस्तार से जानकारी
पूर्व (East)
जो चार मुख्य दिशाएं हैं उनमें से पहले पूर्व दिशा है जिसे हिंदी के तद्भव रूप में पूरब दिशा भी कहते हैं और यह काफी महत्वपूर्ण दशा मानी जाती है क्योंकि इसी दिशा से सूर्योदय होता है और इस दिशा के स्वामी इंद्रदेव और सूर्य देव को कहा जाता है।
पश्चिम (West)
पश्चिम दिशा पूर्व दिशा की बिल्कुल उलट होती है और यह Disha सूर्यास्त के लिए जानी जाती है और हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इसके स्वामी वरुण देव हैं।
उत्तर (North)
पृथ्वी का जो नॉर्थ पोल होता है जिसे उत्तरी ध्रुव भी कहा जाता है वह उत्तर दिशा में होता है और उसके ध्रुव को दिशा देने के लिए ही इसका उपयोग किया जाता है और इस Disha के स्वामी को धन का देवता या कुबेर भी कहते हैं।
दक्षिण (South)
दक्षिण (South) डायरेक्शन में पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव (South Pole) स्थित है इसी डायरेक्शन मे बर्फीला महाद्वीप अंटार्कटिका भी आता है, इस दिशा के स्वामी को यमराज माना जाता है।
उत्तर–पूर्व (North East)
पृथ्वी के उत्तर और पूर्व के बीच 45 डिग्री के कोण पर उत्तर पूर्व दिशा स्थित है जिसे ईशान कोण के नाम से भी जाना जाता है और इस दिशा के स्वामी सूर्य देव को माना जाता है।
दक्षिण–पूर्व (South East)
पृथ्वी के दक्षिण और पूर्व के बीच के 45 डिग्री के को पर जो स्थान एवं दिशा प्रदर्शित होती है उसे दक्षिण पूर्व दिशा कहते हैं जिसके स्वामी अग्निदेव हैं और इसी कारण से इस आग्नेय कोण भी कहा जाता है।
उत्तर–पश्चिम (North West)
पृथ्वी के उत्तर और पश्चिम में 45 डिग्री के को पर जो दिशा बनती है उसे उत्तर पश्चिम दिशा कहते हैं और इसके स्वामी पवन देव को माना जाता है और इसी कारण से वायव्य कोण के नाम से भी यह जानी जाती है।
दक्षिण–पश्चिम (South West)
पृथ्वी के दक्षिण और पश्चिम के बीच में स्थित जो दिशा का स्थान होता है उसे दक्षिण पश्चिम दिशा कहते हैं जिसके स्वामी निरती देव हैं और इसी कारण से इसे नैऋत्य दिशा भी कहते हैं।
ऊर्ध्व (ऊपर/UP)
पृथ्वी से आकाश की तरफ जो Disha जाती है उसे और ऊर्ध्व दिशा कहते हैं और हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार यदि देखा जाए तो ब्रह्मांड के जो रचयिता है उन्हें ही इसका स्वामी माना जाता है जो ब्रह्मा जी हैं।
अधो(नीचे/Down)
जो दिशा पटल की तरफ जाती है उसे हम अधो दिशा कहते हैं और इस दिशा के देवता शेषनाग को माना जाता है।
दिशा की पहचान कैसे किया जाता है?
जब भी हम Dishaon की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो ऐसे में हमारे पास आधुनिक दौर में Compass उपलब्ध होता है जिसकी सहायता से हम सभी दिशाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पाते हैं परंतु कभी-कभी ऐसी स्थिति भी होती है कि हमें बिना कंपास के ही दिशाओं की जानकारी लेनी होती है ऐसे में उसे जानने के लिए सबसे आसान तरीका यह है कि आप सुबह सूर्य की तरफ मुंह करके खड़े हो जाए और जिधर आपका मुंह होगा वह पूर्व दिशा होगी और दाएं की तरफ दक्षिण दिशा बाई की तरफ उत्तर दिशा तथा आपके पीठ की तरफ पश्चिम दिशा होगी और यह जब आप किसी Map, Compass की सहायता से देखेंगे तो बिल्कुल ही एक समान दिखेगा।
दिशाओं से संबंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQs)
यदि मुख्य रूप से देखा जाए तो हमारे ब्रह्मांड में चार दिशाएं ही होती हैं जो की पूर्व पश्चिम उत्तर और दक्षिण है जिनका अपना एक अलग-अलग महत्व है।
दो मुख्य दिशाओं के बीच में जो 45 डिग्री का कोण बनता है उसे ही हम अप दिशा कहते हैं जो की सभी चारों दिशाओं के बीच में स्थित होती हैं।
यदि आधुनिक दौर में देखें तो कंपास के माध्यम से आप आसानी से दिशाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और वर्तमान समय में मोबाइल में भी कंपास उपलब्ध होता है और ऐसे में यदि आप समान रूप से देखना चाहते हैं तो सूर्य की दिशाओं के आधार पर आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
चाहते हैं तो सूर्य की दिशाओं के आधार पर आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।