डीआरएस क्या होता है: DRS Full Form सभी महत्वपूर्ण जानकारी

DRS Kya Hota Hai और डीआरएस की फुल फॉर्म क्या होती है एवं ये कैसे कार्य करता है व इसे एक टीम में कितनी बार ले सकते है जाने हिंदी में

यूं तो पूरी एशिया में ही सबसे  ज्यादा क्रिकेट टीम है इंडिया,श्रीलंका,पाकिस्तान,बांग्लादेश, अफगानिस्तान दुनिया की 10 अच्छी टीमों में से 5 टीमें तो एशिया में ही है इस क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को माना जाता है जो कि मास्टर ब्लास्टर हैं अक्सर ऐसा होता था की एलबीडब्ल्यू या कॉट बिहाइंड देखने में कभी-कभी एंपायर गलत डिसीजन भी दे देता था जिससे कि एक टीम को इसका नुकसान उठाना पड़ता था इसीलिए डीएसआर की जरूरत महसूस हुई इसीलिए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने DRS का नियम बनाया ताकि एंपायर के फैसले एक तरफा ना हो। हम लोग बड़ी दिलचस्पी से टीवी पर देखते तो हैं लेकिन हमें बहुत से नियमों के बारे में पता नहीं होता जैसे कि नेट रन रेट कैसे निकालते हैं डकवर्थ लुईस नियम क्या है इसी कड़ी में एक डीआरएस नियम को भी जोड़ा गया है जिससे कि क्रिकेट में बेईमानी ना हो।

डीआरएस क्या है- DRS Kya Hai?

डीआरएस की फुल फॉर्म है डिसीजन रिव्यू सिस्टम। पहले तो लोग टीवी पर टेस्ट मैच भी बड़े शौक से देखते थे फिर सन 1975 से वनडे मैच की शुरुआत हुई उसके बाद   फिर लोग 20-20 क्रिकेट मैचों में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं क्योंकि है केवल 4 घंटों का होता है इसलिए हर व्यक्ति से देखना चाहता है इसमें एंपायर से कोई गलती हो जाती है तो बड़ा बुरा लगता है इसीलिए आईसीसी ने DRS का नियम बनाया जिसका का नाम डिसीजन रिव्यू सिस्टम रखा गया इसमें अगर एक टीम को लगता है कि एंपायर ने गलत डिसीजन दिया है तो वह हाथों के जरिए टी का निशान बनाकर 10 सेकेंड के अंदर अंदर रिव्यू मिल सकता है जिसे थर्ड एंपायर टीवी की बड़ी स्क्रीन पर देख कर डिसीजन देता है। इसको यूडीआरएस यानी के एंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है।

DRS Kya Hota Hai
DRS Kya Hota Hai

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DRS ( डिसीजन रिव्यू सिस्टम ) कैसे कार्य करता है ?

  • पहले तो DRS का इस्तेमाल केवल टेस्ट मैचों में ही किया जाता था लेकिन इसके बाद वनडे मैचों में और अब T20 मैच में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है |
  • जब किसी मैच के दौरान बैटिंग करने वाले टीम के बैट्समैन को लगता है कि एंपायर ने उसको गलत आउट दिया है तो वह भी रिवयू मांग सकता है
  • दोनों हाथों टी का निशान दिखाकर मगर यह डिसीजन बैट्समैन को 10 सेकेंड के अंदर ही लेना होता है उसके बाद ही उनका टाइम निकल जाता है फिर एंपायर अपने दोनों हाथों से एक रेक्टेंगल का निशान बनाता है
  • इसका मतलब होता है कि वह डीआरएस का डिसीजन थर्ड एंपायर से पूछ रहा है थर्ड अंपायर बड़ी स्क्रीन पर टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर बड़े ध्यान से देख कर देता है जिस पर किसी को एतराज नहीं होता
  • और अगर बॉलिंग करने वाली टीम को लगता है कि बैट्समैन आउट था और एंपायर उसे आउट नहीं देता तो बॉलर या विकेटकीपर अपने कप्तान से कह सकता है।
  • बॉलिंग करने वाली टीम का रिव्यू सिर्फ टीम का कप्तान हीं ले सकता है। अगर रिव्यू लेने वाली टीम का डिसीजन ऐमपायर के डिसीजन के विरोध जाता है तो उनका रिव्यू खत्म होता है और उनका डिसीजन अगर एंपायर कॉल पर जाता है तो उनका रिव्यू रहता है खत्म नहीं होता।

एक टीम डीआरएस कितनी बार ले सकती है ?

एक टीम DRS का डिसीजन केवल एक बार ही मांग सकती है अगर उस टीम का डीआरएस सही होता है तो भी बरकरार रहता है और अगर उसका रिव्यू गलत साबित होता है तो उसका रिव्यू फिर खत्म हो जाता है।

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डीआरएस में कौन-कौन सी तकनीक की सहायता ली जाती है ?

डीआरएस में कई तरह की तकनीक का सहारा लिया जाता है जिससे कोई भी डिसीजन गलत ना हो इन तकनीकों को बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

हॉक आई टेक्निक

जब बॉलर एलबीडब्ल्यू की अपील करता है और बॉलर को लगता है कि बैट्समैन आउट है तो वह अपने कप्तान से कहकर डीआरएस की मांग करता है इसके बाद थर्ड अंपायर बोल ट्रैकिंग ऐप के जरिए यह देखता है कि बोल विकेट पर लग रही थी या नहीं बोल ट्रैकिंग सिस्टम इस तकनीक से देखने पर अगर उसे यह लगता है कि बॉल विकेट पर लग रही थी तो वह आउट देता है और वह अगर विकिट के ऊपर या दांये-बांये से निकल जाती है तो वह आउट नहीं देता।

हॉटस्पॉट टेक्निक

थर्ड अंपायर इस टेक्निक का सहारा जब लेता है जब विकेटकीपर कौट बिहाइंड की अपील करता है इस टैकनीक की मदद से थर्ड अंपायर यह देखता है कि बॉल बैट को टच करके गई थी या नहीं और इस टेक्निक में एक नेगेटिव इमेज दिखाई देती है जिस वक्त बॉल बैट से टकराती है टकराने के दौरान वह हिस्सा सफेद दिखाई देता है वाकी सारी इमेज काली दिखाई देती है।

 स्निकोमीटर टेक्निक

इस तकनीक का सहारा भी कॉट बिहाइंड की अपील के बाद किया जाता है इसमें आवाज के माध्यम से देखा जाता है कि बोल बल्ले से टच हुई या नहीं अगर बॉल बल्ले से टच होती है तो साफ सुनाई पड़ता है इसकी मदद से एंपायर को डिसीजन लेने में कोई परेशानी नहीं होती।

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