एक देश एक चुनाव क्या है | One Nation One Election की जानकारी हिंदी में

One Nation One Election Kya Hai और एक देश एक चुनाव की चुनौतियां, लाभ क्या है एवं वन नेशन वन इलेक्शन से जुडी सभी जानकारी हिंदी में

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सत्ता में आने के बाद One Nation One Election एक अहम मुद्दा बन चुका है। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जहां एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर चर्चा हुई है देश में विभिन्न अवसरों पर विभिन्न मंचों में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। तो चलिए दोस्तों आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से एक देश एक चुनाव के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं जैसे एक देश एक चुनाव क्या है, इसके फायदे क्या है, देश को इसकी जरूरत क्यों है तथा इसके नुकसान क्या है। आपसे निवेदन है कि हमारे इस लेख को विस्तार से पढ़ें

One Nation One Election

जैसे कि हम सब जानते हैं लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं मैं एक मोदी पर लंबे समय से बहस चल रही है और हमारे प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा इस विचार को काफी आगे बढ़ाया गया है जो है एक देश एक चुनाव। यह एक वैचारिक उपक्रम है इसके अलावा देश में पंचायत और नगरपालिका के चुनाव भी होते हैं लेकिन एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया में इनको शामिल नहीं किया जाता One Nation One Election के अंतर्गत पूरे देश में 5 साल में केवल एक ही बार चुनाव किए जाते हैं | इससे लोगों पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होगा और लोगों के समय की भी बचत होगी |

One Nation One Election
One Nation One Election

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एक देश एक चुनाव क्या है?

1947 में भारत को आजादी प्राप्त होने के बाद तब से लेकर अब तक लोकसभा का गठन किया जा चुका है। ऐसे में समय-समय पर राज्यों के विधानसभा के लिए अनेकों बार चुनाव का आयोजन किया जाता है और इन चुनावों को निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी किया जाता है। देखा जाए तो प्रत्येक छह महीने में किसी न किसी राज्य का चुनाव आयोजित किया जाता है और इस चुनाव की तैयारी करने के लिए करोड़ों रुपए का खर्च आता है जो सरकार द्वारा लोगों से टैक्स द्वारा अर्जित किया जाता है। इस खर्च को कम करने के लिए सरकार द्वारा देश में One Nation One Election की योजना को आरंभ किया गया है। यदि यह नीति लागू होती है तो देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को पूरे देश में 5 साल में एक बार ही किया जाएगा।

एक देश एक चुनाव की नीति

Ek Desh Ek Chunav की नीति से देश पर पड़ने वाला आर्थिक पोज में कमी आएगी और इसमें लगने वाले अतिरिक्त समय की भी बचत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा वर्तमान समय में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ ही कराने पर विचार किया जा रहा है। तथा आने वाले समय में नागरिया निकाय के चुनाव को भी इसके अंतर्गत जोड़ा जाएगा और इन सभी को साथ लाने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी और व्यवस्थाओं की आवश्यकता होगी। और जैसे की हम सब जानते हैं सारे चुनाव की जिम्मेदारी केवल निर्वाचन आयोग की ही होती है इसी तरह इन चुनावों की जिम्मेदारी का बोझ भी निर्वाचन आयोग पर ही दिया जाएगा।

एक देश एक चुनाव के लाभ

विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होने पर विभिन्न प्रकार के लाभ होंगे जो कि कुछ इस प्रकार हैं

आर्थिक बचत-

जैसे की हम सब जानते हैं लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग अलग होने पर सरकार पर काफी खर्च आता है। यदि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव को एक साथ कर दिया जाता है तो धन की बचत होगी तथा इस धन का प्रयोग देश के विकास में किया जा सकेगा। विभिन्न सूत्रों के मुताबिक 2009 में लोकसभा चुनाव में 1100 करोड़ और 2014 मैं 4000 करोड़ का खर्च आया था। वर्ल्ड 2019 में मतदाता खर्च 72 यूपीए की गणना की गई है जिसमें उम्मीदवारों का खर्च शामिल नहीं किया गया है। इसमें लगभग 60 हजार करोड़ का खर्च आता है यदि इस राशि को बचा लिया जाता है तो इसका प्रयोग बड़ी परियोजना को शुरू करने में किया जा सकता है।

काले धन पर रोक-

लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव होने पर काले धन का उपयोग बड़ी मात्रा में होता है यदि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एक साथ कर दिया जाए तो निश्चित रूप से काले धन पर रोक लगेगा। ऐसे चुनाव में उम्मीदवार अपनी तय सीमा से काफी ज्यादा राशि खर्च करता है और रिकॉर्ड नहीं होने पर उनपर कोई कार्यवाही भी नहीं हो पाती ऐसे में काले धन मैं वृद्धि होती है तथा देश की ओर बिगड़ती है।

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सौहार्द में वृद्धि-

चुनाव के समय में धर्म और जाति जैसे बड़े बड़े मुद्दों पर चर्चा उठाई जाती है जिसमें समुदाय और दूसरे समुदाय के प्रति ईर्ष्या की भावनाएं पैदा होती हैं। ‌ और अनिशा की भावनाओं को मद्देनजर रखते हुए बड़ी बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। ‌ यदि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव को एक साथ उत्पन्न कर दिया जाए तो चुनाव केवल 5 साल में ही होंगे और इस प्रकार के कोई मुद्दा नहीं उठाए जाएंगे जिससे इंशा के भाव को कम किया जाएगा और शांति का वातावरण बना रहेगा।

आम आदमी के परेशानी की मुक्ति-

यदि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक बार होते हैं तो चुनावी शोर शराबा रैली असंभव बाय वीआईपी के आगमन के चलते आम आदमी को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि लोगों को फिर एक ही बार वोट डालना पड़ेगा और मतदाता के दौरान बाहर रहने वाले लोग भी केवल एक ही बार वोटिंग के नियम अपने स्थाई स्थानों पर आएंगे और वापस अपने काम पर ध्यान देंगे।

एक देश एक चुनाव के नुकसान

यदि सरकार द्वारा विधानसभा और लोकसभा के चुनाव को साथ में आमंत्रित कर दिया जाता है तो उन्हें फायदों के साथ-साथ कुछ नुकसान भी झेलने होंगे जो कि कुछ इस प्रकार हैं

  • क्षेत्रीय पार्टियों का नुकसान- यदि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एक साथ आमंत्रित किया जाता है तो सबसे बड़ा नुकसान क्षेत्रीय पार्टियों को भुगतना होगा। जहां क्षेत्रीय पार्टी अपना चुनाव लड़ेंगी वहीं राष्ट्रीय पार्टी इस मामले में उनसे कई गुना आगे होंगी और क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय पार्टियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे।
  • क्षेत्रीय मुद्दे पर रोक- जब लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आमंत्रित किए जाएंगे तो क्षेत्रीय मुद्दों पर रोक लगा दी जाएगी। क्योंकि इन चुनावों में राष्ट्रीय चुनावों की ज्यादा चर्चा होगी। और क्षेत्रीय चुनावों को नजरअंदाज किया जाएगा
  • चुनाव के परिणाम में देर- चुनाव एक साथ होने पर यह आकांक्षा जगाई जा रही है कि चुनाव का परिणाम प्राप्त करने में देरी आएगी क्योंकि मतगणना के दौरान सीमित सरकारी मशीनरी के चलते रिजल्ट देरी से प्रदान किए जाएंगे और इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था भी चारों ओर फहलाइ जाएगी।

एक देश एक चुनाव की चुनौतियां

  • एक देश एक चुनाव की सबसे बड़ी चुनौती है कि लोकसभा और राज्यसभा के कार्यकाल को समन्वित करने की ताकि दोनों को चुनाव निश्चित समय के भीतर हों
  • विधानसभा के कार्यकाल को लोक सभा के साथ सम्मानित करने के लिए राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को तदनुसार घटाएं और बढ़ाया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 83 में कहा गया है कि लोकसभा का कार्यकाल उसके पहले बैठक की तिथि के 5 वर्ष का होगा।
  • अनुच्छेद 85 को लोकसभा भंग करने का अधिकार दिया जाता है।
  • सबसे बड़ी चुनौती राजनीति दलों को राजी करना है कुछ राजनीति यों का यह मानना है कि एक देश एक चुनाव का कारण देश में घटनाएं बढ़ सकती हैं।
  • अनुच्छेद 172 में कहा गया है कि विधानसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक की तिथि के 5 वर्ष का होगा।
  • अनुच्छेद 356 मैं संवैधानिक मशीनरी की विफलता के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगने का अधिकार देता है।
Conclusion

प्यारे दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी इस लेख के माध्यम से समझ आ गया होगा कि एक देश एक चुनाव क्या है तथा इस में होने वाले लाभ और नुकसान क्या क्या है। यदि आपको इस विषय से संबंधित कोई भी कठिनाई या आपके मन में कोई भी प्रश्न आता है तो आप हम से नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं आप का कमेंट हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं हम जल्द से जल्द आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करेंगे।

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