एफडीआई क्या है और FDI Ki Full Form Kya Hoti Hai एवं जाने Foreign Direct Investment के प्रकार, फायदे व नुकसान क्या होते है हिंदी में
किसी भी देश का विकास उस देश की अर्थव्यवस्था पर ही निर्भर करता है जिसके लिए उसे अन्य देशों के साथ बेहतर रिश्ता बनाकर व्यापार करना जरूरी होता है और इसीलिए ज्यादातर देशों ने अपना कानून सरल और लचीला भी बनाया है जिससे विदेशी निवेशक वहां आकर आकर्षित हो सके। परंतु सभी देशों ने अपने यहां निवेश करने के लिए कुछ कानून भी बनाए हैं जिससे की देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके और उसका लाभ निवेशक को भी प्राप्त हो सके इसी क्रम में भारत में एफडीआई की शुरुआत की गई जिसके माध्यम से देश में विदेशी निवेशकों को बढ़ावा मिल सके और देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत बन सके तो आज हम आपको FDI से संबंधित सभी जानकारियां विस्तार से बताएंगे।
FDI Ki Full Form Kya Hoti Hai?
यदि देखा जाए तो FDI का Full Form “Foreign Direct Investment” होता है,जिसे हिंदी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नाम से जाना जाता है इस संस्था के माध्यम से ही भारत में विदेशी निवेश को सहमति प्रदान की जाती है और इसके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने पर ही विदेशी निवेशकों को देश में व्यापार करने एवं संस्था खोलने के अनुमति प्रदान की जाती है।
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एफडीआई(FDI)क्या है?
किसी भी एक देश का दूसरे देश की किसी परियोजना या कंपनी में किया जाने वाला जो निवेश होता है वह Foreign Direct Investment(FDI) कहलाता है यह एक प्रकार का सीधा एवं दीर्घ अवधि का निवेश होता है जिसके अंतर्गत विदेशी कंपनियां,मेजबान देश के कंपनियों में आम हिस्सेदारी खरीद कर अपनी उपस्थित दर्ज करने का कार्य करती हैं इसके माध्यम से आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है जिससे वहां अत्यधिक विदेशी निवेश होने पर रोजगार के अवसर पर बढ़ते हैं यदि सीधे शब्दों में कहा जाए तो एफडीआई के माध्यम से भारत में किसी विदेशी कंपनियों के द्वारा निवेश किया जाता है तो यह देश की आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा देना और पूर्ण रूप से किया गया निवेश होता है।
FDI के कितने प्रकार है?
यदि देखा जाए तो एफडीआई के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं जिनके माध्यम से विदेशी निवेशकों को अपने देश में निवेश करने का अवसर प्रदान किया जाता है।
- ग्रीन फील्ड निवेश(Green Field Investment)
- पोर्टफोलियो निवेश(Portfolio Investment)
Green Field Investment
एफडीआई के ग्रीन फील्ड निवेश के माध्यम से किसी देश के द्वारा किसी अन्य देश में निवेश करके एक नई कंपनी की स्थापना की जाती है जिसका पूरा स्वामित्व विदेशी कंपनी के पास होता है और वही इसको संचालित करती है।
Portfolio Investment
एफडीआई के पोर्टफोलियो निवेश के द्वारा किसी भी विदेशी कंपनी के द्वारा देश के अन्य कंपनी का Share खरीदा जाता है और उसके स्वामित्व वाली कंपनी का अधिग्रहण भी किया जा सकता है यदि जितना अधिक शेयर बाहरी कंपनी खरीदती है उसका प्रभाव उस कंपनी में उतना ही ज्यादा होता है
एफडीआई के नियम
- यदि देश में किसी कंपनी के द्वारा शेयर खरीदा गया है तो ऐसे में प्रबंधन में उस विदेशी कंपनी को शामिल किया जाता है और इस स्थिति में विदेशी उद्यमों के शेयरों का अधिग्रहण भी किया जा सकता है।
- वर्तमान समय में मौजूद देश में उधम और कारखाने पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकेगा।
- देश में सौ प्रतिशत स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी भी विदेश में स्थापित किया जा सकता है।
- कंपनी शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उधम में शामिल हो सकेगी।
- एफडीआई के माध्यम से जितनी भी विदेशी कंपनियों की शाखाएं कार्यालय एवं कारखाने हैं उन्हें देश में स्थापित किया जा सकेगा
- मौजूदा समय में जितनी भी विदेशी शाखाएं कारखाने हैं उन्हें विस्तारित करने का कार्य किया जा सकता है।
- FDI के माध्यम से अल्पसंख्यक शेयर अधिग्रहण को प्रबंधन में शामिल किए जाने का भी प्रावधान है।
FDI का फायदा क्या है?
- विदेशी निवेश और वंचित निवेश को स्थानीय स्तर पर एकत्रित की गई बचत के माध्यम से भरा जा सकता है।
- जितने भी विकासशील देश हैं वहां पर विदेशी निवेश होने से मशीनरी उपकरण को स्थानांतरित किया जा सकेगा और उसके साथ ही साथ तकनीकी का भी आदान प्रदान हो सकेगा।
- एफडीआई के माध्यम से जो भी मेजबान देश होगा वह निर्यात के प्रदर्शन में बेहतर कर सकेगा।
- देश में विदेशी निवेश होने से आधुनिक क्षेत्र में रोजगार का बढ़ावा देखने को मिलेगा ऐसे में बेरोजगारी दर में भी कमी आएगी।
- FDI के माध्यम से जितने भी विकासशील देश हैं उनके उपभोक्ताओं को नए उत्पादों के द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का फायदा होगा और कीमतों पर मल की गुणवत्ता में भी अधिक सुधार देखने को मिल सकेगा।
FDI का नुकसान क्या है?
- जब भी बाहरी देशों के द्वारा मेहरबान देश में विदेशी निवेश किया जाता है तो ऐसे में प्रतियोगिता बढ़ती है और घरेलू उद्योग के लाभ में भी भारी गिरावट देखने को मिलती है और इस तरह से घरेलू बचत में भी गिरावट आ जाती है।
- जब भी कोई बाहरी कंपनी देश में निवेश करती है तो ऐसे में सरकार को विदेशी निवेशकों को निवेश भत्ते सार्वजनिक सब्सिडी टैरिफ सुरक्षा आदि प्रदान करने की भी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है जिस कारण से सरकार पर अतिरिक्त भार भी पड़ जाता है।