GPS क्या है और जीपीएस (Global Positioning System) कैसे काम करता है?

GPS Kya Hai और जीपीएस की फुल फॉर्म क्या है एवं ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम कैसे काम करता है व ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की विशेषताएं क्या है

दोस्तों आज हम आपको जीपीएस के बारे में बताएंगे GPS क्या होता है और यह कैसे काम करता है आज के इंटरनेट के युग में बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो जीपीएस के बारे में नहीं जानते होंगे और जीपीएस का ऑप्शन हर मोबाइल में भी होता है और बहुत से मोबाइल में यह लोकेशन के नाम से होता है।जब हम अपनी लोकेशन खोलते हैं इसका मतलब होता है कि हमने जीपीएस को ऑन कर दिया।जब हम गूगल मैप को खोलते हैं तो उसमें हमें जीपीएस ऑन करने की जरूरत पड़ती है तो इसका मतलब होता है हमने अपनी जीपीएस ऑन कर दी है और बहुत से एप्लीकेशन में भी GPS ऑन करने की परमिशन मांगता है तो मैं अपने जीपीएस ऑन करनी पड़ती है और लोकेशन को शेयर करना पड़ता है इसी का नाम जीपीएस है। इसीलिए आज हम आपको जीपीएस से जुड़ी हर जानकारी दे रहे हैं।

GPS क्या होता है ?

यहां GPS की फुल फॉर्म बता रहे हैं जीपीएस की फुल फॉर्म यह है Global Positioning System। जीपीएस से हमारी लोकेशन का पता चलता है । आज के इंटरनेट युग में इसका इस्तेमाल हर मोबाइल में किया जाता है यह फीचर हर कंपनी अपने मोबाइल में दे रही है मोबाइल में लोकेशन के नाम से भी जाना जाता है इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हम जब करते हैं जब हम कहीं जा रहे होते हैं और हम रास्ता भूल जाते हैं तो मैं रास्ता ढूंढने के लिए भी इसका इस्तेमाल करना पड़ता है गूगल मैप के जरिए।

GPS Kya Hai
GPS Kya Hai

Global Positioning System

जिस वक्त आप गूगल मैप देखते हैं हमें देखना होता है कि कौन सा देश दुनिया के कौन से हिस्से पर है और किसी इमारत के बारे में हम पता करना चाहते हैं कि वह इमारत या बिल्डिंग कहां पर है तो भी हमें जीपीएस ऑन करना पड़ता है। अभी तक यह इतनी ज्यादा प्रचलित हो गई है कि यह एरोप्लेन ट्रेन बस और कारों में भी इसका उपयोग किया जाने लगा है इस टेक्नॉलॉजी से हम यह भी पता लगा सकते हैं कि कोई शहर या देश हमसे कितनी दूरी पर है।

जीपीएस का इस्तेमाल कब शुरू हुआ ?

इसकी खोज अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट ने सन 1960 में इसका आविष्कार किया था उस जमाने में सिर्फ अमेरिकन आर्मी ही इसका उपयोग करती थी जब वह किसी की लोकेशन का पता लगाते थे। तो वह Global Navigation Satellite System का उपयोग करते थे उसके बाद अमेरिका डिफेंस सिस्टम ने इस प्रणाली को और मजबूत बनाया और अप्रैल सन 1995 में बहुत से देशों में इसका इस्तेमाल होने लगा था।

GPS टेक्नोलॉजी कैसे कार्य करती है ?

  • जीपीएस सिस्टम ठीक ऐसे ही कार्य करता है जैसे हमारे मोबाइल कार्य करते हैं
  • जब हम किसी से बात करते हैं पहले वह सिग्नल सेटेलाइट पर जाता है उसके बाद पृथ्वी पर आता है और मोबाइल टावर के द्वारा डिस्ट्रीब्यूटर होता है इसी तरह जीपीएस सिस्टम में सेटेलाइट से कनेक्ट होकर कार्य करता है
  • यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में 40 से भी ज्यादा जीपीएस सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज रखे हैं और यह सेटेलाइट पृथ्वी से सिग्नल लेकर फिर उसे भेजते हैं
  • जब हमें किसी की लोकेशन का पता लगाना होता है तो 4 से 5 सैटेलाइट आपके लोकेशन को जांच कर आपकी लोकेशन का एकदम सही अंदाजा लगाते हैं
  • और उनका यह अंदाजा बिल्कुल सही साबित होता है कि आपके लोकेशन क्या है और आप की जगह से कितनी दूरी पर हैं और अगर आप ट्रेवल कर रहे हैं तो भी इसका पता लगा लिया जाता है कि आपकी लोकेशन धीरे-धीरे मूव होती है।

जीपीएस लॉकिंग टेक्नोलॉजी

जीपीएस लॉकिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नाम जब करते हैं जब हमें किसी की एग्जैक्ट लोकेशन का पता लगाना होता है जब हम जीपीएस लॉकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं और हमें किसी को ट्रैक करना होता है चाहे वह अपनी किसी गाड़ी में ही सफर कर रहा हो तब भी हम उसका पता लगा सकते हैं जीपीएस लॉकिंग सिस्टम 3 तरह से कार्य कर सकता है जो हम आपको नीचे बता रहे हैं।

होट स्टार्ट टेक्नोलॉजी

जब हम हॉट स्टार्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं तो हमें अपनी लास्ट लोकेशन और सैटेलाइट के साथ यूटीआई टाइम की जानकारी होनी चाहिए तो हम सेटेलाइट की सहायता से कुछ जानकारी के द्वारा अपने नए लोकेशन का पता लगा सकते हैं इस टेक्नोलॉजी के द्वारा जीपीएस रिसीवर से सिंगल कलेक्ट कर के लास्ट वाली लोकेशन से मौजूदा लोकेशन में आ जाती है इसके द्वारा हमें ट्रैकिंग करने में बहुत अधिक सहायता प्रदान होती है और आप बहुत जल्द ही अपनी या किसी की ट्रेकिंग बड़ी सरलता से कर सकते हैं।

.वार्म स्टार्ट टेक्नोलॉजी

जब वार्ड स्टार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है तो जीपीएस रिसीवर पहले ही वाली जानकारी के साथ-साथ पुरानी जानकारी भी अपने सिस्टम में सेव कर लेता है और नई लोकेशन का पता लगाने के लिए उसे सैटेलाइट सिग्नल की जरूरत होती है इसका उपयोग करके नई पोजीशन का पता लगाने में जुट जाता है इस प्रकार सेटेलाइट नई लोकेशन का पता लगाने में समक्ष होता है लेकिन यह सिस्टम काफी धीरे कार्य करता है लेकिन यह इतना स्लो काम भी नहीं करता इस से काम ना लिया सके।

कोल्ड स्टार्ट टेक्नोलॉजी

जब कोल्ड स्टार्ट टेक्नोलॉजी कार्य करती है तो इसे किसी    की लोकेशन कोई जानकारी नहीं होती यह डिवाइस के अंदर सभी तरह की जानकारी जीपीएस सैटेलाइट की लोकैशन का पता करना आरम्भ करता है इसलिए इस लोकेशन में पहले से बहुत ज्यादा समय लगता है क्योंकि यह अपनी शुरुआत यहीं से करता है। कोल्ड स्टार्ट प्रणाली का भी कम उपयोग किया जाता है ।

Important point of GPS

  • जीपीएस के लिए आधिकारिक USDOD का नाम NAVSTAR हैं।
  • पहला जीपीएस उपकरण 1978 में लॉन्च किया गया था।
  • 24 उपग्रहों का एक पूर्ण नक्षत्र वर्ष 1994 में हासिल किया गया था।
  • लगभग 10 वर्षों में प्रत्येक उपग्रह का निर्माण होता है। रिप्लेसमेंट लगातार कक्षा में निर्मित और लॉन्च किए जा रहे हैं।
  • एक जीपीएस उपग्रह का भार लगभग 2000 पाउंड और सौर पैनलों के विस्तार के साथ लगभग 17 फीट है।
  • सौर ऊर्जा द्वारा जीपीएस उपग्रह संचालित होते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण के मामले में उनके पास बैकअप बैटरी ऑन बोर्ड होती है।
  • इसके ट्रांसमीटर की पावर केवल 50 वाट या उससे कम है।

जीपीएस ऑन करने का तरीका

  • सबसे पहले आपको अपने फोन की सेटिंग में जाकर लोकेशन वाले ऑप्शन को खोल कर लोकेशन को ऑन करना है। ऑन करते ही आपका जीपीएस चालू हो जाता है।
  • जीपीएस चालू होने के बाद आपके मोबाइल में गूगल मैप नाम का एक ऐप है।  उसको ओपन करते ही आपको एक मैप दिखेगा। उस मैप पर एक छोटा सा ग्रीन डॉट आता है वही हमारा लोकेशन होता है।
  • इसके बाद आपको एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए उस जगह का नाम लिखकर सर्च करना है।
  • जैसे ही आप सर्च करते हैं तो एक पेज खुलेगा जिसमें आपके एक लोकेशन से दूसरी जगह का लोकेशन का पेज खुलेगा। जिसे जिसमें आपको सारी जानकारियां मिलेंगी जैसे आपको उस जगह जाने में कितना समय लगेगा उसकी दूरी आदि।

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