मोरल स्टोरीज क्या होती है और नैतिक कहानियाँ कौन कौन सी होती है एवं 10 Lines Short Moral Stories in Hindi with Pictures
छोटे बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ ही साथ मोरल स्टोरी के माध्यम से भी एक बेहतर जीवन के बारे में बताया जा सकता है ऐसे में 10 Lines Short Moral Stories उनके लिए काफी ज्यादा उपयोगी भी साबित होगी जिस प्रकार सेवा एक अच्छी शिक्षा भी प्राप्त कर सकेंगे और एक अच्छा जीवन जीने के लिए नैतिक शिक्षा बेहद जरूरी होती है जो कि छोटे बच्चों को कहानी के माध्यम से ही पता चल पाती है इसलिए आज इस लेख में हम आपको 10 Lines Short Moral Stories कहानी बताने जा रहे हैं जिससे बच्चों को खूब सारा मजा भी आएगा और उन्हें सिख भी मिल जाएगी।
10 Lines Short Moral Stories in Hindi
यदि आप बच्चों को नैतिक कहानियों के माध्यम से सिख देना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए काफी ज्यादा उपयोगी साबित होगा क्योंकि इसके अंतर्गत हम 10 Lines Short Moral Stories प्रदर्शित करने जा रहे हैं जिसके अंतर्गत नैतिक सिखों के बारे में जानकारी दी गई है जो की बच्चों के जीवन पर गहरा असर करेगी।
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10 Lines Short Moral Stories List
गुलाब का घमंड टूटा
- एक बार एक रेगिस्तान में एक गुलाब रहता था जिसे अपनी सुंदरता पर काफी ज्यादा घमंड था और वह अपने अन्य फूलों को नीचा दिखाए करता था और उनका काफी मजाक उड़ाया करता था परंतु एक वर्ष गर्मी के मौसम में इतना ज्यादा सूखा पड़ा कि गुलाब की पत्तियां एक-एक करके मुरझा गए जिससे वह काफी ज्यादा विचलित हो गया ऐसे में उसने कैक्टस के फूल से मदद मांगी और कैक्टस का फूल काफी नरम दिल था उसने उसे अपने हिस्से का कुछ पानी दे दिया जिससे गुलाब के फूल की जान बच सकी ऐसे में गुलाब के फूल को अपने किए पर काफी पछतावा हुआ जिसके बाद उसने कैक्टस के फूल और अन्य सभी फूलों से माफी मांग ली।
नैतिक शिक्षा: कभी भी अपनी सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए।
हिरण अपने घमंड से मारा गया
- एक जंगल में हिरण रहता था जो कि अपनी बड़ी-बड़ी सींगों की वजह से काफी ज्यादा घमंड रखता था वह सिंग भी काफी बड़े और सुनहरे थे परंतु वह अपने ही शरीर के पैरों की हमेशा बुराई करता था क्योंकि वह काफी ज्यादा पतले हुआ करते थे ऐसे में एक दिन जंगल में शिकारी कुत्तों ने हमला बोल दिया और हिरण अपने पतले पैरों के कारण खूब तेज दौड़ा और भागता चला गया परंतु आगे जाकर व पेड़ों की झाड़ियों में अपनी सिंगो की वजह से फस गया जिसके लिए उसने बहुत कोशिश की परंतु वह नहीं निकल पाया ऐसे में कुत्तों ने उसे नोच कर मार डाला तब जाकर हिरण को एहसास हुआ कि मेरे बदसूरत पैर ही जो थे उन्हीं वजह से मेरी जान बच रही थी परंतु इस सींग ने मुझे मौत के घाट उतरवा दिया।
नैतिक शिक्षा:घमंड करना एक बुरी आदत में शुमार होता है जिससे हमें नुकसान भी हो सकता है।
लोमड़ी और अंगूर मजेदार कहानी
- एक बार एक लोमड़ी को काफी ज्यादा भूख लगी जिसकी वजह से वह काफी ज्यादा विचलित हो चुकी थी उसने जंगल के चारों चक्कर काट लिया परंतु उसे खाने के लिए कुछ भी ना मिला जब थक हार कर बैठ गई तो वह सामने देखती है कि पेड़ पर ताजे ताजे रसीले अंगूर लटक रहे हैं जो कि थोड़ा ऊंचाई पर थे लोमड़ी वहां पहुंचकर काफी छलांग मारती है और काफी प्रयास करती है परंतु वह अंगूर उसे नहीं मिल पाते तब जाकर लोमड़ी ने बैठे हुए मन से अपने दिल में यह सोच लिया कि लगता है अंगूर खट्टे हैं तभी उसे नहीं मिल पा रहे हैं और यह सोचते हुए वह वहां से चली जाती है।
नैतिक शिक्षा: यदि हम किसी चीज को चाहे और वह हमें ना मिलता है तो उसकी बुराई हमें कभी नहीं करनी चाहिए।
कमज़ोर चींटी ने हाथी को हराया
- एक बार एक जंगल में एक हाथी रहता था जो कि काफी ज्यादा अभिमानी था वह अपने से सभी छोटे जानवरों को काफी तंग किया करता था जिससे सभी जानवर उससे बहुत ज्यादा डर देते हैं यह हाथी अपनी सूंड में पानी भर के छोटी-छोटी चिटियों के घरों पर डाल दिया करता था जिससे उनका घर बर्बाद हो जाता था और वह बैठ कर रोने लगती थी और करती भी क्या क्योंकि हाथी का आकार उनसे काफी ज्यादा बढ़ा था परंतु हाथी की इस हरकत से वह बहुत ज्यादा विचलित हो गई और उन्होंने उससे बदला लेने की ठान लिया और सभी चीटियां एकजुट होकर हाथी की सूंड में घुस गई और जगह-जगह काटने लगी जिससे हाथी बहुत ज्यादा दर्द से कराहने लगा तब जाकर हाथी ने चीटियों से माफी मांगी और दोबारा ऐसा कभी ना करने का वादा किया।
नैतिक शिक्षा:अपने से कमजोर लोगों को कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए।
किसान को सोने के अंडा का लालच
- एक बार एक किसान और उसकी बीवी एक झोपड़ी में रहते थे और उनके पास कहीं से एक जादुई मुर्गी आ गई जो कि रोज एक सोने का अंडा देती थी जिससे किसान और उसके परिवार का रोज का खर्चा आसानी से निकल जाता था परंतु बैठे-बैठे एक दिन किसान के मन में आया कि क्यों ना मुर्गी का पेट चीरकर बाकी बचे सभी सोने के अंडे को एक बार में निकाला जाए और उसने यह बात अपनी बीवी को बताई और वह भी इस बात के लिए राजी हो गई अगले दिन जब मुर्गी अंडा देने लगी तो ऐसे में किसान एक चाकू लेकर आया और मुर्गी का पेट चीर डाला परंतु वह देखता है कि उसके पेट में तो एक भी अंडा नहीं है ऐसे में वो काफी ज्यादा दुखी हो जाता है क्योंकि वह मुर्गी भी मर जाती है और उसका रोज का जो सोने का अंडा मिलना था वह भी बंद हो जाता है और वह बहुत ज्यादा रोता है परंतु अब वह कुछ भी नहीं कर सकता था।
नैतिक शिक्षा :लालच एक बुरी बला है इसे कभी भी नहीं करना चाहिए।
टिड्डा और चींटी की नोकझोक
- एक बार एक टिड्डा चीटियों के साथ रहा करता था और गर्मी का मौसम था जिसमें सभी चीटियां आने वाली सर्दी के लिए भोजन इकट्ठा करने में लगी हुई थी और टिड्डा जो था वह अपने कक्ष में आराम से लेटा हुआ मौज करता था और चीटियों का बहुत मजाक उड़ाता था वह कहता था कि तुम लोग यार काफी ज्यादा काम करती हो फिर भी तुम लोग को सही से भोजन नहीं मिल पाता देखो मैं आराम से लेटा रहता हूं और मुझे हर टाइम का भोजन भी मिल जाता है परंतु उसकी बातों को चीटियां नजरअंदाज कर देती थी लेकिन जब सर्दी का मौसम आया तो चीटियां अपने कक्ष में आराम से लेट कर भोजन किया करती थी और टिड्डा इधर उधर सर्दी की ठंडक में भोजन की तलाश में आता जाता रहता जिससे उसे सर्दी भी लग जाती है और वह बीमार पड़ जाता है तब जाकर उसको अपनी गलती का एहसास होता है और वह चीटियों से माफी मांगता है।
नैतिक शिक्षा:अपने कार्यों को वक्त रहते पूरा कर लेना चाहिए जिससे आने वाले समय में आप उसका फायदा उठा सकें।
चींटी और कबूतर ने बचाई एक दूसरे की जान
- एक बार एक चींटी नदी की धार में बह रही थी और वह डूबने लगी थी ऐसे में आसमान में एक कबूतर उड़ रहा था जिसकी नजर उस चींटी पर पड़ गई वह बिना देर किए नीचे आता है और एक पत्ता पेड़ से तोड़कर उस नदी में डाल देता है जिस पर चींटी चढ़ जाती है और उसकी जान बच जाती है और उस कबूतर का धन्यवाद कर के चली जाती है परंतु कुछ दिनों बाद चींटी फिर से जा रही होती है तो वह देखती है कि एक शिकारी जाल बिछाकर कबूतर का इंतजार कर रहा था जब चींटी देखती है तो वह वही कबूतर था जिसने उसकी जान बचाई थी ऐसे में वह तुरंत शिकारी के पैर पर जोर से काट लेती है और शिकारी की चीख निकल जाती है तब जाकर कबूतर उस शिकारी को देख लेती है और वह झट से ऊपर की तरफ उड़ जाती है ऐसे में दोनों ही एक दूसरे की जान बचा कर दया की भावना दिखाते हैं।
नैतिक शिक्षा: सदैव एक दूसरे की मदद करते रहना चाहिए।
शिष्य ने किया स्वामी की आज्ञा का पालन
- एक बार एक जंगल में स्वामी जी अपने शिष्यों के साथ रहते थे और उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी ऐसे में स्वामी जी ने अपने शिष्यों को यह आदेश दिया कि जंगल के उस पार पहाड़ पर एक जड़ी बूटी है जो कि उसे लेने के बाद ही मेरी तबीयत सही हो पाएगी और वह सभी शिष्यों को भेज देते हैं और कहते हैं कि याद रहे उस जड़ी-बूटी को लाने में 10 से 15 दिन लग सकते हैं तो तुम लोग फौरन ही निकल जाओ और इतना कहकर वह फिर से भगवान की आस्था में लीन हो जाते हैं परंतु जब 15 दिनों बाद उनकी आंखें खुलती है तो अपने सामने सिर्फ एक शिष्य को ही पाते हैं और बाकी नहीं आ पाते क्योंकि उस एक शिष्य ने स्वामी जी की आज्ञा का तुरंत पालन किया था परंतु अन्य शिष्यों ने यह सोचा कि अभी तो बहुत समय है हम लोग फिर कभी जाकर लेते आएंगे।
नैतिक शिक्षा: अपने बड़ों के द्वारा दिए गए वचन को पूरा करना चाहिए और अपने समय को सही इस्तेमाल करना चाहिए।
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गधे की चालाकी पड़ी भरी
- गांव में एक व्यापारी के पास एक गधा था जिससे वह अपना व्यापार करने के लिए सामानों को रखकर शहर ले जाया करता था और नमक का व्यापार करता था हर बार वह गधे पर नमक लादकर शहर ले जाकर उन्हें बेचता था परंतु एक बार जब गधे की पीठ पर नमक लाद कर शहर जा रहा होता है तो रास्ते में एक नहर पड़ती है जिसमें गधे का पैर फिसल कर गिर जाता है और सारा नमक पानी में घुल जाता है और गधे का बोझ हल्का हो जाता है इससे गधे की आंखें खुल जाती हैं और वह काफी ज्यादा खुश हो जाता है और वह रोजाना यही हरकत करने लगता है ऐसे में व्यापारी उस गधे की हरकत समझ जाता है और उसे एक तरकीब सुझाई देती है।अबकी बार वह नमक की बोरियों की जगह रुई की बोरियां उस गधे की पीठ पर लाद देता है और जैसे ही नहर करीब आती है गधा जानबूझकर उस नहर में गिर जाता है और रूई की बोरियां पानी को सोख लेती है जिससे वह वजन और भी ज्यादा भारी हो जाता है और गधे से उठा नहीं बनता तब जाकर व्यापारी उसे बोलता है कि तुम मुझे बेवकूफ समझ रहे थे ना अब तुम्हें समझ में आएगा कि मैंने क्या किया है।
नैतिक शिक्षा: कभी भी ज्यादा चालाकी नहीं दिखानी चाहिए यह आपके लिए घातक भी साबित हो सकती है।
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कछुआ और खरगोश की दौड़
- एक जंगल में एक घमंडी खरगोश रहता था जो कि अपनी फुर्तीलेपन की वजह से काफी ज्यादा घमंड करता था और वह कछुए का बहुत ज्यादा मजाक उड़ाए करता था क्योंकि कछुआ धीरे-धीरे रेंग कर चलता था इसी मजाक उड़ाने की वजह से एक दिन दोनों में ही रेस की शर्त लग जाती है कि जो पहले पहुंचेगा वही जीतेगा और दोनों की रेस शुरू हो जाती है खरगोश तेज तेज दौड़ कर आगे जाकर एक पेड़ के नीचे आराम करने लगता है और सोचता है की आराम करके फिर से जाकर दौड़ कर पहुंच जाऊंगा परंतु जब वो आराम करता है तो उसकी आंख लग जाती है जब उसकी आंखें खुलती है तो वह देखता है कि कछुआ अपनी जगह पहुंच चुका है और वह जीत गया है उसको काफी ज्यादा लज्जा महसूस होती है।
नैतिक शिक्षा: कभी भी किसी को अपने से कमजोर नहीं समझना चाहिए जिससे खुद का नुकसान हो सके।