स्टार्टअप (Startup) क्या है- स्टार्टअप बिज़नेस कंपनी कैसे शुरू (Register) करें?

स्टार्टअप क्या है और इससे बिज़नेस कंपनी कैसे शुरू करें एवं शुरू करने की प्रक्रिया क्या है व Startup इंडिया रजिस्ट्रेशन कैसे करे जाने हिंदी में

दोस्तों आज का हमारा विषय है कि Startup क्या है। अगर स्टार्टअप के नाम को देखा जाए तो इससे समझ में आता है कि यह किसी चीज की शुरुआत की बात हो रही है और जब आप इसे बिजनेस के संदर्भ से देखते हैं तो यह स्टार्टअप बिजनेस कहलाता है देखा जाए तो दुनिया नए नए प्रोडक्ट इनोवेशन में लगी है हर जगह कस्टमर को कुछ यूनिक देने का इनोवेशन हो रहा है अब बहुत सारी रिसर्च हो रही है।अगर सिंपल भाषा में कहा जाए तो मार्केट में किसी मौजूदा प्रॉब्लम को उठाना और उसके रिसर्च द्वारा सोल्यूशन लेकर आना जिससे कंस्यूमर की जिंदगी आसान हो जाए।कई लोगों द्वारा यह शुरू किया जाता है पर कोई इसमें सक्सेस पाते हैं तो कोई लोग इस में फेल हो जाते हैं तो अगर आप भी Startup के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको हमारा आर्टिकल ध्यान से पढ़ना होगा।

Startup Kya Hai?

स्टार्टअप कंपनी एक ऐसी कंपनी होती है जो अपने संचालन के इनिशियल स्टेज पर है कुछ लोग मिलकर इसकी नींव रखते हैं जिसे हम इंटरव्यू ना कहते हैं यहां पर लोग अपनी अपनी स्किल्स और स्पेशलाइजेशन लेकर आते हैं और कैसे स्टार्टअप आइडिया पर काम करते हैं और इसके माध्यम से कंज्यूमर्स को एक यूनिक प्रोडक्ट ओर सर्विस प्रदान की जाती है।स्टार्टअप ऐसे प्रोडक्ट या सर्विस डिवेलप करती है जिसमें उन्हें अच्छा मार्केट पोटेंशियल दिख रहा होता है तो चलिए आपको बताते हैं कि स्टार्टअप कैसे शुरू करा जाता है।

Startup kya hai
Startup kya hai

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स्टार्टअप (Startup) शुरू कैसे करें?

अगर आपको भी Startup शुरू करना है तो आपको बहुत ध्यान की जरूरत है और डेडीकेशन की जरूरत है अगर आपको अपना नाम हासिल करने का जज्बा है तो आप स्टार्टअप आसानी से शुरू कर सकते हैंइसको शुरू करने के लिए आपको अपनी पूरी ताकत डालनी होगी और पूरी मेहनत के साथ स्टार्ट अप करने का मन बनाना होगा

स्टार्टअप शुरू करने की प्रक्रिया?

अगर आपको भी अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करना है तो आपको नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यान से पढ़ना होगा

Problem

स्टार्टअप शुरू करने के लिए सबसे पहला स्टेप है कि आपको किसी प्रॉब्लम को पहचानना है और इस प्रॉब्लम के बारे में आपको अपना पर्सनल एक्सपीरियंस भी देखना है। स्टार्टअप शुरू करने से पहले आपको देखना पड़ता है कि कौन सी प्रॉब्लम आ रही है और इसका सामना किस किसको करना पड़ रहा है और इस प्रॉब्लम का सलूशन लाने में कितने लोगों की जिंदगी आसान होगी ऐसी प्रॉब्लम क्यों हो रही है वह कब और कितनी बार हो रही है। और किस वर्ग के लोगों को यह प्रॉब्लम हो रही है।

Idea and Solution

जब आपके सामने कोई कठिनाई आती है तो आप उस का सॉल्यूशन भी ढूंढती हैं और अगर आपको सॉल्यूशन मिलता है तो आपको एक बिजनेस आइडिया भी मिलता है ऑल सॉल्यूशन मिलने के बाद आपको यह देखना है कि लोग इस आईडिया व सॉल्यूशन से खुश हैं और क्या इस आईडिया से एक बड़े वर्ग को फायदा होगा या नहीं।ऐसी चीज से रिलेटेड हमें थोड़ी रिसर्च करनी पड़ती है और अपने आइडियाज बढ़ाने पढ़ते हैं।

Dream Team की खोज

अगर आपको अपने आइडिया को स्टार्ट अप करने के लिए सोच लिया है तो आपको अपनी ड्रीम टीम की तलाश करनी होगी।सबसे पहले आपको अपनी स्किल्स को देखना है इसके बाद आपको इस Startup में किन-किन लोगों की जरूरत पड़ेगी उस पर काम करना है। तो चलिए बताते हैं कि स्टार्टअप शुरू करने के लिए ड्रीम टीम में कौन कौन होता है

  • चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO): सीईओ पूरे स्टार्टअप को लीड करता है और सबको कंपनी के विजन मिशन की तरफ काम करने के लिए उत्साहित करता है।
  • चीफ ग्रोथ ऑफिसर (CGO): यह कंपनी से ही बिजनेस प्लान ग्रोथ की दिशा में काम करते हैं।
  • चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO): कंपनी मैं मार्केटिंग से जुड़ा सारा कामकाज इनके अंदर होता है।
  • चीफ टेक्नोलॉजी ऑफीसर (CTO): इनके अंदर सारे टेक्नोलॉजी का काम होता है।
  • चीफ डिजाइनर ऑफिसर (CDO): डिजाइनर से जुड़े सभी काम की जिम्मेदारी इनके अंदर होती है।
  • चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO): स्टार्टअप में फाइनेंस से जुड़ी सभी जिम्मेदारी इनके अंदर होती है।

Startup शुरू करने के लिए आपके पास एक अच्छी टीम होना बेहद जरूरी है उन लोगों की तलाश करें जिनके साथ आप अपने काम करने में आनंद ले सकें और खासकर शुरुआती स्टेज पर।

Customer Persona

अगर आपको अपना आइडिया कस्टमर तक पहुंचाना है तो आपको सबसे पहले कस्टमर पर सोना डिजाइन करना होगा यह मार्केट रिसर्च द्वारा बनाया गया है आपको सही कंस्यूमर वर्क का पहचान करवाने के लिए। इसके द्वारा आप कंस्यूमर की जानकारी जैसे के एज ग्रुप एजुकेशनल बैकग्राउंड लैंग्वेज आती पहले सुनिश्चित करते हैं।अपने कंस्यूमर की सही जानकारी और उनकी जरूरतों को समझने के लिए सबसे पहले आपको उनका इंटरव्यू लेना होगा।

Prototype

अपने आईडिया को समझने के लिए आपको प्रोटोटाइप बनाना होगा यहां आपको प्रोडक्ट की प्रणाली तैयार करनी है फोटो टाइप के दो इस चीज होती है पहला पेपर पर बनाए फिर डिजिटल डिजाइन के रूप में दें। प्रोटोटाइप बनाने के लिए आपको थोड़ा क्रिएटिव होना पड़ता है कलर मारकर और कलर ले बस द्वारा अपना प्रोटोटाइप तैयार करें सबसे पहले आप इसे अपने नजदीकी लोगों को दिखाएं और उनके रिएक्शन पर ध्यान दें इससे आपको कंस्यूमर के लिए एक बेहतर यूजर इंटरफेस बनाने में मदद मिलेगी। पेपर पर प्रोटोटाइप बनाने के बाद आपको डिजिटल फॉर्म में अपना प्रोटोटाइप बनाना होगा और फिर इस आइडिया को आपको अपने नजदीकी लोगों को दिखाना होगा। और फीडबैक के अनुसार प्रोडक्ट में बदलाव करें।

Marketing Plan

प्रोटोटाइप तैयार होने के बाद बारी आती है दुनिया के सामने जाने कि अपना लोंग टर्म गोल व शॉर्ट टर्म गोल सुनिश्चित करें और अपना Startup में मार्केटिंग प्लान बनाएं। मार्केटिंग प्लान में से इन सब के जवाब की जरूरत होती है जो है आप क्या मैसेज देना चाहते हैं आपके प्रोडक्ट में यूनिक क्या है। मार्केटिंग प्लान एक अहम हिस्सा है लैंडिंग पेज जहां आप अपने कंस्यूमर को कंपनी द्वारा रीडायरेक्ट कर सकते हैं ध्यान रहे कि लैंडिंग पेज पर कंस्यूमर की जरूरतों के अनुसार ही सारी जानकारी होनी चाहिए तब जाकर ही कंस्यूमर अपने कस्टमर बनते हैं।

Business and Revenue Model

दोस्तों आपको बता दूं कि कोई भी कंपनी बिना रेवेन्यू नहीं चल सकती है रेवेन्यू होगा तो ही आप बिजनेस स्टार्ट अप में आगे बढ़ पाएंगे। किसी भी Startupमें रेवेन्यू सबसे अहम और मुश्किल हिस्सा होता है।बिजनेस मॉडल बताता है कि आपकी कंपनी ग्राहकों के लिए क्या वैल्यू प्रदान कर रही है और रविन्यू मॉडल बताता है कि कंपनी वास्तव में एक ही समय में कई बिजनेस मॉडल संचालित कर रही है।रिवेन्यू मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी अपना रेवेन्यू कैसे बनाएगी।इस स्टेज पर आप अपने स्टार्टअप की कमाई से जुड़े प्लांस पर दिमाग लगाते हैं यहां आपको पता लगता है कि आपके प्रोडक्ट के साथ-साथ लॉजिस्टिक और ऑपरेशन की प्रति यूनिट लागत क्या है

Startup Funding

यह आपके Startup की शुरुआत का आखरी कदम और बिजनेस को बढ़ाने के तरफ का पहला कदम होता है यहां आप अपने स्तर तक के लिए खुद फोन नहीं करना चाहते तो आप अन्य तरीकों से स्टार्ट अप में फंडिंग ला सकते हैं जैसे के अपने दोस्तों से यह अपने परिवार से वेंचर कैपिटल एस्से क्राउडफंडिंग से स्टार्टअप लोन से।

भारत में बिज़नेस स्टार्टअप करना

भारत में अपना स्टार्टअप व्यवसाय स्थापित करने के लिए आप पांच प्रकार के प्रारूपों का उपयोग कर सकते हैं। जो इस प्रकार है-

  • पंजीकृत भागीदारी फर्म
  • सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) फर्म
  • एक व्यक्ति कंपनी (ओपीसी)
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
  • यहां बताया गया है कि प्रत्येक श्रेणी के लिए आपको कौन सी प्रक्रिया अपनानी चाहिए-

पंजीकृत भागीदारी फर्म बनाने के लिए आपको क्या क्या करना है-

  • फर्म का नाम चुनें।
  • सांझेदारीनामा तैयार करें। इसमें फर्म और भागीदारों का नाम और पता, व्यवसाय का सत्व, पूंजीगत योगदान और लाभ-सहभाजन अनुपात जैसे विवरण शामिल होंगे।
  • अपने राज्य में फर्मों के रजिस्ट्रार के पास अपनी फर्म पंजीकृत करें।
  • पंजीकरण करने के लिए आपको निम्‍नलिखित चीज़ों कीआवश्यकता होगी: A. पंजीकरण के लिए आवेदन।

B. साझेदारीनामा की एक प्रमाणित प्रति। C. व्यवसाय या कारोबारी समझौते के स्थान के मालिकाना हक़ का सबूत।

  • एक बार फर्म के पंजीकृत हो जाने के बाद, भागीदारों को पैन कार्ड के लिए आवेदन करने और चालू खाता खोलने की आवश्यकता होती है।

सीमित देयता भागीदारी (LLP) रजिस्टर फर्म

  • नामित साथी की पहचान संख्या (डीपीआईएन) और डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) के लिए आवेदन करें।
  • सांझेदारीनामा तैयार करें तथा इसमें फर्म और भागीदारों का नाम और पता , व्यवसाय का सत्व, पूंजीगत योगदानऔर लाभ-सहभाजन अनुपात जैसे विवरणों पर सहमति हो।
  • फर्म के नाम के लिए 2-3 नाम के विकल्पों के साथ कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) में आवेदन करें।
  • इनकॉर्पोरेशन दस्तावेज़, सब्सक्राइबर का निवेदन, और नामित साथी के विवरण जैसे उनके नाम, पते और सहमति के दस्तावेज़ भरें ।
  • समावेश के बाद, एमसीए के साथ 30 दिनों के भीतर एलएलपी समझौते को दर्ज करें।
  • इसके बाद, एलएलपी के लिए पैन और टीएएन के लिए आवेदन करें।

एक व्यक्ति कंपनी (ओपीसी) पंजिकृत करने की प्रक्रिया

  • डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) के लिए आवेदन करें।
  • आईएनसी -1 में कंपनी के नाम के लिए आवेदन करें।
  • मेमोरैंडम एंड आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (एमओए और एओ ए) तैयार करें।
  • आईएनसी फॉर्म 32 एमओए और एओए के साथ दर्ज़ करें।
  • आईएनसी -1 आवेदन के तहत अनुमोदित कंपनी के नाम का आवंटन
  • डी आई एन आवंटन
  • नई कंपनी का निवेश
  • कंपनी पैन
  • कंपनी टेन
  • शायर धारक के लिए एफिडेविट को दर्ज करें एवं गवाह की सहमति एवं पहचान और पते के प्रमाण को भी दर्ज करें।
  • एक बार पैन और टीएएन के साथ समावेश दे दिया जाता है, तो उसके बाद आप एक चालू खाता खोल सकते हैं।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
  • अपने निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) और अपने डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) के लिए आवेदन करें।
  • एमसीए साइट पर जाकर नाम की उपलब्धता देखें और क्रम में 2-3 विकल्पों के साथ आवेदन करें।
  • फिर, अपने राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के साथ 60 दिनों के भीतर मेमोरैंडम और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के साथ फॉर्म आईएनसी -2 दर्ज करें।
  • पंजीकरण हो जाने के बाद, अपनी कंपनी के पैन और टैन के लिए आवेदन करें।
  • यदि कारोबार में बिक्री 20 लाख रुपये से अधिक होने की उम्मीद है तो , जीएसटीआईएन के लिए भी आवेदन करें।
स्टार्टअप के फायदे
  • स्टार्टअप कंपनी अपने कर्मचारियों को ऐसे लगते हैं जैसे कि वह सफल हो सके नए स्केल सीख सकें और अपने काम कर सके जो उन्हें कहीं और करने का अवसर ना मिले
  • Startup में अपने इंप्रेस को सभी तरह की फैक्स फ्लैक्सिबिलिटी देने में विश्वास रखते हैं जिससे एंपलाई जहां और जैसा काम करना चाहे वह कंफर्टेबल काम कर सकता है।
  • स्टार्टअप में एम्पलॉइस को सैलरी नहीं देते बल्कि उन्हें कंपनी में स्टाफ के जरिए हिस्सेदार भी बनाते हैं इससे एंप्लॉय कंपनी को अपना समझकर डेडीकेशन के साथ काम करता है।
  • स्टेटस में आप आम तौर पर फास्टेस्ट इंवॉल्वमेंट पाएंगे यहां सीईओ से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट का परमिशन की जरूरत नहीं होती जब चाहे आप उनसे मिल सकते हैं इससे डिसीजन मेकिंग प्रोसेस तेजी से होता है और इन फॉरेन है प्रोडक्ट बिना किसी रूकावट से बनाते हैं।
  • अगर आपका स्पेक्टर मार्केट में सफल हो रहा है तो आपकी यहां इनवर्टर की लाइन लग जाती है और इस तरह आपके सेटअप की वैल्यूएशन बढ़ती है और कम समय में आप बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है |

भारत में पंजीकरण शुरू करने के लिए आवेदन

. कम्पनी या ऑर्गनाइज़ेशन का विवरण: यहां आपको अपनी कम्पनी के प्रकार (कंपनी, एलएलपी, साझेदारी), उद्योग, क्षेत्र, श्रेणी, निगमन या पंजीकरण संख्या और तिथि, कंपनी,का नाम और पैन विवरण डालना होगा। 2. अधिकृत प्रतिनिधि विवरण: इसमें अधिकृत व्यक्ति के नाम, पदनाम और संपर्क विवरण शामिल होंगे। 3. निदेशक (S)/साथी (S) विवरण: इनमें उनका नाम, लिंग, पता और संपर्क विवरण शामिल हैं। 4. अतिरिक्त जानकारी: आपको कुछ अतिरिक्त विवरण प्रदान करने की आवश्यकता है जैसे कि कर्मचारियों की संख्या, उत्पाद / व्यवस्था के विकास का स्तर, बौद्धिक संपदा अधिकार अनुप्रयोगों का विवरण इत्यादि। 5. कर लाभ: ये 1 अप्रैल 2016 और 31 मार्च 201 9 के बीच गठित/ गठित होने जा रहे व्यवसायों के लिए उपलब्ध हैं।

6. स्व-प्रमाणन: यहां आपको अपनी कंपनी निगमन प्रमाण पत्र अपलोड करने की आवश्यकता है, जो आपको एमसीए द्वारा जारी किया गया है। यह फ़ाइल जेपीजी, पीएनजी या पीडीएफ प्रारूप में 5 एमबी से कम की हो सकती है । 7. अतिरिक्त दस्तावेज/विवरण: आप अपने आवेदन का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज/विवरण प्रदान कर सकते हैं जैसे वेबसाइट लिंक, वीडियो, पिच डेक इत्यादि। एक बार आवेदन पूरा होने के बाद, इसकी जांच की जाएगी और फिर भारत पंजीकरण प्रमाणपत्र कम्पनी/ऑर्गनाइज़ेशन को प्रदान कर दिया जायेगा।

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Conclusion

मेरे प्रिय दोस्तों उम्मीद करती हूं कि आपको मेरा आर्टिकल के माध्यम से समझ आ गया होगा कि इस था तब क्या होता है अथवा उसे शुरू करने के लिए क्या करना पड़ता है आगे भी इसी तरह आपको अपना आर्टिकल के माध्यम से और चीजों के बारे में जानकारी प्रदान करती रहूंगी अगर आपको फिर भी कोई कठिनाई है तो आप हम से नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं आप का कमेंट हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

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