(Owner Of Internet) इंटरनेट का मालिक कौन है- Internet Ka Malik Kon Hai

इंटरनेट क्या होता है और Internet Ka Malik कौन है एवं Data कहां स्टोर होता है व जानिए इसकी सुविधा हम तक कैसे पहुँचती है हिंदी में

आज हम बात करेंगे इंटरनेट के बारे में क्योंकि वर्तमान समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति बचा होगा जो इंटरनेट का यूज ना करता हो। इंटरनेट ने पूरी तरह से हमारी जिंदगी को बदल दिया है। अब तो लोगों को ऐसा लगता है कि इंटरनेट के बिना रह पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि इस इंटरनेट का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं Internet Ka Malik कौन है ? यह सवाल कभी ना कभी तो आपके मन में आता होगा। तो चलिए फिर बिना देरी किए आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से इंटरनेट से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आपको प्रदान करेंगे। यदि आप भी इंटरनेट के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो हमारी इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

Internet Ka Malik

इंटरनेट एक बहुत बड़ा वेब नेटवर्क है जिसे World Wide Web के नाम से भी जाना जाता है। देखा जाए तो इंटरनेट का कोई ऑनर नहीं है लेकिन इस वेब सर्वर को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई एजेंसियां मदद जरूर करती हैं। इंटरनेट एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जो सारी दुनिया के कंप्यूटर सिस्टम को एक दूसरे से कनेक्ट करता है। TCP/IP Protocol  के उपयोग से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक सभी तरह की सूचनाएं, जानकारियां, डेटा का संचार को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए  करते हैं। इंटरनेट के माध्यम से ही सभी तरह की प्रतिक्रियाओं का आदान प्रदान किया जाता है।

दुनिया भर में लगभग 900 मिलियन से भी ज़्यादा लोग इसका इस्तेमाल करते हैं और इतने सारे लोगों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने के लिए पोस्टल सिस्टम की तरह ही इंटरनेट ऐड्रेसिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी सहायता से हम तक इंटरनेट की सुविधा प्राप्त होती है। इंटरनेट का आविष्कार अमेरिका द्वारा किया गया था जिसका मुख्य कारण अमेरिका और रूस के बीच 1970 के दशक में चल रहा युद्ध था।

Internet Ka Malik Kon Hai
Internet Ka Malik Kon Hai

Internet Ka Malik कौन हैं

सही मायने में जो इंटरनेट यूज करता है वही Internet Ka Malik होता है। जैसा कि हमने आपको बताया कि इंटरनेट का आविष्कार अमेरिका के पब्लिक सेक्टर में हुआ था। यदि अगर इसका आविष्कार किसी प्राइवेट सेक्टर में होता तो इसका उपयोग केवल अपने इस्तेमाल के लिए किया जाता। इंटरनेट पर किसी व्यक्ति किसी संस्था या फिर किसी सरकारी या प्राइवेट कंपनी का अधिकार नहीं है। लेकिन कुछ एजेंसियां सलाह देकर अन्य मुद्दों पर जानकारी देकर इस को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्य जरूर करती है।

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इंटरनेट कि सुविधा हम तक कैसे पहुंचती है

हम तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने के लिए तीन भागों में विभाजित किया गया है। जिन्हें 3 टियर भी कहा जाता है। पहले स्तर पर वह कंपनियां आती हैं जो समुंद्र के नीचे ऑप्टिकल फाइबर केबल डाल कर सर्विस प्रोवाइडर को ग्लोबली जोड़ती हैं। यह कंपनियां नेशनल लेवल की कंपनियों से पैसा लेती हैं।

दूसरे स्तर पर वे लोग आते हैं जो बड़े प्रोवाइडर को नेशनल स्तर पर कनेक्ट करते हैं। औरबड़े प्रोवाइडर से जुड़कर छोटे प्रोवाइडर को यह सर्विस प्रदान की जाती है वह तीसरे स्तर पर आते हैं। यह सभी प्रोवाइडर्स आम जनता तक इंटरनेट की सुविधा प्रदान करते हैं। यह कंपनियां नेशनल लेवल की कंपनियां जैसे एयरटेल, रिलायंस, आइडिया को पैसे देती हैं।

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History Of Internet

  • इंटरनेट बनाने का श्रेय केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि बहुत सारे साइंटिस्ट और इंजीनियर्स को दिया जाता है।
  • 1957 में अमेरिका और रूस के बीच होने वाला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक ख़ास टेक्नोलॉजी का निर्माण करने के लिए Advanced Research Projects Agency की स्थापना की गई थी।
  • 1969 एजेंसी की स्थापना करने के बाद अपने नाम पर उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को 1980 की शुरुआत में अर्पानेट का नाम दिया।
  • उसके बाद इस टेक्नोलॉजी का नाम बदलकर इंटरनेट रख  दिया गया।
  • TCP/ IP प्रोटोकॉल का अविष्कार होने के बाद इस टेक्नोलॉजी में एक नया ही मोड आ गया।
  • इंटरनेट की शुरुआत 1 जनवरी 1983 में की गई जब TCP/ IP प्रोटोकॉल ने अपने अंदर ले लिया था।
  • भारत में इंटरनेट की शुरुआत विदेश संचार निगम लिमिटेड के द्वारा 14 अगस्त 1995 में की गई।
इंटरनेट डाटा कहां स्टोर होता है

क्या आप लोग जानते हैं कि इंटरनेट पर कितनी वेबसाइट है। अगर नहीं तो हम आपकी जानकारी देनी है बताना चाहेंगे कि इंटरनेट पर वेबसाइट की कोई गिनती नहीं है। लेकिन गूगल के अनुसार डेटाबेस में 1000 अरब से भी ज्यादा वेबपेज हैं। जिसकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। पूरी दुनिया में लगभग प्रति मिनट 500000 वेबपेज बन रहे हैं। इंटरनेट में कितना डाटा है इसका भी कोई जवाब नहीं है क्योंकि इंटरनेट का डाटा एक जगह स्टोर नहीं होता है। दुनिया में कई सारे web-server हैं जिनमें करोड़ों टेराबाइट की हार्ड डिस्क होती है। इसे एक तरह से कंप्यूटर की तरह ही समझ सकते हैं। इनमें गूगल, याहू, फेसबुक जैसे कई सेवर होते हैं। उदाहारण के तौर पर अगर आप अपने ब्राउज़र में google.com के सर्च इंजन पर कुछ भी सर्च करते हैं तो उसका रिजल्ट आपको अमेरिका के कैलिफोर्निया में मौजूद गूगल सेवर में मिलेगा।

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